Meaning or Learning and definition's| अधिगम का अर्थ और परिभाषा - NEWS SAPATA

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Monday, June 11, 2018

Meaning or Learning and definition's| अधिगम का अर्थ और परिभाषा

Meaning or Learning and definition's

अधिगम ( Learning ) का अर्थ और परिभाषा 


अधिगम का शिक्षा के क्षेत्र में विशेष स्थान है। शिक्षा का सर्व प्रथम उद्देश्य ही सीखना है। इसलिए अधिगम को शिक्षा मनोविज्ञान का ह्रदय भी कहते हैं।हम सभी जानते हैं मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है। विभिन्न प्रकार के अनुभवों के कारण मनुष्य के स्वाभाविक व्यवहार में जो परिवर्तन होता है उस प्रक्रिया को मनोवैज्ञानिक अधिगम या सीखना कहते हैं।

उदाहरण :- जब कोई छोटा बच्चा जलती हुई दियासलाई को हाथ लगाता है तो उस का हाथ जल जाता है। इस अनुभव के चलते वह दूसरी बार जलती हुई किसी भी वस्तु को छूने का प्रयास नहीं करेगा। 

अधिगम (Learning ) की परिभाषाएं :-


गेट्स व अन्य :- " अनुभव के द्वारा व्यवहार में होने वाले परिवर्तन को सीखना या अधिगम कहते है। "
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार :- " सीखने के अंतर्गत आदतें , ज्ञान तथा व्यवहार को ग्रहण करना शामिल है। "
पाल के अनुसार :- " अधिगम, व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसार होता है।

अब इन परिभाषाओं के आधार पर कह सकते हैं कि :-



  1. अधिगम द्वारा मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन होता है।
  2. सीखना नए अनुभव ग्रहण करना है।
  3. अधिगम जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है।
  4. अधिगम एक सृजनात्मक पद्धति है।
  5. अधिगम स्थानान्तरित होता है।
  6. अधिगम / सीखना सार्वभौमिक है।
  7. अधिगम / सीखना एक प्रक्रिया है न कि परिणाम ।
  8. अधिगम एक मानासिक प्रक्रिया है।
  9. अधिगम प्रगति और विकास है।


अधिगम के स्वरूप के बारे में विभिन्न द्वाष्टिकोण / सिद्धान्त :-


व्यवहारवादी द्वाष्टिकोण :- अधिगम के बारे में व्यवहारवादियों का विचार है कि अधिगम अनुभव के परिणाम के तौर पर व्यवहार में परिवर्तन का नाम है। मनुष्य तथा दूसरे प्राणी वातावरण में प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चा जन्म से ही अपने वातावरण से कुछ सीखने का प्रयत्न करता है।
गैस्टालट दृष्टिकोण :- गैस्टाल्टवादी कहते हैं कि अधिगम सम्पूर्ण स्थिति की सम्पूर्ण प्रतिक्रिया है।
होरमिक दृष्टिकोण :- इसके जनक मैक्डूगल हैं। इसके अनुसार अधिगम के लक्ष्य के केन्दित स्वरूप पर जोर देता है। अधिगम लक्ष्य को सामने रखकर किया जाता है।
प्रयत्न तथा भूल दृष्टिकोण :- इसके जनक थार्नडाइक हैं। उन्होंने बिल्लियों, कुत्तों तथा मछलियों पर प्रयोग कर यह निष्कर्ष निकाला कि प्रयत्न तथा भूल से काफी कुछ सीखा जा सकता है। बार बार प्रयत्न करो। भूल होगी तो वह सुधरती चली जाएगी और हम परेफैक्ट हो जाएंगे।
अधिगम का क्षेत्रीय द्वाष्टिकोण :- इसके जनक कुर्ट लेविन हैं। उनका मानना है कि अधिगम परिस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक संगठन है और सीखने में प्रेरणा का महत्वपूर्ण हाथ होता है।


