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Thursday, May 17, 2018

Important Q & A of Vedas and their Brahmins, ब्राह्मण ग्रंथों के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वेद और उनके ब्राह्मण ग्रन्थ

 

Important Q & A of Vedas, Brahmins, Aranyak Granth

वेद, ब्राह्मण, आरण्यक ग्रंथों के महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

Brahmins, ब्राहमण ग्रंथ


1 ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ हैं
- ऐतरेय, कौषीतकी या शांखायन
2 शुक्ल यजुर्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ हैं
- शतपथ ब्राह्मण
3 कृष्ण यजुर्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ हैं
- तैत्तिरीय और मैत्रायणी
4 सामवेद के ब्राह्मण गं्रथ हैं
- पंचविंश (प्रौढ़ या तांड्य), षडविंश, सामविधान, आर्षेय, दैवत, उपनिषद ब्राह्मण, संहितोपनिषद, वंश ब्राह्मण, जैमिनीय (तलवकार)
5 अथर्ववेद के ब्राह्मण हैं
- गोपथ (शौनक शाखा से संंबंध)


ऋग्वेद

6 ऐतरेय ब्राह्मण ऋग्वेद की किस शाखा से संबद्ध है
- शाकल शाखा से
7 ऐतरेय ब्राह्मण में कुल कितने अध्याय हैं
- 40 (ये 5-5 अध्यायों की पंचिकाओं में विभाजित हैं)
8 ऐतरेय ब्राह्मण के संकलन कर्ता हैं
-महिदास ऐतरेय
9 ऐन्द्र महाभिषेक का वर्णन है
- अष्टम पंचिका में
10 विभिन्न भारतीय जातियों का वर्णन है
- ऐतरेय ब्राह्मण में
11 प्रत्येक व्यक्ति पर तीन ऋण होते हैं। यह किस ब्राह्मण में कहा गया है।
-ऐतरेय ब्राह्मण में (देव, ऋषि और पितृ ऋण)
12 तीनों ऋण चुकाए जा सकते हैं ।
-पुत्रोत्पादन से
13 चरैवैति का आर्याेचित उपदेश दिया गया हैं।
- ऐतरेय ब्राह्मण में ।
14 ऐतरेय ब्राह्मण पर संस्कृत में भाष्य किसने लिखा ।
- सायण ने ।
15 ऐतरेय ब्राह्मण का हिन्दी अनुवाद किसने किया ।
- पंडित गंगाधर उपाध्या ने ।
16 ऐतरेय ब्राह्मण का अंग्रेजी में अनुवाद किसने किया ।
- ए.बी. की थ ने ।
17 हरिशचंद्रोपाध्यान संबंधित है ।
-ऐतरेय ब्राहमण से ।
18 कौषीतकी या शांखायन ब्राह्मण का संबंध ऋग्वेद की किस शाखा से है ।
- वाष्कल शाखा से ।
19 शांखायन ब्राह्मण में कुल कितने अध्याय हैं।
- 30
20 शांखायन ब्राह्मण में कुल कितने खंड हैं ।
- 226
21 शांखायन ब्राह्मण में प्रथम 6 अध्याय में वर्णन है।
- पाकयज्ञों का ।
22 शांखायन ब्राह्मण के शेष अध्यायों में किसका वर्णन है ।
- सामयोगों का ।
23 शांखायन और ऐतरेय ब्राह्मण में परवर्ती कौन है।
- शांखायन ।
24 रुद्र को सर्वप्रथम सर्वश्रेष्ठ कहां बताया गया है ।
- शांखायन ब्राह्मण में ।
25 किस ब्राह्मण काल में अग्नि को गौण व विष्णु को प्रधान स्थान मिलने लगा ।
- शांखायन ब्राह्मण काल में ।
26 मांस भक्षण का विरोध सबसे पहले किस काल में देखने को मिलता है ।
- शांखायन ब्राह्मण काल में ।
27 सगोत्र लोगों के साथ निवास पर बल दिया गया है ।
- शांखायन ब्राह्मण में।

