Voices coming from the Rena Basare, people in the village were surprised : रैन बसेरे से आ रही थी आवाजें, अंदर जाकर देखा तो हैरान रह गए गांव के लोग - NEWS SAPATA

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Sunday, February 4, 2018

Voices coming from the Rena Basare, people in the village were surprised : रैन बसेरे से आ रही थी आवाजें, अंदर जाकर देखा तो हैरान रह गए गांव के लोग

Voices coming from the Rena Basare, people in the village were surprised 

रैन बसेरे से आ रही थी आवाजें, अंदर जाकर देखा तो हैरान रह गए गांव के लोग 



अलवर। भिवाड़ी के समीपवर्ती गांव आलमपुर के रेन बसेरे से आती आवाजें सुनकर एक बार तो ग्रामीण सकपका गए। लेकिन जब अंदर जाकर देखा तो यह आवाजें एक त्रिपाल के नीचे से आ रही थी। ग्रामीणों ने जब त्रिपाल हटाया तो अंदर का नजारा देख हैरान हुए बिना नहीं रह सके।

त्रिपाल के नीचे एक पिंजरा था 


त्रिपाल के नीचे एक पिंजरा था। इसमें करीब सात आठ बंदरों को बंद किया गया था। ये बंदर भूख से बेहाल होकर चिल्ला रहे थे। पिंजरे में बंद बंदरों को देख स्थानीय लोगों ने विरोध जताया। लोगों का कहना था कि पहले यह स्थान सामुदायिक भवन था। फिर इसे रैन बसेरा बना दिया गया और यहां बंदरों को पकडक़र रखा जा रहा है। पार्षद महिपाल यादव ने बताया कि इस रैन बसेरे में काफी कबाड़ भरा हुआ है। कुछ दिन से अंदर से अजीब सी आवाजें आ रही थी। इस पर अन्य ग्रामीणों जितू, सनी, कल्लू, सते पहलवान, अनिल भड़ाना के साथ अंदर जाकर देखा तो वहां किसी चीज पर एक त्रिपाल ढका हुआ था।


केले और मूंगफली खिलाई 


आवाजें उसके अंदर से आ रही थी। जब त्रिपाल को हटाकर देखा तो उसके नीचे एक पिंजरा मिला जिसमें करीब सात-आठ बंदरों को बंद किया हुआ था। आवाजें बंदरों के चिल्लाने की आ रही थी। ग्रामीणों ने इन बंदरों को केले और मूंगफली खिलाई तथा इस संबंध में नगर परिषद के सफाई निरीक्षक को अवगत करायास। इधर सफाई निरीक्षक नन्नू राम ने बताया कि कुछ दिनों से बंदरों के आतंक की शिकायतें मिल रही थी। इस पर जयपुर नगर निगम की टीम ने आकर आज ही सुबह सात आठ बंदरों को पकड़ पिंजरे में बंद किया है। दिन में यदि बंदरों को छोड़ा जाए तो ये वापिस आ जाते हैं। ऐसे में रात को इन्हें छोड़ा जाता है। बंदरों को पकडऩे वाली टीम आज रात को ही इन्हें अलवर के भर्तृहरि छोडक़र आएगी।

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