अलवर। जिंदगी क्या क्या रंग दिखाती है। इंसान क्या से क्या बन जाता है और अंत में देह अंतिम संस्कार के लिए भी तरस जाती है। जी हां हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अलवर जिले की। यहां कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। यह जिस व्यक्ति की कहानी है वह सरकारी स्कूल में शिक्षक था। लेकिन जीवन चक्र का पहिया ऐसा घूमा कि वह जेल पहुंच गया। उसकी मौत भी जेल में नसीब हुई लेकिन देह अंतिम संस्कार को तरस गई।
यह कहानी है धारासिंह मीणा की। वह राजगढ़ तहसील के टहला का रहने वाला था और राजकीय विद्यालय में शिक्षक था। वर्ष 2012 में दुष्कर्म के आरोप के चलते वह यहां केन्द्रिय कारागार में जेल काट रहा था। मंगलवार को जेल में अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई और उसे जेल प्रशासन ने तुरंत अस्पताल भेज दिया।
पुलिस का आरोप है कि अस्पताल में चिकित्सकों की हड़ताल के चलते उसका समय पर उपचार नहीं हो सका इसलिए उसकी मौत हो गई। उधर चिकित्सकों का कहना है कि धारासिंह की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी। इस बात को लेकर विवाद भी हुआ। लेकिन मामला शांत हो गया।
पोस्टमार्टम को तरसती रही देह
मौत के बाद पुलिस ने शव को मुर्दाघर में रखवा दिया, लेकिन चिकित्सकों की हड़ताल के कारण उसका पोस्टमार्टम नहीं हो सका। परिजन उसके पास रातदिन बैठे पोस्टमार्टम का इंतजार करते रहे। बुधवार को जब उन्होंने हंगामा किया तो एसीएम जावेद अली अस्पताल पहुंचे और पोस्टमार्टम करा शव परिजनों का सौंपा। शिक्षक से कैदी बने धारासिंह की देह दो दिन तक अंतिम संस्कार के लिए भी तरसती रही।
मामला दर्ज करने से इनकार
पोस्टमार्टम के बाद धारा के परिजन कोतवाली पहुंचे और आरोप लगाया कि धारासिंह की मौत जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई है। उन्होंने जेल प्रशासन के खिलाफ इस संबंध में मामला दर्ज करने की बात कही, परिजनों का आरोप है कि लेकिन कोतवल ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। मृतक के परिजनों के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष टीकाराम जूली, नेता प्रतिपक्ष नरेन्द्र मीणा भी मौके पर मौजूद थे।
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