यजुर्वेद


28 शुक्ल यजुर्वेद से संबद्ध एकमात्र ब्राह्मण है ।
- शतपथ ब्राह्मण ।
29 शतपथ ब्राह्मण में कुल कितने अध्याय हैं।
- 100
30 शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद की किन शाखाओं से संबंधित है ।
- माध्यन्दिन और कण्व शाखा से ।
31 माध्यन्दिन शतपथ ब्राह्मण का विभाजन बताइये ।
-14 कांड, 100 अध्याय और 7624 कंडिकाएं ।
32 कण्व शतपथ ब्राह्मण का विभाजन बताइये ।
-17 कांड, 104 अध्याय और 6806 कंडिकाएं ।
33 शतपथ ब्राह्मण के अंतिम ६ अधयाय संबंधित हैं।
- ज्ञान कांड से
34 शतपथ ब्राह्मण के ज्ञानकांड से संबंधित अंतिम 6 अध्याय क्या कहलाते हैं ।
- बृहदारण्यकोपनिषद ।
35 कृष्ण यजुर्वेद का एकमात्र स्वतंत्र ब्राह्मण ग्रंथ है।
- तैत्तिरीय ब्राह्मण ।
36 तैत्तिरीय ब्राह्मण में कितने कांड हैं।
- तीन
37 तैत्तिरीय ब्राह्मण में प्रथम और द्वितीय कांड कहलाते हैं ।
- अष्टक (8-8 अध्याय होने के कारण)
38 अष्टकों में मौजूद अध्याय कहलाते हैं ।
- प्रपाठक
39 अष्टकों में कितने अध्याय हैं।
- प्रत्येक अष्टक में 8-8 अध्याय हैं।
40 तैत्तिरीय ब्राह्मण के तीसरे कांड में कितने अध्याय हैं ।
-12 अध्याय
41 तैत्तिरीय ब्राह्मण के तीसरे कांड के अवान्तर विभाग क्या कहलाते हैं।
- अनुवाक
42 तैत्तिरीय ब्राह्मण के किस कांड में किन प्रपाठकों में अश्वमेध यज्ञ का वर्णन है। तीसरे कांड के 8वें तथा 9वें - - प्रपाठक में ।
43 तैत्तिरीय ब्राह्मण के किस कांड को परवर्ती माना जाता है ।
- तृतीयकांड को ।
44 मैत्रायणी संहिता का चतुर्थ अध्याय कहलाता है।
- मैत्रायणी ब्राह्मण ।
45 मैत्रायणी ब्राह्मण में कुल कितने अध्याय हैं।
- तीन
46 पर्वतोपाख्यान संबंधित है ।
- मैत्रायणी ब्राह्मण से।

