upanishads in hindi | Sanskrit Sahitya ka Itihas in Hindi | संस्कृत साहित्य | उपनिषद | यजुर्वेद के उपनिषद | शुक्ल यजुर्वेद के उपनिषद
Upanishads in Hindi |
इसके नाम याद रखने जरूरी हैं। इन्हें हम इस श्लोक से याद रख सकते हैं।
ईश-केन-कठ-प्रश्न-मुण्ड-माण्डूक्य-तित्तिरि:।
ऐतरेयं च छान्दोग्यं ब्रहदारण्यकं तथा।।
लेकिन इसके नाम के साथ विषयवस्तु और उन प्रश्नों को भी याद रखना जरूरी है जो कि एग्जाम्स में आते हैं। तभी सही मायने में हमारा संस्कृत पढऩा सफल होगा। क्योंकि आज के जमाने में एक नौकरी जरूरी ताकि संस्कृत से जीवकोपार्जन हो सके।यहां हम आपको यजुर्वेद के शुक्ल यजुर्वेद और कृष्ण यजुर्वेद के उपनिषदों और उनके महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर बता रहे हैं।
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ईशोपनिषद
१ ईशोपनिषद संबंधित है।
-शुक्ल यजुर्वेेद से
२ ईशोपनिषद में पद्यात्मक मंत्रों की संख्या है।
-18
३ शुक्ल यजुर्वेद का 40वां अध्याय कहलाता है।
-ईशोपनिषद ।
४ मरणोन्मुख पुरुष द्वारा की जाने वाली प्रार्थनाएं दी गई हैं।
-ईशोपनिषद में।
बृहदारण्यकोपनिषद
५ बृहदारण्यकोपनिषद संबंधित है।
-शुक्ल यजुर्वेद से
६ शुक्ल यजुर्वेद के शतपथ ब्राह्मण के अंतिम 6 अध्याय कहलाते हैं ।
- बृहदारण्यकोपनिषद
७ बृहदारण्यकोपनिषद है ।
-विशालकाय गद्यात्मक उपनिषद
८ गद्यात्मक ब्राह्मण शैली के उपनिषद हैं।
-बृहदारण्यकोपनिषद, छान्दोग्योपनिषद, तैत्तिरीयोपनिषद, ऐतरेयोपनिषद और कौषीतक्युपनिषद ।
९ बृहदारण्यकोपनिषद का विभाजन बताइये।
- तीन कांड और प्रत्येक में दो दो अध्याय
१० बृहदारण्यकोपनिषद के तीनों कांडों के नाम बताइये।
- मधुकांड, याज्ञवलक्य कांड और खिल कांड
११ ईशोपनिषद का प्रथम मंत्र है।
-ईशवास्यमिदं सर्वम् ...।
१२ बृहदारण्यकोपनिषद का पूर्ण विभाजन बताइये ।
-कांड-अध्याय-ब्राह्मण-खंड
१३ बृहदारण्यकोपनिषद में कुल ब्राह्मणों की संख्या है।
-47
१४ बृहदारण्यकोपनिषद के प्रमुख ऋषि हैं।
-याज्ञवलक्य
१५ पद्यात्मक उपनिषद हैं।
-कठ, ईश, श्वेताश्वतर, महानारायण ।
१६ गद्यात्मक उपनिषद हैं।
-प्रश्न, मैत्रायणी, मांडुक्य ।
१७ गाग्र्य (बालाकि) और अजातशत्रु संवाद संबंधित है।
-बृहदारण्यकोपनिषद से।
१८ याज्ञवलक्य-मैत्रेयी संवाद है।
बृहदारण्यकोपनिषद के दूसरे व चतुर्थ अध्याय में ।
१९ मधुविद्या का विवेचन है।
-बृहदारण्यकोपनिषद के दूसरे अध्याय के पंचम ब्राह्मण में।
(इसमें ब्रह्म की व्याख्या मधु शब्द से बताई गई है।)
२० बृहदारण्यकोपनिषद के छठें अध्याय में वर्णित है।
-श्वेतकेतु व प्रवाहण जैवाली के मध्य संवाद
तैत्तिरियोपनिषद
२१ तैत्तिरीयारण्यक के सप्तम से नवम प्रपाठक कहलाते हैं।
-तैत्तिरियोपनिषद
२२ तैत्तिरियोपनिषद में प्रपाठकों को क्या कहा गया है।
-अध्याय
२३ तैत्तिरियोपनिषद में अध्याय कितने हैं। उनके नाम भी बताइये।
-तीन अध्याय हैं। उनके नाम हैं:-शिक्षावल्ली, ब्रह्मानन्द वल्ली और भृगुवल्ली।
२४ तैत्तिरियोपनिषद में वल्लियों का अवान्तर विभान है।
-अनुवाकों में (अध्याय-वल्ली-अनुवाक)
२५ तैत्तिरियोपनिषद में प्रत्येक वल्ली में अनुवाक कितने हैं।
