Sikshan Vidhiyan Part-1, शिक्षण विधियां पार्ट -1
Sanskrit Sikshan Vidhiyan, संस्कृत शिक्षण विधियां
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संस्कृत शिक्षण विधियां
इसके तीन भाग हैं:-
1 प्राचीन2 नवीनतम
3 नवीनतम विधि उपागम
प्राचीन विधियां
1 सूत्र विधि2 पारायण विधि
3 पाठशाला विधि
4 वाद विवाद विधि
5 प्रश्नोत्तर विधि
6 कथा वाचन विधि
7 कथा नायक विधि
8 व्याकरण विधि
9 व्याकरण-अनुवाद विधि
नवीनतम विधियां
1 पाठ्यपुस्तक विधि2 प्रत्यक्ष विधि
3 विश्लेषणात्मक विधि
4 हरबर्ट की पंचपदी
5 मूल्यांकन विधि
6 किंडरगार्टन विधि
7 मॉन्टेसरी विधि
8 डाल्टन विधि
9 प्रयोजना विधि
नवीनतम विधि उपागम
1 सूक्षमशिक्षण उपागम2 आगमन उपागम
3 प्रयोजन कार्य
4 दल शिक्षण
4 अभिक्रमित अनुदेशन
5 समस्या समाधान उपागम
6 पर्यवेक्षण अध्ययन उपागम
7 संप्रेषण उपागम
8 सग्रंथन उपागम
संस्कृत शिक्षण विधियां
पाठशाला विधि:-
इस विधि की कमियां यही हैं कि यह शिक्षक आधारित है। इसमें छात्र पर ध्यान कम दिया जाता है और स्मरण व रटाने पर जोर दिया जाता है।
इस विधि में शिक्षण के चारों कौशलों में से केवल दो कौशल श्रवण और मनन यानि पठन पर ही जोर दिया जाता है।
यह मनोवैज्ञानिक विधि नहीं है।
कथा कथन विधि:-
इस विधि का प्रमुख उद्देश्य छात्रों में आत्मविश्वास और नैतिक गुणों का विकास करना है। इस विधि में विषय वस्तु के स्पष्टीकरण और उसे रुचिकर बनाने पर जोर दिया जाता है।भाषण विधि:-
इस विधि के माध्यम से विषय वस्तु के कठिन शब्दों को स्पष्ट किया जाता है। यह कार्य शिक्षक करता है। इसमें कथा कथन का प्रयोग भी किया जाता है।व्याख्या विधि:-
इस विधि के माध्यम से शिक्षक छात्रों की शंकाओं का समाधान करता है। इसके लिए पदच्छेद, पदार्थोक्ति, वाक्य योजना, आक्षेप, विग्रह, समाधान आदि उपागमों का प्रयोग किया जाता है।इस विधि का प्रमुख गुण यह है कि यह छात्रों मानसिक क्रियाशीलता बढ़ाती है।
लेकिन प्रमुख दोष यह है कि यह स्वाध्याय और अभिव्यक्ति के विकास पर जोर नहीं देती।
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