जानते हैं आप कितने प्रकार की हो सकती है सेल्फी
दोस्तों दुनिया में प्रतिबिम्बों का अधिक महत्व है। शुरू से ही प्रत्येक व्यक्ति जब अपना प्रतिबिम्ब देखता है तो अगाधा नहीं समाता। इसी प्रतिबिम्ब को जब कागज पर उतारा गया तो यह तस्वीर कहलाई। जयपुर के महाराजा को तो तस्वीरें इतनी पसंद थी कि उन्होंने तस्वीरां रो कारखानो बनवा डाला। जहां चित्रकार केवल चित्र बनाया करते थे। कैमरे के आविष्कार बाद जब तस्वीरें कैमरे से बाहर आने लगी तो यह फोटो कहलाने लगे। शुरू में ब्लैक एंड व्हाईट और फिर रंगीन फोटोग्राफी चलन में आई। डिजीटल दुनिया ने तो तस्वीरों का टे्रेंड ही बदल दिया। आज बात इससे भी आगे की करते हैं। तस्वीर खींचने के लिए दूसरे व्यक्ति की जरूरत होती थी। मोबाइल के दौर ने सेल्फी चलन में ला दी। यानि कि आप जब अपनी तस्वीर स्वयं खींचते हैं तो यह सेल्फी कहलाती है। यह शब्द भी नया इजाद किया गया है। सेल्फी स्वयं द्वारा स्वयं की खींची गई तस्वीर। इस सेल्फी ने समाज की दिशा तो बदली ही तस्वीरों और फोटो के मामले में नई क्रांति ला दी। आइये जानते हैं समाज पर इसका क्या पड़ा असर।
कितने प्रकार की होती है सेल्फी
दोस्तों हमारे लिए यह जानना भी जरूरी है कि सेल्फी कितने प्रकार की होती है। तो आइये देखते हैं कि सेल्फी कितने प्रकार की होती है। प्रत्येक व्यक्ति सेल्फी पसंद होता जा रहा है। वह दिन भर में न जाने कितनी सेल्फी लेता है। यह शुद्ध सेल्फी कहलाती है। जब कोई व्यक्ति समूह के साथ सेल्फी लेता है तो वह सामूहिक सेल्फी कहलाती है। जब कोई अभिनेता या अभिनेत्री अपनी सेल्फी लेती है अथवा लेता है तो यह सेलिब्रिटी सेल्फी कहलाती है। जब सेलिब्रिटी समूह के साथ सेल्फी लेते हैं तो यह गु्रप सेल्फी विथ सेलिब्रिटी कहलाती है। इसी तरह जब कोई राजनेता स्वयं की सेल्फी लेता है जो वह पॉलिटकल सेल्फी कहलाती है और जब वह समूह के साथ सेल्फी लेता है तो वह गु्रप सेल्फी विद पॉलिटकल पर्सन सेल्फी कहलाती है। है न कमाल की बात कि इतने प्रकार की सेल्फी होती है और हम अभी तक इससे अनजान थे। इसी प्रकार पॉल्यूशन सेल्फी वेदर सेल्फी ईट सेल्फी सहित अनेक प्रकार की सेल्फी होती है।
क्या है असर सेल्फी का
लड़का हो या लड़की बूढा हो या जवान सभी को अपनी फोटो देखने का शौक होता है। कई लोगों को यह शौक जुनून की हद तक पहुंच जाता है। जो लोग आत्ममुग्ध होते हैं वे दिनभर अपनी तस्वीरें मोबाइल के जरिये स्वयं उतारते रहते हैं। इसके लिए वे नए नए महंगे मोबाइल्स का उपयोग करते हैं। अनेक कंपनियां भी सेल्फी एक्सपर्ट आदि कहकर अपने मोबाइल ऐसे लोगों को बेचने में कामयाब हो जाती हैं। तो दोस्तों सबसे पहला असर तो यही है कि सेल्फी के चक्कर में इंसान आत्ममुग्ध हो जाता है। उसे दूसरा कोई अच्छा नहीं लगता। दूसरे वह सेल्फी के चक्कर में अपना काफी समय और दिमाग दोनों खराब करता है। इससे अमूल्य समय उसके हाथ से निकल जाता है। कुछ लोग तो अनेक सोशीयल प्लेटफार्म पर सेल्फी पोस्ट करते रहते हैं और नई नई सेल्फी के लिए कपड़े तक बदलते रहते हैं। ऐसे सेल्फी शौकीनों को क्या नाम दिया जाए यह मैं आप पर छोड़ता हूं। लेकिन याद रखिये कि सेल्फी से बढ़कर भी दुनिया है। सो आप हकीकत की दुनिया में जीएं तो ही बेहतर होगा।
दोस्तों आपको यह सेल्फी आर्टीकल कैसा लगा कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। पसंद आया तो दोस्तों को शेयर करना नहीं भूलें। ऐसे ही अन्य लेख पढऩे के लिए मुझे फॉलो करें। धन्यवाद
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