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Thursday, October 12, 2017

दिवाली से जुड़ा दिलचस्प किस्सा, रातों रात लक्ष्मीजी ने बदल दी बुढिय़ा की किस्मत

दिवाली हम सब मनाते हैं और लक्ष्मीजी की कथा भी सुनते हैं। लेकिन लक्ष्मी जी से जुड़े ऐसे अनेक किस्से कहानियां हैं जो हमने नहीं सुने होंगे। ऐसा ही एक अनसुना किस्सा हम आपको यहां सुनाने जा रहे हैं। जिसे सुनकर आप वास्तविक अर्थ में लक्ष्मी पूजन का महत्व समझ जाएंगे। आपके घर में भी धन की वर्षा होगी। तो आइये जानते हैं वह किस्सा।


पुरानी कथा है। एक बार की बात है। कार्तिक माह की अमावस को लक्ष्मीजी का भ्रमण का मन हुआ। लेकिन अमावस के अंधेरे के कारण उन्हें परेशानी हुई और वे रास्ता ही भूल गई। ऐसे में उन्होंने विचार किया कि क्यों न रात मृत्युलोक में ही गुजार ली जाए। सुबह जब उजाला हो जाएगा तब वापिस बैकुण्ठ धाम को लौट चलूंगी। लेकिन यह रात का वक्त था और सभी लोग अपने घरों में अंधेरा कर द्वार बंद कर सो रहे थे।
दिखाई दी दीपकी लौ
लक्ष्मी जी ने ऐसे में अपनी दृष्टि दूर तक दौड़ाई तो उन्हें एक द्वारा खुला दिखा और वहां दिया जल रहा था। वे उस प्रकाश की लौ का अनुसरण करती हुई चल दी। वहां देखा कि एक बुढिया चरखा कात रही है। लक्ष्मीजी वहां पुहंची और रात को बुढिय़ा की कुटिया में विश्राम की अनुमति लेकर वहां विश्राम करने लगी।
चरखा चलाती रही बुढिय़ा
बुढिय़ा ने लक्ष्मीजी को अपना बिस्तर दे दिया। लक्ष्मीजी अनुमति लेकर विश्राम करने लगी। लेकिन बुढिय़ा चरखा चलाती रही। अचानक बुढिय़ा को काम करते करते नींद आ गई। सुबह अचानक जब बुढिय़ा की आंख खुली तो उसने देखा कि रात को आई अतिथि जा चुकी है। लेकिन उनकी कुटिया अब महल बन गई और खूब धन धान्य आ गया। तभी से रात को दिवाली पर दिया जलाने और द्वार खुला रखने की परंपरा है।
अब समझें असली ओपिनियन
आज मनुष्य समझता है कि दिया जलाने और दरवाजा खुला रखने से लक्ष्मी आएंगी और हमें समृद्ध कर देंगी। हमें यह समझने की जरूरत है कि बुढिय़ा सक्षम न होते हुए भी रातभर चरखा चलाती रही। वह मेहनती थी। इसलिए यह कहानी हमें निरंतर कर्म करने की प्रेरणा देती है। साथ ही यह भी बताती है कि अंधेरे पथ पर दिया जलाएं ताकि राहगीरों के पथ प्रदर्शक बन सकें।

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