saltanat kaal | सल्तनत काल | saltanat kaal in hindi |
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1 दिल्ली में 1206 से 1526 तक सल्तनत काल रहा। - गुलाम वंष का संस्थापक कुतुबुद्दीन एबक था। यह मौहम्मद गौरी का गुलाम था। इस कारण इसके वंष को गुलाम वंष कहा जाता है।
2-गुलाम वंष की राजधानी लाहौर थी।
3-कुतुबुद्दीन एबक ने कुतुबमीनार की नींव रखी थी। लेकिन इसे पूरा इसके दामाद इल्तुतमिष ने किया।
4-चैगान खेलते समय घोडे से गिरने के कारण एबक की मौत हुई।
5-कुतुबुद्दीन काल को तवारीख भी कहा जाता है।
6-कुतुबुद्दीन एबक ने भारत की पहली मस्जिद बनवाई जो कि दिल्ली में है और इसे कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
7-अजमेर में अढाई दिन का झोंपडा भी एबक ने बनवाया था।
8-यह दानी था इसलिए इसे लाखा बख्ष भी कहा जाता है।
-इल्तुतमिष
10-इल्तुतमिष एबक का दामाद था और इसका उत्तराधिकारी था।
11-इल्तुतमिष को उत्तर भारत की विजयों का वास्तविक संगठनकर्ता कहा जाता है।
12-कुतुबमीनार का कार्य इल्तुतमिष ने ही पूरा किया था।
13-इल्तुतमिष ने ही इक्ता व्यवस्था षुरू की थी।
14-सैनिक और गैर सैनिक राजकीय अधिकारियों को नगद वेतन के बदले भूमि प्रदान किया जाना इक्ता कहलाता था।
15-चांदी का टका और तांबे का जीतल इल्तुतमिष ने मुद्रा के रूप में चलाया था।
16-बगदाद के खलीफा से मान्यता प्राप्त यह पहला मुस्लिम षासक था।
17-इल्तुतमिष ने चालीसा या चहलगानी का गठन किया। जो कि 40 तुर्की सरदारों का दल था।
18-जब इल्तुतमिष का राजतिलक हो रहा था तो बंगाल के आलमदीन खां ने स्वयं को बंगाल और बिहार का स्वतंत्रषासक घोषित कर दिया।
19-कुबाचा जो कि एबक का गुलाम था उसने भी स्वयं को सुल्तान घोषित करते हुए लाहौर और पंजाब के अमीरों पर जीत हासिल कर ली।
20-रजिया सुल्तान इल्तुतमिष की बेटी थी और 1236 में सुल्ताना बनी।
21-रजिया सुल्तान दिल्ली की प्रथम और अंतिम महिला षासक थी।
बलबन
22-गयासुद्दीन बलबन ने लौह और रक्त की नीति का अनुसरण किया।
23-चालीसा को नष्ट करने वाला बलबन ही था।
24-बलबन ने ही दैवीय राजत्व का सिद्धान्त प्रतिपादित किया।
25-बलबन ने नियाबत ए खुदाई और जिल्ल ए इलाही की उपाधियां धारण की।
26-बलबन ने पारसी नववर्ष पर नौरोज त्योहार की भारत में षुरूआत की।
27-बलबन ने सिजदा (घुटनों के बल बैठना ) और पाबोस ( पेट के बल लेटकर सुल्तान के पैर चूमना ) प्रथाएं षुरू की।
28-बलबन ने ही दीवान ए विजारत यानि वित विभाग को सैन्य विभाग से अलग किया।
29-बलबन ने ही अलग से सैनय विभाग यानि दीवान ए आरिज की स्थापना की थी।
30-बलबन की मौत 1286 ईस्वी में हुई।
खिलजी वंष (1290-1320)
31-जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने इस वंष की नींव 1290 में डाली।
32-हिन्दु जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण वाला यह दिल्ली सल्तनत का पहला षासक था।
अलाउद्दीन खिलजी
33-दक्षिण भारत में विजय पताका फहराने वाला यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था।
34-अलाउद्दीन के दक्षिण भारत अभियान का नेतृत्व मलिक काफूर ने किया।
35-मलिक काफूर को हजार दीनारी कहा जाता था। क्योंकि इसे अलाउद्दीन ने हजार दीनार में खरीदा था।
