सरकार की सुस्ती से बेकाबू हुए बाबू
चौतरफा हड़ताल के हथियार से सीधे जनता पर वार, हाथ पर हाथ धरे बैठी सरकार
प्रदेश में चहुतरफा हड़ताल से जनता बेहाल हो गई है। बाबू सरका के काबू से बाहर हैं और कर्मचारी हड़ताल के हथियार से सीधे जनता पर वार कर रहे हैं। इससे बड़ी बदतर बात तो यह है कि सरकार सत्ता मोह में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। न तो सरकार को जनता की परवाह दिखाई देती है न ही सरकार हड़ताल तुड़वाने और जनता को राहत देने के लिए कुछ कार्रवाई कर रही है। सरकार और कर्मचारियों के बीच की लड़ाई में निर्दोष जनता पिस रही है।
सरकारी कार्यालयों में सुनवाई पहले ही नहीं होती थी अब रही सही कसर हड़ताल ने पूरी कर दी है। पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से मंत्रालयिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। इससे सरकारी कार्यालयों में जो थोड़ा बहुत काम होता था वह भी होना बंद हो गया है। कर्मचारी पहले ही कार्यालयों से नदारद रहने, जनता के काम को अटकाने से गुणों से भरपूर हैं उन्हें अब हड़ताल का ऐसा बहाना मिला है कि वे नारेबाजी में ही व्यस्त हो गए हैं। उनकी अपनी मांगें हो सकती हैं लेकिन जनता के काम को अटकाने का उन्हें यह मौका भी सरकार ने दे दिया है। प्रदेश में फिलहाल चौतरफा हड़ताल की मार आमजन पर पड़ रही है।
मंत्रालयिक कर्मचारी एक सप्ताह से भी अधिक समय से हड़ताल पर हैं और मंगलवार से उन्होंने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है। इसके अलावा लैब टैक्निीशियन भी पिछले दो दिन से कार्य समय में दो घंटे का कार्य बहिष्कार किए हुए हैं। इससे लैब में जांच के लिए आने वाले मरीजों की लंबी लंबी लाइनें लग रही हैं और उनकी जांचें अटक रही हैं। इसका लाभ निजी लैब कूट रही हैं। तीसरे मंगलवार को बैंककर्मियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी है। चौथे नर्सिंगकर्मी काली पट्टी बांध कर काम कर रहे हैं। वे भी कभी भी हड़ताल पर जा सकते हैं। इस चौतरफा हड़ताल के प्रहार से जनता त्रस्त नजर आ रही है। क्योंकि औचक होने वाली प्रत्येक जांच में वैसे ही कर्मचारी अपनी सीट पर नहीं मिलते। लोग काम के लिए भटकते रहते हैं। अब हड़ताल का यह हथियार जनता को त्रस्त करने के लिए कर्मचारियों का सहायक बन रहा है।
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