सामवेद


47 सायण के अनुसार सामवेद में कितने ब्राह्मण हैं।
- आठ
49 सामवेद की तण्डिका शाखा से संबंधित ब्राह्मण है।
- ताण्ड्य ब्राह्मण ।
50 ताण्ड्य ब्राह्मण में कितने अध्याय हैं।
- 25
51 विशाल होने के कारण किस ब्राह्मण को प्रौढ़ या महाब्राह्मण भी कहा जाता है।
- ताण्ड्य ब्राह्मण को
52 ताण्ड्य ब्राह्मण को किस अध्याय में व्रात्य यज्ञों का वर्णन है ।
-17 वें में
53 ताण्ड्य ब्राह्मण का परशिष्ट कहलाता है।
- षडविंश ब्राह्मण ।
54 षडविंश ब्राह्मण के दो संस्करण कौन कौन से हैं ।
- जीवानन्द संस्करण, कोलकाता और तिरूपति संस्करण, तिरूपति ।
55 जीवानंद संस्करण में प्रपाठक हैं ।
- पांच
56 तिरूपति संस्करण में अध्याय हैं ।
- छह
57 जीवानंद और तिरूपति संस्करण के अवान्तर विभाजन हैं ।
- खंडों में ।
58 अद्भुद् ब्राह्मण किसे कहते हैं ।
- षडविंश ब्राह्मण को
59 सामविधान ब्राह्मण संबंधित है।
- तीन प्रकरणों में
60 सामविधान ब्राह्मण के प्रथम प्रकरण में वर्णन है ।
- व्रतों और काम्य प्रयोगों व प्रायश्चितों का ।
61 सामविधान ब्राह्मण का द्वितीय प्रकरण संबंधित हैं।
- पुत्र प्राप्ति के विविध प्रयोगों से ।
62 सामविधान ब्राह्मण के तृतीय प्रकरण में वर्णन है ।
- ऐश्वर्य, नवग्रह प्रवेश, आयुष्य संबंधित अनुष्ठानों से ।
63 आर्षेय ब्राह्मण में कितने प्रपाठक और खंड हैं।
- तीन प्रपाठक, 82 खंड ।
64 सामवेद के ऋषियों की अनुक्रमणी दी गई है ।
- आर्षेय और वंश ब्राह्मण में ।
65 सामवेद का सबसे छोटा ब्राह्मण है ।
- दैवत ब्राह्मण । इसमें तीन खंड हैं।
66 उपनिषद ब्राह्मण के कितने भाग और प्रपाठक हैं।
- 2 भाग और 10 प्रपाठक ।
67 उपनिषद ब्राह्मण के प्रथम भाग में कितने प्रपाठक हैं। उनके नाम बताइये।
-दो प्रपाठक हैं। उनके नाम हैं:- मंत्र ब्राह्मण और छान्दोग्य ब्राह्मण।
68 उपनिषद ब्राह्मण के द्वितीय भाग को क्या कहते हैं ।
- छान्दोग्योपनिषद ।
69 संहितोपनिषद में कितने खंड हैं।
- पांच
70 संहितोपनिषद का प्रत्येक खंड विभाजित है।
- सूत्रों में ।
71 वंश ब्राह्मण के कितने खंड हैं।
- तीन
72 सामवेद की जैमीनिय शाखा का ब्राह्मण ग्रंथ है ।
- जैमीनिय ब्राह्मण ।
73 जैमीनिय ब्राह्मण में कुल कितने अध्याय हैं।
- पांच
74 जैमीनीय ब्राह्मण के प्रथम तीन अध्याय संबंधित हैं।
- यज्ञ विधियों का।
75 जैमिनीय ब्राह्मण के चतुर्थ व पंचम अध्याय में समविष्ट है ।
- क्रमश : उपनिषद ब्राह्मण और आर्षेय ब्राह्मण

अथर्ववेद 


76 अथर्ववेद का एकमात्र ब्राह्मण ग्रंथ है।
- गोपथ ब्राह्मण ।
77 गोपथ ब्राह्मण के कितने भाग हैं। उनमें कितने कितने प्रपाठक और अध्याय हैं।
- दो भाग हैं। पूर्व गोपथ और उत्तर गोपथ । इनमें क्रमश : 5 प्रपाठक और 6 अध्याय हैं।
78 गोपथ ब्राह्मण के प्रपाठकों को विभाजित किया गया है ।
- कंडिकाओं में ।
79 गोपथ ब्राह्मण में कंडिकाओं की संख्या कितनी हैे।
- 258
80 किस ब्राह्मण ग्रंथ में अथर्ववेद की महिमा का गान किया गया है।
- गोपथ ब्राह्मण में ।
81 किस ब्राह्मण ग्रंथ में अथर्ववेद को प्रथम वेद माना गया है। और यह कहा गया है कि अथर्ववेद से ही तीनों वेदों और ओंकार की उत्पत्ती हुई है ।
- गोपथ ब्राह्मण में ।
82 किस ब्राह्मण ग्रंथ में ओम से संसार की उत्पत्ती बताई गई है।
-गोपथ ब्राह्मण में।
83 किस ब्राह्मण ग्रंथ में कहा गया है कि अन्य वेदों के अध्ययन से पूर्व अथर्ववद का अध्ययन करना चाहिए।
- गोपथ ब्राह्मण में ।

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