Alwar by-eclection, Publicity campaign stoped, Voting on 29th
प्रचार थमा, अटकी सांसें, मतदान 29 को
अलवर। अलवर लोकसभा उपुचनाव के लिए किया जा रहा प्रचार शनिवार शाम को थम गया। इसी के साथ दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने जीत की रणनीति पर विचार करने के लिए प्रमुख नेताओं की खेमाबंदी कर मंथन शुरू कर दिया है। मतदान 29 जनवरी हो सुबह आठ बजे से होना है और परिणाम एक फरवरी हो आएगा। अधिक से अधिक वोट अपने पक्ष में डलवाने की रणनीति के तहत दोनों दलों के प्रत्याशियों और प्रचारकर्ताओं ने अब घर घर संपर्क पर जोर देना शुरू कर दिया है। रात और दिन प्रचार की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
डिजीटल प्रचार पर जोर
ओपन कैंपेन थमने के बाद अब डिजीटल प्रचार पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए फेसबुक, वाट्सएप, मैसेज, इंटरनेट आदि का उपयोग किया जा रहा है। दोनों दलों की और से बनाई गई मीडिया सेल प्रचार के लिए इन तरीकों पर काम कर रही है। फोन कॉल्स का सहारा भी लिया जा रहा है।
अभी तक के हालात
प्रचार की बात की जाए तो अभी तक प्रचार के दौरान भाजपा को हर जगह निराशा हाथ लगी है। कई जगह भाजपा विधायकों का विरोध दर्ज किया गया है और जनता सुविधाओं के नाम पर किए गए छल के कारण पार्टी नेताओं के सामने मुखर होकर विरोध कर रही है। कांग्रेस इसे अपने पक्ष में मानते हुए हर्षित है जबकि विशेषज्ञों के अनुसार इसे नोटा का अधिक इस्तेमाल की संभावना बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री का कमरों में मिलना
प्रचार की शुरूआत में मुख्यमंत्री जनता के सामने आई थी, लेकिन भाजपा विधायकों और प्रत्याशी का विरोध देखते हुए आखरी चरण में मुख्यमंत्री ने जनता के नुमाइंदों से बंद कमरों में मुलाकात की है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री विरोध के डर से बंद कमरों में मिल रही हैं। हालांकि उन्होंने प्रचार थमने के एक दिन पहले रोड शो भी किया है, लेकिन इसे चुनावी प्रोपेगंडा माना जा रहा है।
मुस्लिम, दलित व अन्य पर नजर
अलवर में भाजपा की और से वर्तमान में राजस्थान सरकार में श्रम व रोजगार मंत्री डॉ जसवंत यादव चुनाव लड़ रहे हैं तो कांग्रेस ने स्वच्छ छवि वाले डॉ कर्णसिंह यादव को मैदान में उतारा है। मुकाबला यादव वर्सिज यादव होने के कारण अब दोनों दलों की निगह दलित वोटों और अन्य जातियों पर टिक गई है, कयोंकि यादव वोट बंटने की आशंका हो गई है। ऐसे में दलित मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा मुस्लिम-मेव वोटों पर भी दोनों दलों की गिद्ध दृष्टि जमी हुई है।
दिगगजों का अलवर में जमावड़ा
दोनों पाटियों के प्रत्याशियों के समर्थन में राजनीतिक दिगगजों ने अलवर में डेरा डाला हुआ है। यहां तक कि केन्द्रीय मंत्री और केन्द्रीय स्तर के नेता अलवर में ही चुनाव तक जमे हुए हैं। चारों ओर चुनाव का माहौल है और चुनाव की चर्चा ही आम हो रही है। माना जा रहा है कि इस चुनाव का असर वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले वर्ष होने वाले आमचुनाव पर दिखेगा। इसलिए दोनों दल इस बार जीत के लिए विशेष जोर लगा रहे हैं।
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