अलवर। अस्थल बोहर मठ के महंत और अलवर सांसद रहे महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी बालकनाथ का कहना है कि यदि पार्टी उन्हें चुनाव लडऩे की आज्ञा देती है तो वे जनता की सेवा से पीछे नहीं हटेंंगे। पिछले साढ़े तीन साल में जो भी हुआ वह महंत चांदनाथ की बीमारी के कारण हुआ। उसमें किसी का वश नहीं है। लेकिन अब यदि जनता उन पर विश्वास करती है तो वे जनता की भावनाओं पर खरे उतरेंगे। बालकनाथ शुक्रवार को अलवर आए थे। उनका अलवर में जेल के चौराहे के पास स्वागत किया गया। कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।
माला पहनने से किया मना
जेल के चौराहे पर बालकनाथ का स्वागत करने के लिए भाजपा कार्यकर्ता हाथों में माला लिए खड़े थे। जैसे ही बालकनाथ का काफिला आकर रुका तो उनके साथ आए शिष्यों में से एक ने कहा कि महंतचांदनाथ की मृत्यु के शोक में बालकनाथ माला नहीं पहनेंगे। यहां से वे बाबा भर्तृहरि के दर्शन को रवाना हो गए।पिछले साढ़े तीन साल में अलवर में कोई काम नहीं हुआ। चांदनाथ अलवर नहीं आए। अब यदि पार्टी आपको चुनाव लड़ाती है तो आप जनता को क्या जवाब देंगे ? न्यूज सपाटा के इस सवाल के जवाब में बालकनाथ ने कहा कि चांदनाथ बीमार थे इस लिए नहीं आ सके। पार्टी यदि चुनाव लड़ाती है तो वे जनता की सेवा करेंगे और विकास कार्य करवाएंगे। उन्होंने कहा वे भर्तृहरि नाथ संप्रदाय की गद्दी है और वे दर्शन के लिए वहां जा रहे हैं। भर्तृहरि जाकर जनता की खुशहाली के लिए दुआ करेंगे। बालकनाथ बहुत कम समय के लिए अलवर में रुके। बालकनाथ के स्वागत के लिए आए कार्यकर्ताओं में भाजपा का कोई बड़ा पदाधिकारी नहीं दिखाई दिया।
उल्लेखनीय है कि अलवर सांसद महंत चांदनाथ की मृत्यु के बाद अलवर में उपचुनाव होना है। बालकनाथ उनके धार्मिक या उनकी गद्दी के उत्तराधिकारी हैं।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि पार्टी उन्हें टिकट देकर चुनाव लड़ा सकती है। ऐसे में वे महंत चांदनाथ के राजनीतिक उत्तराधिकरी भी हो जाएंगे। अलवर आने से पहले बालकनाथ राठ क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और इसे चुनावी दौरा ही माना जा रहा है। अलवर दौरे को भी इसी से जोडक़र देखा जा रहा है। बालकनाथ का अचानक अलवर से होकर गुजरना पार्टी की अंदरूनी सुगबुगाहट का जायजा लेना भी हो सकता है। अटकलें हैं कि अलवर में यदुवंशी राजनीति के चलते पार्टी बालकनाथ को पार्टी चुनाव लड़ाने के मूड में है, और कुछ यदुवंशी नेता उनके साथ भी हैं। साथ ही यह भी अटकलें हैं कि अन्य यदुवंशी नेता उनका खेल बिगाड़ सकते हैं। राजनीतिक अटकलें जो भी हों लेकिन बालकनाथ का अचानक अलवर से होकर गुजरना राजनीतिक हवाओं में गर्मी पैदा कर गया।
No comments:
Post a Comment