CTET Preparation In Hindi | CTET Social Study Notes | CTET Online Classes Social Science | CTET Study Material in Hindi PDF | CTET Social Science Notes PDF in Hindi | लेसन 3 |
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका मेरे ब्लाॅग न्यूजसपाटा पर। उम्मीद है आपकी सीटेट CTET की तैयारी अच्छी चल रही होगी और आप सभी 110 से अधिक स्कोर करेंगे। ऐसा मेरी उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है। हमारी टीम की तरफ से आपके लिए यहां CTET SST सीटेट एसएसटी के महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो कि आपके लिए उपयोगी होंगे। क्योंकि ये वे प्रश्न हैं जो कि अनेक बार CTET सीटेट, UPTET यूपीटेट, HTET एचटेट, RTET आरटेट, REET रीट, CGTET सीजीटेट और Teacher Exam अध्यापक भर्ती परीक्षाओं में पूछे गए हैं और इनके आने की प्रबल संभावना है। बस आप नियमित रूप से इनका अध्ययन करें तो आपको 110 से अधिक स्कोर करने से कोई नहीं रोक पाएगा।
महाजनपद / जनपद काल
-बुध के जन्म से पहले ही 16 जनपद थे-16 महाजनपदों की सूची बुध के समय अंगुत्तर निकाय में और जैनग्रंथ भगवती सूत्र में मिलती है।
-16 जनपदों में केवल वज्जी और मल्ल ही गणतंत्र थे। बाकी में राजतंत्र था।
सभी 16 महाजनपद, उनकी राजधानियां और महत्वपूर्ण चीजें
1 अंग- चंपा2 काशी- वाराणसी
3 मगध- गिरीव्रज या राजगृह
4 अवन्ती- उज्जयनी या महिश्मती-इसे शिशुनाग ने जीतकर मगध राज्य में मिलाया था।
5 वत्स- कौशाम्बी-पौरव वंश का शासन-व्यापारिक नगर
6 गंधार- तक्षशिला-विद्या का प्रमुख केन्द्र
7 कम्बोज- हाटक
8 कुरू- इन्द्रप्रस्थ-पहले राजतं़त्र था बाद में यह भी गणतंत्र हो गया।
9 पांचाल- काम्पिल्य या अहिछत्र-द्रोपदी का पीहर था।
10 अश्मक- पोतन या पोटली-यह गोदवरी नदी के तट पर था। दक्षिण भारत में स्थित।
11 मल्ल- कुशीनारा या पावापुरी या कुशीनगर-महात्माबुध और महावीर स्वामी को परिनिर्वाण यहीं प्राप्त हुआ। यह गणपतंत्र था।
12 चेदी- शुक्तिमति-शिशुपाल यहीं का शासक था, जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया। श्रीकृष्ण वृष्णि कबीले के थे।
13 शूरसेन- मथुरा-युनानी लेखकों ने मथुरा को मेथुरा कहा है।
14 मत्स्य- विराटनगर-
15 वज्जी- विदेह या मिथिला-यह आठ कुलों का संघ था तथा लिच्छवियों की राजधानी भी था। यह गणपतंत्र था।
16 कौशल- श्रीवस्ती, श्रावस्ती, अयोध्या
-वार्ताशास्त्रोपजीविनः किसे कहा है।-गंधार व कम्बौज के क्षत्रियों को कहा है।
जैन धर्म से संबंधित प्रश्न उत्तर
-प्रथम तीर्थंकर-ऋषभदेव-जैन धर्म को व्यवस्थित रूप प्रदान करने का श्रेय 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ को है।
-पाश्र्वनाथ बनारस के राजकुमार थे।
-पाश्र्वनाथ के अनुयायी निर्गन्थ कहलाए।
-पाश्र्वनाथ के पिता का नाम अश्वसेन था और वे इक्ष्वाकु वंश के थे। भगवान राम भी इसी वंश के थे।
-पाश्र्वनाथ ने 30 वर्ष की अवस्था में घर छोडा।
-पाश्र्वनथ को 100 वर्ष की आयु में सम्मेद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ।
महावीर स्वामी
-जैन धर्म को लोकप्रिय बनाने वाले 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी थे।
-इन्हें जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक भी कहा जाता है।
-जन्म-540 ईपू-कुंडग्राम में
-पिता-सिधार्थ-ज्ञातृक कुल के क्षत्रिय-माता त्रिशला-लिच्छवी की राजकुमारी थी।
-बचपन का नाम-वर्धमान
-पत्नी-यशोदा-पुत्री-अणोज्जा प्रियदर्शनी-जमाली दामाद।
-भगवान महावीर के प्रथम शिष्य उनके दामाद जमाली ही थे।
-गृह त्याग-30 वर्ष में।
-कैवल्य प्राप्ति-42 वर्ष की आयु में-ऋजुपालिका नदी-साल वृक्ष-जृम्भिकाग्राम में।
-उपाधियां-जिन, केवलिन, अर्ह (योग्य), निग्र्रन्थ (बंधन रहित), निगन्ठनाथपत ( बौधसाहित्य में )।
-मृत्यु-पावापुरी-72 वर्ष-468 ईपू।
-प्रथम जैन भिक्षुणी-चन्दना थी और ये चंपा की राजकुमारी थी। इसीलिए चंपानगरी को जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र माना जाता है।
-महावीर स्वामी की मृत्यु के बाद तक 10 गणधरों में से एकमात्र जीवित रहने वाला गणधर-सुधर्मण
-महावीर स्वामी मृत्यु के बाद जैन संघ का प्रमुख-सुधर्मण
जैन धर्म के 6 दृव्य
1 जीव,2 पुदगल ( भौतिक तत्व या पदार्थ )
3 धर्म
4 अधर्म
5 आकाश
6 काल
जैन धर्म के चार महाव्रत (पाश्र्वनाथ के अनुसार )
1 अहिंसा2 सत्य
3 अपरिग्रह
4 आस्तेय
-इसमें पांचवा महाव्रत
5 ब्रह्मर्च महावीर स्वामी ने जोडा । इस प्रकार पंचमहाव्रत कहलाए।जैन धर्म के त्रिरत्न
1 सम्यक श्रद्धा2 सम्यक ज्ञान
3 सम्यक आचरण ।
जैन धर्म के पंथ
श्वेताम्बर और दिगम्बर हैं। बाद में तेरहपंथी और अन्य पंथ भी बने।जैन महासंगीतियां
प्रथम- 322से 298 ईपू- पाटलीपुत्र- स्थमलभद्र की अध्यक्षता में ।दूसरी- 512 ई में- वल्लभी में- देवर्धि क्षमाश्रवण की अध्यक्षता में।
-जैन संगीतियों में जैन धर्मग्रंथों का संकलन कर उन्हें लिपिबध कर सग्रहित किया गया।
-जैन ग्रंथों की भाषा प्राकृत है।
-पूर्व - वे 14 ग्रंथ जिनमें महावीर स्वामी के मौलिक सिद्धांतों का वर्णन है।
-बाद में इन्हें 12 अंग और 12 उपांगों में विभातिज कर दिया गया।
No comments:
Post a Comment