saltanat kaal | सल्तनत काल | saltanat kaal in hindi - NEWS SAPATA

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Saturday, June 22, 2019

saltanat kaal | सल्तनत काल | saltanat kaal in hindi

saltanat kaal | सल्तनत काल | saltanat kaal in hindi |


नमस्कार दोस्तों । स्वागत है आपका मेरे ब्लाॅग NewsSapata न्यूज सपाटा पर । उम्मीद है आपकी पढाई अच्छी चल रही होगी । फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं का दौर चल रहा है । ऐसे में सभी को सफलता की उम्मीद होती है, लेकिन वह तब मिलती है जब हम लगातार पढाई करते हैं और सही दिशा में करते हैं। यहां इस पोस्ट में हम लेकर आए हैं CTET सीटेट, REET रीट, RTET आरटेट, HTET एचटेट, STET एसटेट, CGTET सीजीटेट, UPTET यूपीटेट की विभिन्न परीक्षाओं में आए प्रश्नोत्तर । ये वे प्रश्न हैं जो लगातार पूछे जाते रहे हैं । टेट ही नहीं ये प्रश्न आपको शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में भी देखने को मिलेंगे । बस आपको करना  इतना है केवल इस ब्लाॅग को प्रतिदिन 10 मिनट देने हैं । ऐसा लगातार करना है। कुछ ही दिन में आप देखेंगे कि आपको सब याद रहने लगा है और आपको सभ प्रश्न स्लेबस के अनुसार मिल रहे हैं। हमारी कोशिश है सभी भाई-बहिनों को महंगी कोचिंग से बचाना और महंगी पुस्तकों से दूर रखना । यहां हम आपको स्तरीय पाठ्यसामग्री उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

आप सभी को शुभकामनाएं ।

saltanat kaal | सल्तनत काल | saltanat kaal in hindi














1 दिल्ली में 1206 से 1526 तक सल्तनत काल रहा। - गुलाम वंष का संस्थापक कुतुबुद्दीन एबक था। यह मौहम्मद गौरी का गुलाम था। इस कारण इसके वंष को गुलाम वंष कहा जाता है।

2-गुलाम वंष की राजधानी लाहौर थी।

3-कुतुबुद्दीन एबक ने कुतुबमीनार की नींव रखी थी।  लेकिन इसे पूरा इसके दामाद इल्तुतमिष ने किया।

4-चैगान खेलते समय घोडे से गिरने के कारण एबक की मौत हुई।

5-कुतुबुद्दीन काल को तवारीख भी कहा जाता है।

6-कुतुबुद्दीन एबक ने भारत की पहली मस्जिद बनवाई जो कि दिल्ली में है और इसे कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

7-अजमेर में अढाई दिन का झोंपडा भी एबक ने बनवाया था।

8-यह दानी था इसलिए इसे लाखा बख्ष भी कहा जाता है।

-इल्तुतमिष

10-इल्तुतमिष एबक का दामाद था और इसका उत्तराधिकारी था।

11-इल्तुतमिष को उत्तर भारत की विजयों का वास्तविक संगठनकर्ता कहा जाता है।

12-कुतुबमीनार का कार्य इल्तुतमिष ने ही पूरा किया था।

13-इल्तुतमिष ने ही इक्ता व्यवस्था षुरू की थी।

14-सैनिक और गैर सैनिक राजकीय अधिकारियों को नगद वेतन के बदले भूमि प्रदान किया जाना इक्ता कहलाता था।

15-चांदी का टका और तांबे का जीतल इल्तुतमिष ने मुद्रा के रूप में चलाया था।

16-बगदाद के खलीफा से मान्यता प्राप्त यह पहला मुस्लिम षासक था।

17-इल्तुतमिष ने चालीसा या चहलगानी का गठन किया। जो कि 40 तुर्की सरदारों का दल था।

18-जब इल्तुतमिष का राजतिलक हो रहा था तो बंगाल के आलमदीन खां ने स्वयं को बंगाल और बिहार का स्वतंत्रषासक घोषित कर दिया।

19-कुबाचा जो कि एबक का गुलाम था उसने भी स्वयं को सुल्तान घोषित करते हुए लाहौर और पंजाब के अमीरों पर जीत हासिल कर ली।

20-रजिया सुल्तान इल्तुतमिष की बेटी थी और 1236 में सुल्ताना बनी।

21-रजिया सुल्तान दिल्ली की प्रथम और अंतिम महिला षासक थी।

बलबन

22-गयासुद्दीन बलबन ने लौह और रक्त की नीति का अनुसरण किया।

23-चालीसा को नष्ट करने वाला बलबन ही था।

24-बलबन ने ही दैवीय राजत्व का सिद्धान्त प्रतिपादित किया।

25-बलबन ने नियाबत ए खुदाई और जिल्ल ए इलाही की उपाधियां धारण की।

26-बलबन ने पारसी नववर्ष पर नौरोज त्योहार की भारत में षुरूआत की।

27-बलबन ने सिजदा (घुटनों के बल बैठना ) और पाबोस  ( पेट के बल लेटकर सुल्तान के पैर चूमना ) प्रथाएं षुरू की।

