अलवर। पथरी से बहुत से लोग परेशान होते हैं। क्योंकि आजकल यह एक आम बीमारी है। लेकिन समस्या आती है कि इलाज कहां कराएं। क्योंकि आजकल अस्पताल लूट का अड्डा बने हुए हैं। ऐसे में विश्वास के डॉक्टर और विश्वसनीय अस्पताल की जरूरत होती है। लेकिन अब पथरी के रोगियों को अपने इलाज के लिए घबराने की जरूरत नहीं है।
अलवर शहर में एक ऐसा अस्पताल है जहां पूरी तरह अच्छे और स्वस्थ माहौल में बहुत ही कम खर्च में पथरी का इलाज किया जाता है। वह भी ऐसी तकनीक से जिसमें शरीर को कहीं से न तो काटा जाता है न ही कहीं छेद किया जाता है। हम तीन मामलों के जरिये आपको पूरी कहानी बताते हैं। इसके बाद आप आसानी से तय कर पाएंगे कि आपको अपना इलाज कहां और क्यों कराना है।
सबसे पहले हम बात करते हैं बबलू मीणा की।
बबलू मीणा अलवर शहर के समीप स्थित कॉलोनी चोर डूंगरी का रहने वाला है। बबूल ने बताया कि उसे गुर्दे में 16 एमएम की पथरी थी। कई जगह इलाज कराया लेकिन डॉक्टरों ने मिसगाइड कर दिया। मैं यह तय नहीं कर पाया कि कहां इलाज कराऊं। फिर किसी ने बताया कि अंबेडकर सर्किल पर स्थित विजयपाल अस्पताल में जाकर इलाज कराए तो तुरंत ठीक हो सकता है। इस पर बबलू तुरंत विजयपाल अस्पताल पहुंचा और डॉ विजयपाल से सलाह ली। जाचं के बाद पाया गया कि बबलू को गुर्दे में 16 एमएम की पथरी है जिसका तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी है। बबलू ने उपचार की स्वीकृति दी। इसके बाद केवल दो घंटे में नॉन इनवेजिव टैक्नीक से उसकी पथरी को बाहर निकाल उसे छुट्टी दे दी गई। बबलू अब बिल्कुल ठीक है।
दूसरी कहानी है रामेशवर यादव की।
रामेश्वर हाजीपुर खेड़ी के रहने वाले हैं। रामेश्वर की परेशानी बबलू से भी बड़ी थी। उनके दोनों गुर्दों में पथरी थी। दाएं गुर्दे में 14 एमएम की और बाएं गुर्दे में 8-8एमएम की दो पथरियां थी। दर्द के मारे रामेश्वर परेशान था। अलवर के अनेक अस्पतालों में और हरियाणा रेवाड़ी के अस्पतालों तक जांच करा आया लेकिन न तो संतोषजनक जवाब मिला न ही उपचार। फिर किसी रिश्तेदार ने रामेश्वर को अलवर शहर में अंबेडकर सर्किल स्थित विजयपाल अस्पताल के बारे में बताया। रामेश्वर ने यहां आकर डॉ विजयपाल यादव से जांच कराई तो उसे ऑपरेशन की सलाह दी गई। क्योंकि ऑपरेशन के बिना पथरी निकालना संभव नहीं था। अभी तक उसे बिना ऑपरेशन के इलाज के आश्वासन मिल रहे थे जिनके चक्कर में पडक़र वह परेशान हो उठा था। रामेश्वर को विजयपाल अस्पताल में केवल दो घंटे भर्ती रहना पड़ा और नॉन इनवेजिव टैक्नीक से उसकी पथरी निकाल दी गई। रामेश्वर को पथरी का दर्द बिल्कुल बंद हो गया। वह अब एकदम ठीक है।
अब हम बात करेंगे रामकली की।
रामकली बघेरीकला की रहने वाली है। उसके कई पथरियां थी। 20-22 एमएम की दो पथरियां और इसके अलावा दाएं गुर्दे में 7-8 पथरियां थी। उसे अस्पताल में सुबह भर्ती किया गया और शाम को छुट्टी दे दी गई। यानि कुछ घंटे में ही उसे कई सालों के दर्द से निजात मिल गई। रामकली ने बताया कि उसे इतना तेज दर्द था कि अस्पताल तक आने में भी परेशानी हुई। यहां आकर कब इलाज हो गया पता ही नहीं चला।
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