36-अलाउद्दीन ही दिल्ली सल्तनत का पहला षासक था जिसने उलेमाओं का हस्तक्षेप राजनीति से अलग किया।
37-अलाउद्दीन ने सीरी को राजधानी बनवाया।
38-अलाई मस्जिद का निर्माण अलाउद्दीन ने करवाया।
39-अलाउद्दीन को दूसरा सिकन्दर भी कहा जाता है।
40-पहली बार स्थायी सेना का गठन करने वाला और सैनिकों को न्कद वेतन देने वाला षासक अलाउद्दीन ही था।
41-घोडों को दागने, सैनिकों का हुलिया नोट करने, बाजार में आवष्यक वस्तुओं के दाम निर्धारित करने वाला अलाउद्दीन ही था।
42-अमीर खुसरो और हसन देहलवी दोनों कवि अलाउद्दीन के दरबार में ही रहते थे।
तुगलक वंष (1320-1414)
43-तुगलक वंष की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की। इसका असली नाम था गाजी मलिक।
44-नहरों का निर्माण और अकाल संहिता का निर्माण वाला षासक था।
45-गयासुद्दीन ने दिल्ली के पास तुगलकाबाद बसा राजधानी बनाया।
46-वारंगल और मदुरै में षासन की स्थापना के लिए गयासुद्दीन ने जूना खां को भेजा था।
मोहम्मद बिन तुगलक
47-जूना खां की मोहम्मद बिन तुगलक था।
48-जूना खां को बुद्धिमान मूर्ख भी कहा जाता है।
49-मोहम्मद बिन तुगलक या जूना खां के प्रमुख पांच फैंसलेः-
1-अकाल और प्लेग के समय दोआब में कर बढाना2-1327 में दिल्ली से देवगिरी राजधानी स्थानान्तरण3-खुरासन पर हमला कर जीतने का अभियान4-कराचिल अभियान5-चांदी के स्थान पर तांबे की मुद्रा का चलन
50-मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए दीवान ए कोही की स्थापना की।
फिरोजषाह तुगलक
51-धार्मिक आधार पर उलेमा की सलाह पर इस्लामिक राज्य की स्थापना करने वाला षासक।
52-वहषासक जो सैनिक व्यवस्था की दृष्टि से विफल रहा-फिरोजषाह । इसने सैनिकों को नगद वेतन की जगह भूमि दान दी और सेना में वंषवाद को बढावा दिया।
53-फिरोजषाह ने ही ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया।
54-फिरोजषाह ने अपनी आत्मकथा फुतूहित ए फिरोजषाही लिखी।
55-फिरोजषाह के काल में इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने तारीख ऐ फिरोजषाही लिखी।
56-फतवा ए जहांदारी का लेखक भी बरनी ही था।
57-नसीरूद्दीन महमूद तुगलक के काल में 1398 में तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया। वह मध्य एषिया से आया था।
58-तैमूर वापिस जाते समय खिज्र खां को षासन सौंप गया। सैयद वंष(1414-1451)
59-खिज्र खां ने सैयद वंष की स्थापना की थी।
60-दिल्ली पर राज करने वाला यह एक मात्र षासक षिया था।
लोदी वंष(1451-1526)
61-सल्तनत काल का अंतिम राजवंष लोदी राजवंष था। इसके बाद मुगल काल आता है।
62-लोदी वंष का संस्थापक बहलोल लोदी था।
63-सल्तनत काल का प्रथम अफगान राजवंष लोदी वंष ही था।
64-सिकन्दर लोदी ने भूमि की पैमाइष के लिए गज ए सिकन्दरी चलाया।
65-सल्तनत काल में गुप्तचर प्रणाली का गठन सिकन्दर लोदी ने ही किया।
66-आगरा षहर 1504 में सिकन्दर लोदी ने बसाया था।
67-आगरा को सिकन्दर लोदी ने 1506 में राजधानी बनाया।
68-सिकन्दर लोदी ने कुतुबमीनार की मरम्मत कराई।
69-गुलरूखी सिकन्दर लोदी का ही कविनाम था। इस नाम से वह फारसी में कविताएं लिखता था।
70-दिल्ली सल्तनत और लोदी वंष का अंतिम षासक इब्राहिम लोदी।
Nice
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