कबीर पंथ का यह शिष्य कराता है हजारों लोगों को कराता है निशुल्क भोजन
दुनिया में ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो पैसे को अहमियत नहीं देते। ऐसे लोग सेवा को महत्व देते हैं और समाज में अलग ही मुकाम हासिल करते हैं। इस तरह के लोग समाज के आदर्श कहलाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं।
अलवर निवासी अमर चंद मीणा ऐसे ही शख्स हैं। सेना से सेवनिवृत्त होने के बाद इन्हें भी रिटायरमेंट पर काफी पैसा मिला। लेकिन माता पिता के एक बार कहने पर इन्होंने अपना सारा पैसा उन्हें दे दिया। यानि पूरी नौकरी के बाद एक बार फिर मीणा खाली हाथ हो गए।
खाली बैठने से अच्छा कोई काम करना होता है। मीणा ने यही सोचा और फौजीराज नाम से एक ढाबा मेगा हाइवे पर खोल लिया। ढाबा शुरू में तो खूब चला लेकिन बाद में ग्राहकों की कमी आने लगी। मजबूत दिल फौजी मीणा ने हार नहीं मानी और काम करते रहे। एक दिन उनके बड़े भाई के यहां कबीरपंथी संगत के कुछ लोग आए हुए थे।
अमर ने माँ से पूछा कि ये कौन हैं और यहाँ क्या हो रहा है। माँ ने बताया कि यह कबीर पंथी साधु संगत है और इनकी यहां प्रत्येक महीने बैठक होती है। इस बैठक का खर्च उनके भाई उठाते थे। यानि कई लोगों का खाना खर्च करते थे। माँ ने कहा कि तू भी ऐसा किया कर। साधुओं को भोजन कराया कर। तेरा काम भी चलेगा। अमर को यह बात जच गई और उन्होंने अपना हाथ और दिल खोल दिए।
अंतिम रविवार को निशुल्क भोजन
मीणा ने यह तय कर लिया कि अब वे महीने के अंतिम रविवार को निशुल्क भोजन कराने लगे। शुरू में तो लोगों को पता नहीं चला लेकिन बाद में इतने लोग इस रविवार को आने लगे कि भीड़ बढऩे लगी। आज खुद मीणा को पता नहीं कि कितने लोग उनके यहां निशुल्क भोजन करते हैं। बाकी इस वीडियो में खुद सुनिये मीणा की जुबानी उनकी कहानी।
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