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मगध साम्राज्य और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तरनमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका मेरे ब्लाॅग न्यूजसपाटा पर। उम्मीद है आपकी सीटेट CTET की तैयारी अच्छी चल रही होगी और आप सभी 110 से अधिक स्कोर करेंगे। ऐसा मेरी उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है। हमारी टीम की तरफ से आपके लिए यहां CTET SST सीटेट एसएसटी के महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी होंगे। क्योंकि ये वे प्रश्न हैं जो कि अनेक बार CTET सीटेट, UPTET यूपीटेट, HTET एचटेट, RTET आरटेट, REET रीट, CGTET सीजीटेट और Teacher Exam अध्यापक भर्ती परीक्षाओं में पूछे गए हैं और इनके आने की प्रबल संभावना है। बस आप नियमित रूप से इनका अध्ययन करें तो आपको 110 से अधिक स्कोर करने से कोई नहीं रोक पाएगा।
-मगध की राजधानियां-पाटलीपुत्र और राजगृह
-पडौसियों के विरूद्ध हाथियों का प्रयोग करने वाला पहला साम्राज्य-मगध
-मगध साम्राज्य का महत्व वास्तविक रूप से स्थापित करने वाला शासक-हर्यकवंश का बिम्बसार था ।
-बिम्बसार ने अंग राज्य जीत मगध में मिलाया और पुत्र आजातशत्रु को वहां का शासक बनाया।
-मगध की आरंभिक राजधानी-राजगृह या गिरीव्रज।
-बिम्बसार को मत्स्य पुराण में क्षेत्रौजस और जैन साहित्य में-श्रोणिक कहा गया।
-बिम्बसार का राजवैध-जीवक
-बिम्बसार के बाद अजातशत्रु राजा बना और उसने काशाी और वज्जीसंघ को मगध में मिलाया।
-वज्जीसंघ के खिलाफ युध में पहली बार अजातशत्रु की ओर से नए हथियारों महाशिलाकंटक और रथमूसल का प्रयोग किया गया था।
-महात्मा बुध के निर्वाण के समय अजातशत्रु ही मगध का शासक था।
-प्रथम बौध संगीती अजातशत्रु के काल में हुई थी। जिसमें बुध की शिक्षाओं को सुत पिटक और विनय पिटक के रूप में लिपीबध किया गया।
-अजातशत्रु के बाद उसका पुत्र उदयिन उसका उत्तराधिकारी बना।
-उदयिन ने गंगा और शोण नदियों के संगम पर कुसुमपुर बसाया जिसे आज पाटलीपुत्र कहा जाता है।
-उदयिन ने पाटलीपुत्र को मगध की राजधानी बनाया।
-उदयिन जैन मतावलंबी था।
-शिशुनागवंश के शिशुनाग ने अवन्ती और वत्सराज को मगध में मिलाया।
-कालाशोक या काकवर्ण ने वैशाली के स्थान पर फिर से पाटलीपुत्र को मगध की राजधानी बनाया।
-कालाशोक के समय में ही दूसरी बौध संगीती का आयोजन किया गया था। यह उसके शासन का दसवां वर्ष था।
-दूसरी बौध संगीती बुध की मृत्यु के सौ वर्ष बाद हुई थी।
-नंद वंश का शासक महापदमनंद था और यह शूद्र था। ऐसा पुराणों में कहा गया है।
-धनानंद महापदमनंद का आठवां पुत्र था।
-धनानंद के शासनकाल में ही सिकंदर ने 325 ईपू पश्चिमी तट पर आक्रमण किया।
- घनानंद को मारकर चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्यवंश की नींव डाली।
-मौर्य साम्राज्य वंशानुगत शासन पद्धति पर संचालित था।
-मौर्य शासन की स्थापना 324 ईपू चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी।
-इसी काल में चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा, लेकिन यह राजनीतिक ग्रंथ है।
-ब्राहम्ण साहित्य चंद्रगुप्त को शूद्र और जैन व बौघ साहित्य उसे क्षत्रिय मानते हैं।
-विशाखदत्त ने मुद्रा राक्षस नाटक लिखा जिसमें उसे वृषल यानि निम्न कुल से उत्पन्न बताया गया है।
-चंद्र गुप्त का एक नाम सेंड्रोकोटस था जो कि स्टेªबो, फिलार्कस और जस्टिन ने दिया था।
-चंद्रगुप्त को एंड्रोकोटस नाम प्लूटार्क और एरियन ने दिया था।
-सेंड्रोकोटस का अर्थ चंद्रगुप्त है यह बात सबसे पहले विलियम जोंस ने बताई थी।
-चंद्रगुप्त ने सेल्युकस निकेटर को हरा उसकी पुत्री हेलेना से विवाह किया था।
-मैगस्थनीज सेल्युकस निकेटर की ओर से चंद्रगुप्त मौर्य के समय राजदूत था। उसने इंडिका ग्रंथ लिखा।
-पाटलीपुत्र में इस समय 570 बुर्ज और 64 द्वार थे।
-इंडिका में इस काल में दास प्रथा का उल्लेख नहीं मिलता है।
-चंद्रगुप्त का पुत्र बिंदुसार था जिसे अमित्रोेचेटस कहते थे।
-वायु पुराण में बिंदुसार को मद्रसार और जैन ग्रंथों में सिंहसेन कहा गया है।
-बिंदुसार के दरबार में यूनानी शासक एंटीयोकस प्रथम ने डायमेकस नामक राजदूत भेजा था।
-मिस्र के राजा फिलाडेल्फस टालमी द्वितीय ने डायनिसीयस को राजदूत बनाकर बिंदुसार के दरबार में भेजा था।
-बिंदुसार के बाद अशोक 273 ईपू गद्दी पर बैठा, लेकिन राज्यभिषेक 269 ईपू हुआ।
-देवानामप्रिय अशोक का ही उपनाम था।
-अशोक नाम का उल्लेख मस्की, गुर्जरा, निट्टूर, उद्गोलन अभिलेख में मिलता है।
-अशोक के अभिलेख प्राकृत और देवनागरी में हैं।
-अशोक ने 261 कलिंग वर्तमान उडीसा पर आक्रमण किया।
-अशोक के अभिलेख पढने में सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने 1837 में पढे।
-धर्म की स्थापना के लिए अशोक ने धम्म महामात्त की नियुक्तियां की थी।
क्रमश: ..............अगले अंक में .........|
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