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Thursday, October 12, 2017

स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं इस नकली दूध को पकडऩे का कोई यंत्र

सीकर। सावधान! जिसे हम दूूध समझ कर इस्तेमाल कर रहे है, उसके नाम पर हमें पामोलिव तेल  और कई घातक पदार्थो के मिश्रण से तैयार कर जहर बेचा जा रहा है। यह काला कारोबार जिला प्रशासन की नाक के नीचे दो साल से बदस्तूर चल रहा था। सीकर कोतवाली थानाधिकारी महावीर सिंह राठौड़ ने बुधवार को मुखबिर की सूचना पर छापा मार कर इस काले कारोबार का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस गोरखधंधे को चलाने वाले को गिरफ्तार कर तीन ड्रम सिंथेटिक दूध और बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री जब्त की है।
यह सिंथेटिक दूध जिले में डेयरियों के बूथों और दुग्ध संग्रहण केंद्रों पर बेचा जा रहा था। पुलिस आरोपी से उसके नेटवर्क के बारे में पूछताछ कर रही है। पुलिस के अनुसार मुखबिर से सूचना मिली थी कि चूरू के साहवा गांव से जिले औऱ आसपास के जिलों में सिंथेटिक दूध लाकर लाकर बेचा जा रहा है। बुधवार को सिंथेटिक दूध और उसको बनाने वाली सामग्री से भरी पिकअप पकड़ी गई। इसमें मामले में हनुमानगढ़ के नोहर थाना इलाके के जबरासर गांव निवासी लीलाधर पुत्र उमाराम शर्मा को गिरफ्तार किया गया। पिकअप से नकली दूध से भरे तीन ड्रम और उसे बनाने में काम आने वाले सोर्बिटोल, आरबीडी पामोलिव ऑयल का जरीकेन ओर ग्लूकोस पाउडर का कट्टा बरामद किया गया है। पुलिस ने पूछताछ के बाद सीएमएचओ को साथ लेकर दर्जन भर से ज्यादा गांवों में दूध संग्रहण केंद्रों पर छापे मारे और दूध के नमूने लिए।

इस तरह बनता है सिंथेटिक दूध

सिंथेटिक दूध बनाने के लिए चॉकलेट मीठी करने वाले सोर्बिटोल का घोल, पामोलिव ऑयल और ग्लूकोस पाउडर मिलाया जाता है। इससे ये दूध का रूप ले लेता है। सबसे बड़ी बात तो इसे स्वास्थ्य विभाग के यंत्र भी नहीं पकड़ पाते कि यह नकली दूध है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि उनके पास इस तरह बने दूध को पकडऩे की तकनीक नहीं है।

कहां कहां बेचता था ऐसा दूध

लीलाधर ने बताया कि वह दो साल यह दूध बेच रहा है। उसने सीकर, लोसल लक्ष्मणगढ़ के दर्जनों गांवो में नेटवर्क कायम कर लिया था। आसपास के इलकों में भेजने के लिए सिंथैटिक दूध बनाने का काम आरोपी लीलाधर चूरू जिले के साहवा में अपने गोदाम में करता था।

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