हिंदी के लिए जान लड़ाने वाला अकेला मर्द - NEWS SAPATA

Newssapata Brings You National News, National News in hindi, Tech News. Rajasthan News Hindi, alwar news, alwar news hindi, job alert, job news in hindi, Rajasthan job news in Hindi, Competition Exam, Study Material in Hindi, g.k question, g.k question in hindi, g.k question in hindi pdf, sanskrit literature, sanskrit grammar, teacher exam preparation, jaipur news, jodhpur news, udaipur news, bikaner news, education news in hindi, education news in hindi rajasthan, education news in hindi up,

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Sunday, July 30, 2017

हिंदी के लिए जान लड़ाने वाला अकेला मर्द


हिंदी के लिए जान लड़ाने वाला अकेला मर्द


दोस्तों, हिंदी की बातें करने वाले तो आपको बहुत मिलेंगे। लेकिन ऐसा शायद ही कोई होगा जो दिल्ली विश्वविद्यालय की नौकरी छोड़कर हिंदी की सेवा में अपना जीवन लगा दे। आज हम आपको ऐसे ही शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने न केवल अपनी सरकारी नौकरी छोड़ी वरन हिंदी जैसी भाषा को रोजगार परक बना हजारों लोगों को नौकरी भी दिलवाई। ये शख्स हैं अलवर के डॉ. फरमान अली। नाम से मुसलमान और काम से असली राजस्थानी और हिंदु। जो हिंदी के लिए इतना कुछ कुर्बान करने को तैयार हो गए।

साज-ए-वतन की बस एक ही तान।

हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान।।


बकौल डॉ. फरमान अली उन्होंने दिल्ली, जेएनयू से पढ़ाई की। पीएचड़ी के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में उन्होंने अध्यापन कार्य किया। कुछ समय बाद उनका हिंदी प्रेम जाग उठा और उन्होंने नौकरी छोड़ हिंदी पढ़ाने के लिए इंस्टीट्यूट खोलने का मानस बना लिया। जब इसकी चर्चा मित्रों और परिजनों से की तो सबने उनकी हंसी उड़ाई। कहा कि कहां फंस रहे हो। कौन आएगा हिंदी पढऩे। यह तो सरल भाषा है। इसे तो घर पर भी पढ़ा जा सकता है। लेकिन डॉ. फरमान ङ्क्षहदी की सेवा का मानस बना चुके थे और पूरी तैयारी से मैदान में आ डटे। उन्होंने अलवर में राजस्थान इंस्टीट्यूट के नाम से एक संस्था डाल दी। शुरूआत जरूर एक विद्यार्थी से हुई लेकिन आज तक वे हजारें बच्चों को हिंदी के जरिये रोजगार दिला चुके हैं। उनका दावा है कि राजस्थान में आज की तारीख में यह हिंदी का सबसे बड़ा संस्थान है। इसमें राजस्थान ही नहीं दिल्ली और हरियाणा से भी लोग हिंदी पढऩे आते हैं। संस्थान में पढ़े हजारों बच्चे आज अनेक स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हैं।

हिंदी के लिए जारी है लड़ाई

डॉ. अली का कहना है कि फिलहाल राजस्थान पुलिस में भर्ती निकली है। इसमें हिंदी को शामिल नहीं किया गया। यह कैसा हिंदुस्तान है जहां मातृभाषा पर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा। जबकि सभी लोग मातृभाषा पर तो मरने मिटने के लिए तैयार हो जाते हैं। उनका मानना है कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में कम से कम सौ अंकों का हिंदी विषय होना जरूरी है। यह एक रास्ता ऐसा है जिसके जरिये हम हिंदी का उद्धार कर सकते हैं। अन्य भाषाओं से उनका बैर नहीं लेकिन हिंदुस्तान में हिंदी जरूरी है और इसके लिए सरकारों को ध्यान देना चाहिए।

आपको यह जानकारी कैसी लगी। इसी तरह की अन्य जानकारियां और एक्सक्लूसिव इंटरव्यू पढ़ते रहने के लिए न्यूज सपाटा से जुड़े रहें। धन्यवाद।
ऑन लाइन संस्कृत पढऩे के लिए देखिये यू ट्यूब चैनल कॉम्पिटीशन बॉस।
यू ट्यूब चैनल पर जाने के लिए यहां पर क्लिक करें।
डॉ. फरमान अली का पूरा इंटरव्यू यहां क्लिक करें। 

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad