चयनित ग्राम पंचायत सहायकों की नियुक्ति अटकाए बैठी है जिला स्तरीय कमेटी
ग्राम पंचायत सहायक भर्ती हुए छह माह से भी अधिक समय गुजर गया, लेकिन जिला स्तरीय कमेटी इस भर्ती में नियुक्ति अटकाए बैठी है। चयनित ग्राम पंचायत सहायक नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं और लगातार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के तो कभी जिला कलक्टर कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। न तो उन्हें संतुष्टिजनक जवाब ही मिल रहा है न ही प्रक्रिया आगे बढ़ती दिख रही है।
अलवर में 511 पंचायतों में हुई भर्ती
प्रदेश सहित अलवर जिले में ग्राम पंचायत सहायकों की भर्ती पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी यानि पीईईओ के माध्यम से की गई थी। अलवर जिले में 512 ग्राम पंचायतों में भर्ती होनी थी लेकिन बानसूर के कराणा पंचायत को छोड़ 511 में भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली गई। इसके बाद याचिका के चलते हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया पूरी कर परिणाम लिफाफों में बंद कर दिया जाए। इस आदेश के तुरंत बाद ही साक्षात्कार के बाद अभ्यर्थियों में प्रत्येक पंचायत में दो-दो ग्राम पंचायत सहायक के हिसाब से अलवर जिले में १०२२ ग्राम पंचायत सहायकों का चयन कर परिणाम लिफाफों में बंद कर दिए गए।
हाईकोर्ट ने रोक हटाई
हाई कोर्ट ने यह रोक मई माह में हटा दी और परिणाम जारी करने के आदेश दिए। परिणाम देख अभ्यर्थी चौंक गए। क्योंकि 511 में करीब तीन सौ पंचायतों में चयनित ग्राम पंचायत सहायकों को नियुक्ति की अभिशंषा की गई थी और करीब 200 ग्राम पंचायतों में चयनित होने के बाद भी ग्राम पंचायत सहायकों को नियुक्ति नहीं देकर पुन: चयन की अभिशंषा की गई।
परिवेदनाओं का बहाना
अलवर जिले में करीब 200 ग्राम पंचायतों में पुन: चयन की अभिशंषा के पीछे विभाग के पास कोई ठोस करण नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जहां-जहां परिवेदनाएं आई हैं वहां-वहां चयन के बाद भी नियुक्ति नहीं देकर पुन: चयन की अभिशंषा की गई है। जबकि दबी जुबान से अधिकारी कह रहे हैं कि ऊपर से मौखिक रूप से शिक्षा मित्रों के चयन के आदेश थे। इसलिए इन दो सौ पंचायतों में पुन: चयन की अनुशंषा की गई है।
स्पष्ट है भर्ती गाइड लाइन, फिर भी मनमर्जी कर रहे अधिकारी
पंचायत सहायक भर्ती से पहले शिक्षा विभाग को सरकार की ओर से 17 पन्नों की गाइड लाइन भेजी गई थी। इस गाइड लाइन में भर्ती के लिए उम्मीदवारों की योग्यता का स्पष्ट वर्णन है। साथ ही पीईईओ को भर्ती के लिए अधिकृत किया गया है। पूरी गाइड लाइन में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा कि विद्यार्थी मित्रों का ही चयन किया जाए। इससे यह स्पष्ट होता है कि अधिकारियों ने भर्ती में पूरी मनमर्जी की और बिना किसी ठोस वजह के चयनित होने के बाद भी नियुक्तियां नहीं दी।
भयंकर विसंगतियां
एक तरफ तो विभाग के अधिकारी यह कह रहे हैं कि विद्यार्थी मित्रों का चयन करना था। लेकिन जिन पंचायतों में नियुक्तियां दी गई हैं उनमें आधे के करीब ऐसे अभ्यर्थी हैं जो विद्यार्थी मित्र नहीं हैं। यानि उन्हेंं नियुक्ति दे दी गई है। जबकि अन्य पंचायतों में उन्हें नियुक्ति से वंचित किया गया है। यह विभाग की दोगली नीति को दर्शाता है।
हाईकोर्ट ने फिर तय की समय सीमा
जब चयन के बाद भी नियुक्ति नहीं मिली तो चयनित ग्राम पंचायत सहायक फिर हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे। हाई कोर्ट ने उनकी रिट स्वीकार करते हुए जिला स्तर पर एक समिति गठित करने का आदेश दिया। इस समिति में जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, जिला परिषद के सीईईओ ओर जिला कलेक्टर को शामिल किया जाना था।
क्या काम सौंपा कोर्ट ने समिति को
साथ ही यह आदेश भी कोर्ट ने पारित किया कि समिति सभी प्राप्त परिवेदनाओं का निस्तारण तीन माह के अंदर करेगी। निस्तारण के बाद स्पष्ट सूचना अभ्यर्थी के घर डाक से भिजवानी होगी कि उनका चयन किया गया है अथवा नहीं और नहीं किया गया तो उसका कारण भी स्पष्ट तौर पर बताना होगा। यदि अभ्यर्थी कारण से संतुष्ट नहीं होता है तो वह फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेगा। कोर्ट का दिया यह तीन माह का समय २७ अगस्त को समाप्त हो रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी योगेश कौशिक का कहना है कि परिवेदनाओं का निस्तारण किया जा रहा है। शीघ्र ही कोर्ट के आदेश की पालना कर दी जाएगी।
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