28-बलबन ने ही दीवान ए विजारत यानि वित विभाग को सैन्य विभाग से अलग किया।

29-बलबन ने ही अलग से सैनय विभाग यानि दीवान ए आरिज की स्थापना की थी।

30-बलबन की मौत 1286 ईस्वी में हुई।

खिलजी वंष (1290-1320)

31-जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने इस वंष की नींव 1290 में डाली।

32-हिन्दु जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण वाला यह दिल्ली सल्तनत का पहला षासक था।

अलाउद्दीन खिलजी



33-दक्षिण भारत में विजय पताका फहराने वाला यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था।

34-अलाउद्दीन के दक्षिण भारत अभियान का नेतृत्व मलिक काफूर ने किया।

35-मलिक काफूर को हजार दीनारी कहा जाता था।  क्योंकि इसे अलाउद्दीन ने हजार दीनार में खरीदा था।

36-अलाउद्दीन ही दिल्ली सल्तनत का पहला षासक था जिसने उलेमाओं का हस्तक्षेप राजनीति से अलग किया।
37-अलाउद्दीन ने सीरी को राजधानी बनवाया।
38-अलाई मस्जिद का निर्माण अलाउद्दीन ने करवाया।
39-अलाउद्दीन को दूसरा सिकन्दर भी कहा जाता है।
40-पहली बार स्थायी सेना का गठन करने वाला और सैनिकों को न्कद वेतन देने वाला षासक अलाउद्दीन ही था। 
41-घोडों को दागने, सैनिकों का हुलिया नोट करने, बाजार में आवष्यक वस्तुओं के दाम निर्धारित करने वाला अलाउद्दीन ही था।
42-अमीर खुसरो और हसन देहलवी दोनों कवि अलाउद्दीन के दरबार में ही रहते थे।

तुगलक वंष (1320-1414)



43-तुगलक वंष की स्थापना गयासुद्दीन तुगलक ने की। इसका असली नाम था गाजी मलिक।
44-नहरों का निर्माण और अकाल संहिता का निर्माण वाला षासक था।
45-गयासुद्दीन ने दिल्ली के पास तुगलकाबाद बसा राजधानी बनाया।
46-वारंगल और मदुरै में षासन की स्थापना के लिए गयासुद्दीन ने  जूना खां को भेजा था।

मोहम्मद बिन तुगलक



47-जूना खां की मोहम्मद बिन तुगलक था।
48-जूना खां को बुद्धिमान मूर्ख भी कहा जाता है।
49-मोहम्मद बिन तुगलक या जूना खां के प्रमुख पांच फैंसलेः-

1-अकाल और प्लेग के समय दोआब में कर बढाना2-1327 में दिल्ली से देवगिरी राजधानी स्थानान्तरण3-खुरासन पर हमला कर जीतने का अभियान4-कराचिल अभियान5-चांदी के स्थान पर तांबे की मुद्रा का चलन
50-मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए दीवान ए कोही की स्थापना की।

फिरोजषाह तुगलक



51-धार्मिक आधार पर उलेमा की सलाह पर इस्लामिक राज्य की स्थापना करने वाला षासक।
52-वहषासक जो सैनिक व्यवस्था की दृष्टि से विफल रहा-फिरोजषाह । इसने सैनिकों को नगद वेतन की जगह भूमि दान दी और सेना में वंषवाद को बढावा दिया।
53-फिरोजषाह ने ही ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया।
54-फिरोजषाह ने अपनी आत्मकथा फुतूहित ए फिरोजषाही लिखी।
55-फिरोजषाह के काल में इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने  तारीख ऐ फिरोजषाही लिखी।
56-फतवा ए जहांदारी का लेखक भी बरनी ही था।
57-नसीरूद्दीन महमूद तुगलक के काल में 1398 में तैमूर लंग ने  भारत पर आक्रमण किया। वह मध्य एषिया से आया था।
58-तैमूर वापिस जाते समय खिज्र खां को षासन सौंप गया। सैयद वंष(1414-1451)
59-खिज्र खां ने सैयद वंष की स्थापना की थी।
60-दिल्ली पर राज करने वाला यह एक मात्र षासक षिया था।

लोदी वंष(1451-1526)



61-सल्तनत काल का अंतिम राजवंष लोदी राजवंष था। इसके बाद मुगल काल आता है।
62-लोदी वंष का संस्थापक बहलोल लोदी था। 
63-सल्तनत काल का प्रथम अफगान राजवंष लोदी वंष ही था।
64-सिकन्दर लोदी ने भूमि की पैमाइष के लिए गज ए सिकन्दरी चलाया।
65-सल्तनत काल में गुप्तचर प्रणाली का गठन सिकन्दर लोदी ने ही किया।
66-आगरा षहर 1504 में सिकन्दर लोदी ने बसाया था।
67-आगरा को सिकन्दर लोदी ने 1506 में राजधानी बनाया।
68-सिकन्दर लोदी ने कुतुबमीनार की मरम्मत कराई।
69-गुलरूखी सिकन्दर लोदी का ही कविनाम था। इस नाम से वह फारसी में कविताएं लिखता था।
70-दिल्ली सल्तनत और लोदी वंष का अंतिम षासक इब्राहिम लोदी।

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