न्याय नहीं योग्यताधारियों के साथ अन्याय है ये
उत्तरप्रदेश में शिक्षा मित्रों को मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन मिला है कि शिक्षा मित्रों को वापिस काम पर ले लिया जाएगा। लेकिन क्या ये लोग इस काबिल हैं कि स्कूलों में पढ़ा पाएं। पहले तो आरक्षण ने शिक्षा व्यवस्था को घुन की तरह चाट लिया। अब यह बैकडोर एंट्री देश को गर्त में ले जाने का तरीका ही साबित होगा।
कौन हैं शिक्षा मित्र
नियमित परीक्षा पास नहीं कर पाने वाले ऐसे लोग जो शिक्षक पद के पूर्ण योग्य भी नहीं है। सरकार ने इन्हें कम पैसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के काम पर रखा। इनमें से आधे से अधिक तो बीएड तक नहीं हैं शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना तो इनके लिए सपना ही हो सकता है। लेकिन सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के चलते इन्हें शिक्षा मित्र के रूप में भर्ती कर लिया। यह बैक डोर एंट्री ही कही जाएगी। क्योंकि सरकार को पता है कि एक बार लगा दो। फिर ये लोग कोर्ट चले जाएंगे। वहां से इन्हें अदालत भी मौका दे देगी। इस तरह सरकार यह कहकर बच जाएगी कि सरकार का आदेश है। लेकिन खाने और खिलाने वाले दोनों ही एक ही थाली के बैंगन हैं।
योग्यताधारियों के साथ अन्याय
शिक्षामित्रों को सरकार ने भले ही आश्वासन दे दिया हो लेकिन इससे पूर्ण योग्यताधारियों के साथ अन्याय ही हुआ है। योग्यता पूरी होने के बाद भी उनका हक मारा गया। क्योंकि सरकार इतनी भर्ती नहीं निकालती कि सभी को नौकरी मिल जाए। ऐसे में अपूर्ण योग्यता वालों को बैकडोर भर्ती कर लेना योग्यताधारियों के साथ अन्याय ही कहा जाएगा। शीर्षस्थ अदालतें भी पता नहीं क्या सोच कर देश का भविष्य ऐसे अपात्र लोगों के हाथ में देने से नहीं चूकती। ऐसे लोग क्या तो स्कूलों में पढ़ाएंगे और क्या बच्चों का भविष्य बनाएंगे।
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