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Monday, May 27, 2019

CTET Preparation In Hindi | CTET Social Study Notes | CTET Online Classes Social Science | CTET Study Material in Hindi PDF | CTET Social Science Notes PDF in Hindi

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महाजनपद / जनपद काल

-बुध के जन्म से पहले ही 16 जनपद थे
-16 महाजनपदों की सूची बुध के समय अंगुत्तर निकाय में और जैनग्रंथ भगवती सूत्र में मिलती है।
-16 जनपदों में केवल वज्जी और मल्ल ही गणतंत्र थे। बाकी में राजतंत्र था।

सभी 16 महाजनपद, उनकी राजधानियां और महत्वपूर्ण चीजें

1 अंग- चंपा
2 काशी- वाराणसी
3 मगध- गिरीव्रज या राजगृह
4 अवन्ती- उज्जयनी या महिश्मती-इसे शिशुनाग ने जीतकर मगध राज्य में मिलाया था।
5 वत्स- कौशाम्बी-पौरव वंश का शासन-व्यापारिक नगर
6 गंधार- तक्षशिला-विद्या का प्रमुख केन्द्र
7 कम्बोज- हाटक
8 कुरू- इन्द्रप्रस्थ-पहले राजतं़त्र था बाद में यह भी गणतंत्र हो गया।
9 पांचाल- काम्पिल्य या अहिछत्र-द्रोपदी का पीहर था।
10 अश्मक- पोतन या पोटली-यह गोदवरी नदी के तट पर था। दक्षिण भारत में स्थित।
11 मल्ल- कुशीनारा या पावापुरी या कुशीनगर-महात्माबुध और महावीर स्वामी को परिनिर्वाण यहीं प्राप्त हुआ। यह गणपतंत्र था।
12 चेदी- शुक्तिमति-शिशुपाल यहीं का शासक था, जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया। श्रीकृष्ण वृष्णि कबीले के थे।
13 शूरसेन- मथुरा-युनानी लेखकों ने मथुरा को मेथुरा कहा है।
14 मत्स्य- विराटनगर-
15 वज्जी- विदेह या मिथिला-यह आठ कुलों का संघ था तथा लिच्छवियों की राजधानी भी था। यह गणपतंत्र था।
16 कौशल- श्रीवस्ती, श्रावस्ती, अयोध्या
-वार्ताशास्त्रोपजीविनः किसे कहा है।-गंधार व कम्बौज के क्षत्रियों को कहा है।

जैन धर्म से संबंधित प्रश्न उत्तर

-प्रथम तीर्थंकर-ऋषभदेव
-जैन धर्म को व्यवस्थित रूप प्रदान करने का श्रेय 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ को है। 
-पाश्र्वनाथ बनारस के राजकुमार थे।
-पाश्र्वनाथ के अनुयायी निर्गन्थ कहलाए।
-पाश्र्वनाथ के पिता का नाम अश्वसेन था और वे इक्ष्वाकु वंश के थे। भगवान राम भी इसी वंश के थे।
-पाश्र्वनाथ ने 30 वर्ष की अवस्था में घर छोडा।
-पाश्र्वनथ को 100 वर्ष की आयु में सम्मेद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
महावीर स्वामी
-जैन धर्म को लोकप्रिय बनाने वाले 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी थे।
-इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक भी कहा जाता है।
-जन्म-540 ईपू-कुंडग्राम में
-पिता-सिधार्थ-ज्ञातृक कुल के क्षत्रिय-माता त्रिशला-लिच्छवी की राजकुमारी थी।
-बचपन का नाम-वर्धमान
-पत्नी-यशोदा-पुत्री-अणोज्जा प्रियदर्शनी-जमाली दामाद।
-भगवान महावीर के प्रथम शिष्य  उनके दामाद जमाली ही थे।
-गृह त्याग-30 वर्ष में।
-कैवल्य प्राप्ति-42 वर्ष की आयु में-ऋजुपालिका नदी-साल वृक्ष-जृम्भिकाग्राम में।
-उपाधियां-जिन, केवलिन, अर्ह (योग्य), निग्र्रन्थ (बंधन रहित), निगन्ठनाथपत ( बौधसाहित्य में )।
-मृत्यु-पावापुरी-72 वर्ष-468 ईपू।
-प्रथम जैन भिक्षुणी-चन्दना थी और ये चंपा की राजकुमारी थी। इसीलिए चंपानगरी को जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र माना जाता है।
-महावीर स्वामी की मृत्यु के बाद तक 10 गणधरों में से एकमात्र जीवित रहने वाला गणधर-सुधर्मण
-महावीर स्वामी मृत्यु के बाद जैन संघ का प्रमुख-सुधर्मण

जैन धर्म के 6 दृव्य

1 जीव,
2 पुदगल ( भौतिक तत्व या पदार्थ )
3 धर्म
4 अधर्म
5 आकाश
6 काल

जैन धर्म के चार महाव्रत (पाश्र्वनाथ के अनुसार )

1 अहिंसा
2 सत्य
3 अपरिग्रह
4 आस्तेय

-इसमें पांचवा महाव्रत

5 ब्रह्मर्च महावीर स्वामी ने जोडा । इस प्रकार पंचमहाव्रत कहलाए।

जैन धर्म के त्रिरत्न

1 सम्यक श्रद्धा
2 सम्यक ज्ञान
3 सम्यक आचरण ।

जैन धर्म के पंथ

श्वेताम्बर और दिगम्बर हैं। बाद में तेरहपंथी और अन्य पंथ भी बने।

जैन महासंगीतियां

प्रथम- 322से 298 ईपू- पाटलीपुत्र- स्थमलभद्र की अध्यक्षता में ।
दूसरी- 512 ई में- वल्लभी में- देवर्धि क्षमाश्रवण की अध्यक्षता में।

-जैन संगीतियों में जैन धर्मग्रंथों का संकलन कर उन्हें लिपिबध कर सग्रहित किया गया।
-जैन ग्रंथों की भाषा प्राकृत है।
-पूर्व - वे 14 ग्रंथ जिनमें महावीर स्वामी के मौलिक सिद्धांतों का वर्णन है।
-बाद में इन्हें 12 अंग और 12 उपांगों में विभातिज कर दिया गया।

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