-शिक्षा वल्ली में 12, ब्रह्मानंद वल्ली में 9 और भृगु वल्ली में 10 अनुवाक हैं।
२६ आचार्य द्वारा स्नातक को दिए गए उपदेश संकलित हैं।
-शिक्षा वल्ली में
२७ पिता वरुण से भृगु की ज्ञान प्राप्ति का आख्यान है।
-भृगुवल्ली में।
२८ तैत्तिरियोपनिषद संबंधित है।
-कृष्ण यजुर्वेद से।
कठोपनिषद
-कृष्ण यजुर्वेद से।
३० कठोपनिषद गद्यात्मक है या पद्यात्मक।
-कुछ मंत्रों को छोडक़र गद्यात्मक है।
३१ कठोपनिषद में कितने अध्याय और कितनी वल्लियां हैं।
-दो अध्याय और प्रत्येक में तीन-तीन वल्लियां। कुल 6 वल्लियां।
३२ कठोपनिषद के किस अध्याय में यम-नचिकेता संवाद है।
-प्रथम अध्याय में।
३३ नचिकेता यम से कितने वर मांगता है।
-तीन वर मांगता है।
३४ नचिकेता यम से कौन कौन से तीन वर मांगता है।
१-पिता का कोप शांत हो ।
२ स्वर्गप्रद अग्निविद्या ।
३ आत्मतत्व का ज्ञान ।
३५ यम ने श्रेय और प्रेय का ज्ञान नचिकेता को दिया। श्रेय और प्रेय क्या हैं।
-श्रेय मतलब आध्यात्मिक उपलब्धि और प्रेय मतलब भौतिक सुख
३६ नचिकेता ने श्रेय और प्रेय में से किसे चुना।
-श्रेय विद्या को चुना।
३७ यम ने नचिकेता को आत्मा और शरीर का संबंध किस रूपक से बताया।
-रथ रूपक से
३८ कठोपनिषद के दूसरे अध्याय में बताया गया है।
-आत्मा की व्यापकता।
३९ कठोपनिषद के दूसरे अध्याय की विषय वस्तु कहलाती है।
-प्रोक्ता
श्वेताश्वतरोपनिषद
४१ श्वेताश्वतरोपनिषद में अध्याय हैं।
- 6
४२ सांख्य दर्शन का मौलिक सिद्धांत बताया गया है।
-श्वेताश्वतरोपनिषद में
४३ श्वेताश्वतरोपनिषद के 6 अध्यायों की विषय वस्तु संक्षिप्त में बताइये ।
- प्रथम अध्याय -ब्रह्म की व्यापकता का साक्षात्कार
- द्वितीय अध्याय - योग वर्णन
- तृतीय अध्याय - ईश्वर की स्तुति रुद्र के रूप में की गई है।
- चतुर्थ अध्याय -एकात्म ब्रह्म की माया का वर्णन किया गया है। जिसमें त्रिगुणात्मक सृष्टि होती है।
- पंचम अध्याय -परमात्मका के जीवरूप में शरीर धारण का वर्णन है।
- षष्ठम अध्याय - एकरूप ब्रह्म का र्णन देव के रूप में किया गया है।
४४ श्वेताश्वतरोपनिषद है।
-पद्यात्मक है।
मैत्रायणी उपनिषद
४५ मैत्रायणी उपनिषद संबंधित है।
-कृष्ण यजुर्वेद से।
४६ मैत्रायणी उपनिषद में प्रपाठकों की संख्या है।
-7
४७ मैत्रायणी उपनिषद है।
-गद्यात्मक
४८ सबसे अर्वाचीन उपनिषद है।
-मैत्रायणी उपनिषद
४९ राजा बृहद्रथ और शकायन ऋषि संवाद है।
-मैत्रायणी उपनिषद में
५० राजा बृहद्रथ और शकायन ऋषि संवाद में पूछे गए तीन प्रश्न बताइये।
- आत्मा का भौतिक शरीर में प्रवेश
- परमात्मा का भूतात्मा में परिणमन
- मुक्ति का उपाय
५१ मैत्रायणी उपनिषद में प्रकृति के 3 गुणों का उद्भव बताया है।
-ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र से
५२ ब्रह्म की चार अवस्थाएं बताई गई हैं।
-मैत्रायणी उपनिषद में
महानारायणोपनिषद
५३ महानारायणोपनिषद संबंधित है।
-कृष्ण यजुर्वेद से
५४ कृष्ण यजुर्वेद के तैत्तिरीयारण्यक का दशम प्रपाठक कहलाता है।
-महानारायणोपनिषद
५५ महानारायणोपनिषद काफी लंबी उपनिषद है। इसका विभाजन है।
-अस्त-व्यस्त है
५६ महानारायणोपनिषद पर भाष्य लिखा है।
-सायण ने
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