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मौर्य साम्राज्य इन पिछले अंक से आगे ........
-मौर्य साम्राज्य पांच शासन इकाइयों में बंटा था। पांचवी इकाई अशोक ने जोडी थी।
-पांचों शासन इकाइयों को चक्र कहा जाता था।
पांच प्रांत और राजधानियां
1 उत्तरापथ-तक्षशिला2 दक्षिणापथ-सुवर्णगिरी
3 अवन्ति राष्ट्र-उज्जयीनि
4 कलिंग-तोसली
5 प्राची-पाटलीपुत्र
-मौर्य साम्राज्य की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी जिसका मुखिया ग्रामिक होता था।
-ग्राम के चार भाग व अन्य महत्वपूर्ण बातें
स्थानीय-800 गांवों का समूहद्रोणमुख-400 गांवों का समूह
खार्वटिक-200 गांवों का समूह
संग्रहण-100 गांवों का समूह
ग्राम भोजक-गांव का प्रधान व्यक्ति-वंशानुगत
गृहपति-किसान
दास-कर्मकार कहलाता था।
वेल्ला-बडे भूस्वामी
उणवार-साधारण हलवाहे या किसान
कडैसियार-भूमिहीन मजदूर
अदिमई-दास
-भारत में पहली बार जन्म-मृत्यु पंजीकरण का कार्य मौर्यकाल में किया गया था।
नगर शासन व्यवस्था
-मेगस्थनीज कहता है नगर शासन व्यवस्था एक मंडल करता था।-मंडल में 6 समितियां थी। प्रत्येक समिति में पांच सदस्य थे।
समितियां
1 उद्योग शिल्प निरीक्षण समिति2 विदेशियों की देखरेख
3 जन्म-मृत्यु लेखा जोखा
4 व्यापार वाणिज्य
5 निर्मित वस्तुओं का विक्रय समिति या विपणन समिति
6 निरीक्षण या बिक्रीकर वसूल समिति
-उपधा परीक्षण-मंत्री परिषद के सदस्यों का चरित्र सत्यापन करने की प्रक्रिया।
वेतन
मंत्री परिषद सदस्य-12000 पण वार्षिकपुरोहित, सेनापति, सन्निधाता, युवराज-48000 पण वार्षिक
निचले स्तर पर-60 पण
-मौर्य साम्राज्य में तीर्थ उच्चाधिकारी कहलाते थे। कुल 18 थे-इन्हें महामात्र भी कहते थे।तीर्थों के नाम और संबंधित विभाग
1 प्रधानमंत्री2 पुरोहित
3 सेनापति
4 युवराज
5 समाहार्ता-राजस्व विभाग
6 सन्निधाता-कोषाध्यक्ष
7 प्रदेष्टा-न्यायाधीश (फौजदारी)
8 नायक-नगर रक्षक
9 कर्मान्तिक-उद्योग मंत्री
10 दण्डपाल-पुलिस अधिकारी
11 व्यावहारिक-नगर का प्रमुख न्यायाधीश
12 नागरक या पौर-नगर कोतवाल
13 दुर्गपाल
14 अन्तपाल-समीपवर्ती दुर्गों का रक्षक
15 आटविक-वन विभाग
16 दौवारिक-राजमहलों की देखभाल
17 आन्र्तवैशिक-अन्तःपुर रक्षक
18 मंत्रीपरिष अध्यक्ष
प्रमख टैक्स
भाग-उपज का हिस्साप्रणय-आपातकालीन कर
सीता-राजकीय भूमि से आय का हिस्सा
प्रवेश्य- आयातकर यह 20 प्रतिशत था।
बलि-भू राजस्व
हिरण्य-नगद लिया जाता था।
विष्टी-बेगार
सेतुबंध-सिंचाई प्रबंध को सेतुबंध कहते थे
क्रमशःःःःःःःःःःः
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