राजस्थान और गुजरात की सूखी धरा पर आखिर क्यों मची है तबाही
इस बार भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। गुजरात और राजस्थान दोनों राज्यों के करीब १७ जिलों में बाढ़ के हालात हैं। गुजरात के करीब दस और राजस्थान के करीब सात जिले बाढ़ की चपेट में हैं। बचाव राहत कार्य जारी है और पर्यटक भी फंसे हुए हैं। तो आइये जानते हैं बाढ़ के ताजा हालात कारण और निवारण।
सौ से अधिक लोगों की मौत
गुजरात और राजस्थान में अभी तक बाढ़ से सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से करीब ७० लोग गुजरात में और तीस से अधिक लोग राजस्थान में मारे गए हैं। दोनों ही राज्यों में एनडीआरएफ और सेना बचाव राहत कार्यों में लगे हैं। हवाई सेवा भी लोगों को बचाने में लगी हुई है। स्थानीय तैराक भी राहत कार्य में जुटे हैं। गुजरात में जहां खेड़ा और आणंद जिले में अलर्ट जारी है वहीं राजस्थान में भी पाली और सिरोही जिलों में अलर्ट जारी किया हुआ है। जवांई बांध का पानी बाहर आने को बेसबरा हो रहा है।
मदद का इंतजार
गुजरात में मोदी सरकार ने केन्द्र की ओर से बाढ़ में मृतकों के परिजनों को दो दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। इसके अलावा घायलों को पचास पचास हजार रुपए दिए जाएंगे। गुजरात में केन्द्र पंाच सौ करोड़ रुपए की मदद देने का वादा कर चुका है। वहीं राजस्थान अभी मदद को तरस रहा है। यहां राहत कार्य तो जारी है। सरकार अभी यह तय नहीं कर पा रही है कि मृतकों और विस्थापितों की संख्या कितनी है। कितने लोग बेघार हो गए हैं और संसाधनों की क्या स्थिति है। गुजरात में जैसे केन्द्र ने मदद दी है वैसे ही राजस्थान को भी मदद दी जानी चाहिए।
जहां सूखा वहां आया पानी
राजस्थान की भौगोलिक दृष्टि से पश्चिमी राजस्थान थार के मरूस्थल का हिस्सा है। यहां लोग बरसात को तरसते थे। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि यहां बरसात इतनी हो रही है कि लोगों के मुंह से बस निकल रहा है। चारों तरफ भरा हुआ है और घरों व बाजारों में भी भरा है। बांध छलक रहे हैं ओर लोग बेघर हो गए हैं। उन्हें बचाव का रास्ता नहीं सूझ रहा है क्योंकि वहां के लोग ऐसी स्थिति के लिए तैयार नहीं रहते।
सरकार की अदूरदर्शिता
पश्चिमी राजस्थान सूखा इलाका है। वहां कभी कभार ही हल्की फुल्की बरसात होती है। ऐसे में प्रशासन भी शायद यह सोच कर बैठ गया कि यहां कौनसी बरसात होनी है। ऐसे में वह बचाव के कार्य पहले पूरे नहीं कर पाया। न ही यहां के लोगों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है। क्योंकि यहां ऐसे हालात पैदा होने की आशंका न के बराबर होती है। लेकिन इस बार हालात ऐसे हो गए हैं। ऐसे में प्रशासन को यह न हीं सूझ रहा है कि बचाव कार्य चलाएं तो कैसे। पानी कहां निकालें कि पानी का स्तर कम हो। यह सरकार और लोगों दोनों के लिए परीक्षा की घड़ी है।
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