रावण को चार्टेड अकाउंटेंट की तलाश, जीएसटी नहीं भरा हो मरना होगा मुश्किल
दोस्तों प्रति वर्ष हम लोग दशहरा मनाते हैं। इस त्योहार की परंपरा है कि भगवान राम शाम के समय अग्नी बाण छोडक़र रावण का दहन करते हैं। लेकिन इस बार कुछ ऐसा हो रहा है कि राम से पहले ही पूरे भारत में रावण चित्त हो गया है। तो आइये जानते हैं वह कौन है जिसने भगवान राम से भी पहले पहुंचकर रावण को चित्त कर दिया।
रावण के साथ उसके भाई और पुत्र को भी नहीं बख्शा
चलो रावण को चित्त कर दिया तो कर दिया। लोग सोच सकते हैं कि कुंभकरण और मेघनाद का दहन तो देखने को मिलेगा। लेकिन हो सकता है इसमें भी विघ्न आ जाए। क्योंकि जिसने भगवान राम से भी पहले रावण को चित्त कर दिया हो भला उसने क्या कुंभकरण ओर मेघनाद को छोड़ा होगा। जी नहीं। बिल्कुल नहीं।कौन है यह जो दशानन पर पड़ा भारी
दोस्तों राम से भी पहले दशानन पर भारी पडऩे वाला है जीएसटी। यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स। जो कि मोदी सरकार ने लगाया है। अब यह रावण को चित्त कैसे कर गया। इसकी पूरी कहानी हम आपको बताते हैं।पुतले बनाना हुए महंगा
जीएसटी के चलते इस बार रावण कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों की लागत पांच से दस हजार रुपए अधिक हो गई है। क्योंकि कि रावण के पुतले बनाने वाले वासड़ समाज के लोगों को अब जीएसटी नम्बर लेना आवश्यक हो गया है। उन्हें भी सीए तलाशने पड़ रहे हैं।किस पर कितना जीएसटी
रावण आदि के पुतले बनाने के काम आने वाले बांस पर 5 प्रतिशत और नीलगिरी की लकड़ी पर 12 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ेगा। दूसरे जीएसटी नम्बर के इनवॉयस दिए बिना नगर पालिकाएं कारीगरों को भुगतान नहीं कर सकती।क्यों चाहिए रावण को सी.ए.
रावण के पुतले मारवाड़ में वासड़ समाज के लोग बनाते हैं। ये पुतले गुजरात और महाराष्ट्र तक जाते हैं। पुतले बनाने में लगने वाली बांस की लकड़ी पर 5.5 प्रतिशत और नीलगिरी की लकड़ी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है। अब इसका हिसाब रखने के लिए रावण को सीए की जरूरत तो होगी ही ना।दोस्तों आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट में लिखें। अच्छी लगी तो लाइक और शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए और हमसे जुड़े रहने के लिए हमें फॉलो करना नहीं भूलें। धन्यवाद
No comments:
Post a Comment