अधिगम की विशेषताएं

1 अधिगम अनुकूलन प्रक्रिया है :- अधिगम का अनुकूलन में विशेष योगदान होता है। जन्म के बाद कुछ देर तक बच्चा दूसरों पर निर्भर रहता है। बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार उसे ढलना पड़ता है। वह वातावरण के साथ अधिगम के आधार पर ही अनुकूलन करता है ।
3 अधिगम सार्वभौमिक प्रक्रिया है :- इसका अर्थ है मनुष्य कहीं भी कभी भी सीख सकता है। सीखना किसी एक मनुष्य या देश का अधिकार नहीं। यह दुनिया के हर एक कोने में रहने वाले हर एक व्यक्ति के लिए है।
3 अधिगम व्यवहार में परिवर्तन है :- सीखना किसी भी तरह का हो यह सीखने वाले केव्यवहार में आवश्यक परिवर्तन करता ही है। यह परिवर्तन साकारात्मक या नाकारात्मक किसी भी रूप में हो सकता है।
4 अधिगम सक्रिय रखता है, सृजनात्मक बनाता है :-
अधिगम की प्रक्रिया में सीखने वाला सदा सक्रिय रहता है और सृजनात्मक कार्य करता है। इसी से उसे नए अनुभव होते हैं।
5 अधिगम एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।:- मनुष्य जीवन भर या मृत्युतक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अधिगम / सीखता करता है। इस प्रक्रिया से व्यक्ति के ज्ञान, अनुभव में वृद्धि होती है और आदतों व रुचियों का विकास होता रहता है ।
6 अधिगम उद्देश्यपूर्ण एवं लक्ष्य केन्द्रित है :- अगर हमारे पास कोई उद्देश्य नहीं है तो हमारे अधिगम का प्रभाव परिणाम के रूप में दिखाई नहीं देगा। जैसे जैसे विद्यार्थी सीखता है वैसे वैसे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है।
7 अधिगम पुराने और नए अनुभवों का योग :-
अधिगम पुराने और नए अनुभवों का योग है। पुराने अनुभवों के आधार पर ही नए अनुभव ग्रहण होते है और एक नई व्यवस्था बनती है और यही सीखने का आधार है।
8 अधिगम का स्थानान्तरण :-
अधिगम स्थानान्तरणीय प्रक्रिया है। एक स्थिति में या किसी एक साधन द्वारा प्राप्त किया गया ज्ञान दूसरी अन्य परिस्थितियों में ज्ञान की प्राप्ति के लिए सहायक सिद्ध होता है। इसे ही अधिगम का स्थानान्तरण कहते हैं।
9 अधिगम, शिक्षण अधिगम के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक :-
शिक्षण अधिगम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अधिगम का सहरा लेना पड़ता है। इस साधन के द्वारा ही प्रभावशाली ज्ञान, सूझबूझ, रुचियां, द्वाष्टिकोण विकसित होता है।
10 अधिगम विवेकपूर्ण है :-
अधिगम कोई तकनीकी क्रिया नहीं है । यह विवेकपूर्ण कार्य है। जिसे बिना दिमाग के नहीं सीखा जा सकता । इस में बुद्धि का प्रयोग आति आवश्यक है।
11 अधिगम जीवन की मूलभूत प्रक्रिया :-
अधिगम के बिना जीवन सफलतापूर्वक जीना संभव नहीं होता।
12 अधिगम व्यक्ति के सर्वागीण विकास में सहायक :-
अधिगम व्यक्ति का संतुलित और सर्वागीण विकास के लिए जरूरी होता है।

निप्कर्ष

अत: हम कह सकते हैं कि अधिगम जीवन पर्र्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है। यह लर्नर यानि सीखने वाले को सक्रिय रखता है और सृजनात्मकता पैदा करता है। बिना अधिगम लक्ष्यों की प्राप्ति संभव नहीं होती। अधिगम के पश्चात व्यवहार में परिवर्तन अवश्यमभावी होता है।


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