UGC ban on 100 research journals of Rajasthan : यूजीसी ने राजस्थान के 100 रिसर्च जर्नल्स पर लगाया बैन - NEWS SAPATA

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Wednesday, May 9, 2018

UGC ban on 100 research journals of Rajasthan : यूजीसी ने राजस्थान के 100 रिसर्च जर्नल्स पर लगाया बैन

UGC ban on 100 research journals of Rajasthan

यूजीसी ने राजस्थान के 100 रिसर्च जर्नल्स पर लगाया बैन

UGC ban on 100 research journals of Rajasthan
UGC ban on 100 research journals of Rajasthan

जयपुर ।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 4,305 अप्रूवड रिसर्च जर्नल्स की मान्यता खत्म करते हुए बैन कर दिया है। इसमें राजस्थान के 100 से ज्यादा रिसर्च जर्नल्स है। साथ ही सैकड़ों ऐसे रिसर्च जर्नल्स हैं, जिनमें प्रदेश के शोधकर्ताओं ने हजारों की संख्या में अपने रिसर्च पेपर पब्लिश करा रखे हैं। राजस्थान के सरकारी विश्वविद्यालयों के अलावा निजी विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल हैं। ऐसा होने से इन जर्नल्स में शोध प्रकाशित करा चुके शोधकर्ताओं के कॅरिअर पर असर पड़ना तय है। इससे असि. प्रोफेसर पद पर भर्ती से लेकर एसो. प्रोफेसर व प्रोफेसर पद पर प्रमोशन पर असर पड़ेगा। इन रिसर्च जर्नल्स में प्रकाशनों पर जो अंक मिलते थे, नियमानुसार अब वह काउंट नहीं होंगे।
वर्तमान में पीएचडी पूरी कर और पब्लिकेशन कराकर पीएचडी अवार्ड का इंतजार कर रहे शोधार्थियों पर इसका असर पड़ेगा। उन्हें नए रिसर्च जर्नल्स में अपना रिसर्च पब्लिश कराना होगा। इन जर्नल्स की कटौती के बाद अब यूजीसी की वेबसाइट पर करीब 30 हजार जर्नल्स ही शेष बचे हैं। यूजीसी द्वारा इससे पूर्व भी कई जर्नल्स की मान्यता खत्म की जाती रही है लेकिन ये पहला मौका है जब इस तरह से 4000 जर्नल्स को क्वालिटी के नाम पर सूची से बाहर किया है।
पदनाम परिवर्तन के मामलों पर भी पड़ेगा असर, यूजीसी की वेबसाइट पर अब 30 हजार जर्नल्स ही शेष
हमारे प्रदेश के ये बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान राजस्थान यूनिवर्सिटी के हिस्ट्री, ईएएफएम, ज्योग्राफी, फिलॉस्फी, अंग्रेजी और एबीएसटी विभाग के रिसर्च जर्नल्स की मान्यता खत्म की गई है। जोधपुर के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग, पॉलिटिकल साइंस विभाग, फिजिकल एजुकेशन और मैनेजमेंट एंड ट्यूरिज्म शामिल है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर का एक रिसर्च जर्नल आर्ट्स एवं मानविकी शामिल है। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जोधपुर जैसे बड़े संस्थान के रिसर्च जर्नल भी शामिल हैं। इसके अलावा आईआईएस यूनिवर्सिटी के 3 डिपार्टमेंट जिनमें आर्ट, साइंस और कॉमर्स के रिसर्च जर्नल्स शामिल हैं। इनके अलावा निजी स्तर पर कम्यूनिकेशन टूडे, कॉमर्स का इंस्प्रेरा जर्नल ऑफ मॉर्डन मैनेजमेंट एंड एंटरप्रिन्योरशिप नामक रिसर्च जर्नल शामिल हैं। जिसमें कॉमर्स के 70% शिक्षकों के जर्नल्स हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल पेनोररामा, राजस्थान पॉलिटिकल साइंस एसोसिएशन, प्रोफीशिएंट जैसे प्रतिष्ठित नाम हंै।
प्रदेश की सात एसोसिएशन भी शामिल : राजस्थान गणित परिषद, पॉलिटिकल साइंस, भाषा एवं पुस्तकालय विभाग, राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस, एसोसिएशन ऑफ राजस्थान जियोग्राफर, रिसर्च डवलपमेंट एसोसिएशन ।
लाखों शोधार्थियों को ऐसे बचाया जाए ये चार हजार जर्नल्स यूजीसी की वेबसाइट पर लंबे समय से थे। इनमें 50 प्रतिशत रिसर्च जर्नल्स तो 5-5 साल से थे और इन्हें मान्यता थी। इस वजह से रिसर्च के छात्रों ने इन पर पब्लिकेशन कराया। चूंकि अब यूजीसी ने इन्हें गुणवत्ता के आधार पर खत्म किया है। ऐसे में अब यूजीसी को चाहिए कि पूर्व में प्रकाशित पब्लिकेशन को मान्य घोषित कराया जाएं और मई के प्रथम सप्ताह के बाद से बैन दर्शाया जाएं तब जाकर लाखों शोधार्थियों को नुकसान से बचाया जा सकता है । अगर ऐसा नहीं हुआ तो हजारों - लाखों लोग इस निर्णय से प्रभावित होगे। वर्तमान में राज्य सरकार पदनाम परिवर्तन पर प्रमोशन कर रही है। एपीआई स्कोर प्रभावित होने से इन शिक्षकों पर भी असर पड़ सकता है।
प्रो. नवीन माथुर, पूर्व डायरेक्टर रिसर्च आरयू

सोर्स:- दैनिक भास्कर

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