चीन के लिए हमारे व्यापारी ही बहुत सेना की जरूरत ही नहीं
दोस्तों भारत और पाकिस्तान की शत्रुता बहुत पुरानी है। सब लोग इस बारे में जानते हैं। लेकिन इस समय भारत को सबसे बड़ा खतरा चीन से नजर आ रहा है। चीन न केवल बदनीयती से हमारी भूमि पर कब्जा करना चाहता है बल्कि वह पाकिस्तान को भड़काने के साथ ही पूर्वाेत्तर में भी अस्थिरता फैला रहा है। इस सब के मायने क्या हैं। चीन क्यों ऐसा कर रहा है। आइये जानते हैं चीन की करतूत और बदनीयती की कहानी।
ऐसे हुई शुरूआत
विश्व में दो धु्रवीय व्यवस्था समाप्त होने के बाद अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बन कर उभरा। सोवियत रूस पूरी तरह विखंडित हो चुका है। ऐसी स्थिति में १९९१ के बाद चीन दूसरा धु्रव बनने के सपने संजोने लगा। कुछ वर्ष तो चीन बड़ा और समृद्ध देश होने के कारण इस उद्देश्य में सफल होता दिखा लेकिन अचानक भारत उसके आड़े आ गया। भारत की जनसंख्या आर्थिक समृद्धि युवाओं की संख्यास और तकनीकी उन्नति ने भारत को अचानक चीन से कहीं आगे ला खड़ा किया और चीन का दूसरा धु्रव बनने का सपना कांच के टुकड़ों की तरह बिखर गया।
ताजा विवाद
चीन वन बेल्ट वन रोड की नीति पर चलना चाहता है। भारत इसका विरोध करता आ रहा है। यह विरोध सुरक्षा कारणों से है। चीन इस विरोध से और चिड़ गया। उसने भारत को चिढ़ाने की दृष्टि से जहां सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यत का विरोध किया वहीं डोकलाम षडयंत्र रच भारत के लिए परेशानी भी पैदा की। भारत की सशक्त विदेश नीति और सेना यहां भी उसके आड़े आ गए। ऐसे में चीन को सभी मनसूबों पर पानी फिरता नजर आया तो उसने पूर्वात्तर में अशांति फैलाना शुरू कर दिया। फिलहाल दार्जिलिंग संकट और गोरखालैंड की मांग चीन की शह के बिना इतनी आगे नहीं बढ़ सकती।
पाकिस्तान और आतंकवाद को हवा
अपने मनसूबों को पूरा करने के लिए चीन ने शुरू से ही पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखी है। एक बार फिर डोकलाम में भारत के विरोध के चलते उसने पाकिस्तान को आगे किया और लगातार आतंकी हमले करवा रहा है। अनंतनाग में हमला भले ही पाकिस्तान ने किया हो लेकिन इसके पीछे भारत का ध्यान भटकाने वाली चीन की नीति से इनकार नहीं किया जा सकता।
ध्यान क्यों भटकाना चाहता है चीन
भारतीय सेना फिलहाल चार मोर्चों पर डटी है। पहला डोकलाम सबसे खतरनाक मोर्चा है। दूसरा दार्जिलिंग तीसरा पाकिस्तानी आतंकियों की घुसपैठ और चौथा मोर्चा बरसात और बाढ़ ने बना दिया है। चौतरफा घिरी सेना के लिए तीन मोर्चे चीन के तैयार किए हुए हैं। ऐसे में चीन भारत का ध्यान भटकाने में सफल हो रहा है। इसी बीच उपसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जरनल शरत चंद्र का बयान आया है कि चीन हिमालयी क्षेत्र में प्रभुत्व बढ़ा रहा है और भारत के लिए खतरा बन सकता है।
बयान के मायने क्या
भारत पर शुरू से ही हमले या तो पंजाब की तरफ से हुए या फिर हिमालयी दर्रों से होकर। चीन जहां हिमालयी क्षेत्र में अपना जाल फैला रहा है वहीं पाकिस्तान को शह दे रहा है कि वह उससे लगती सीमाई बस्तियों में अशांति फैला कर रखे। ताकि वहां सेना उलझी रहे और चीन आसानी से हिमालयी क्षेत्र कब्जा सके। यह क्षेत्र काफी ऊंचाई पर है और यहां से किसी भी सेना से मोर्चा लेना आसान है।
जवाब क्या इस चीनी हरकत का
भारत सबसे समृद्ध और चीन के बाद दूसरे नंबर पर जनसंख्या वाला देश है। भारत के बाजार में इतनी बड़ी तादात में चीनी माल बिकता है कि चीन को खरबों डॉलर मिलते हैं। यदि इस बाजार को चीन के लिए खत्म कर दिया जाए तो वह भूल जाएगा लडऩा भिडऩा। क्योंकि चीन को आर्थिक रूप से समृद्ध करने में हम भी जिम्मेदार हैं। चीनी माल की बिक्री बंद होते ही चीन की हालत खराब हो सकती है और वह घुटनों पर आ जाएगा।
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