भारत-इजराइल
पोप भी मददगार है और भारत भी
इजराइल का 'शबरी इंतजारÓ खत्म हुआ। भगवान राम के देश भारत से 70 वर्ष बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी इजराइल पहुंचे। वहां उनका इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 11 मंत्रियों और 40 विशेष प्रतिनिधियों के साथ एयरपोर्ट पर स्वागत किया। यह स्वागत पोप के समान था। पोप भी मददगार हैं, भगवान राम भी मददगार थे। नरेन्द्र मोदी भी इसी श्रेणी में रखे जा सकते हैं। इजराइली प्रधानमंत्री ने हिंदी में कहा 'आपका स्वागत है मेरे दोस्त। भारतीय प्रधानमंत्री से नेतन्याहू 3 बार गले मिले ओर 4 बार हाथ मिलाया। यह तथ्य मीडिया की सुर्खियां भी हैं। इससे यह स्पष्ट झलकता है कि दोनों देशों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक दूसरे की सख्त जरूरत है। दरअसल इजराइल चारों ओर से मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, लेबनान, अल्जीरिया, कुवैत, इराक, फिलिस्तीन, सूडान और ट्यूनिशिया जैसे करीब 13 देशों से घिरा हुआ है, जो उसके लिए संकट बने हुए हैं। इनमें से सबसे बड़ा संकट फिलिस्तीन रहा है और अब सीरिया। मोदी की इस यात्रा के बाद इजराइल स्वयं को भारत के सहयोगी और मजबूत दोस्त की तरह अपने को विश्व पटल पर पेश करेगा।
इजराइल वह जिगर वाला देश है जिस पर प्रतिदिन मिसाइल हमले होते हैं, जिन्हें वह हवा में न केवल नाकाम करता है वरन तरक्की पर इसका असर तक नहीं पडऩे देता। जमीनी तौर पर भले ही इजराइल भरत के मिजोरम से भी छोटा हो लेकिन तकनीकी तौर पर वह विश्व के 197 देशों में से 190 से भी आगे है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि इजराइल का अपना सेटेलाइट सिस्टम है, जिसे वह किसी देश से शेयर नहीं करता। सिलिकन वैली के बाद यदि तकनीकी क्षेत्र में नाम आता है तो वह इजराइल का ही आता है। इजराइल में 3500 से भी अधिक तकनीकी कंपनियां हैं। इजराइल हमारे लिए हथियारों का बड़ा निर्यातक भी है। अमरीका और रूस के बाद इजराइल का हथियार निर्यातकों में तीसरा नंबर है।
इंडिया टेंलेंट और इजराइल तकनीक अब साथ-साथ
मोदी ने नारा दिया मेक इन इंडिया। इजराइल में भी नेतन्याहू ने उनसे प्रभावित होकर आई-टी स्क्वायर फार्मूला दिया है। इसका अर्थ है इंडियन टेंलेंट एंड इजराइली टैक्नोलोजी। जापान के बाद इजराइल ऐसा दूसरा देश है जिससे भारत तकनीकी तौर पर प्रभावित नजर आ रहा है। अब भारत की प्रतिभाएं इजराइल की तकनीक से जुड़ काम कर सकेंगी। भारत की ३५ फीसदी आबादी युवा है। इन्हें कौशल से निखारने की जरूरत है। नया फार्मूला इस दिशा में बेहतर साबित हो सकता है।
इजराइल की तकनीक पहले से ही दूसरे मायने में राजस्थान और गुजरात की भौगौलिक दशाओं के अनुकूल रही है। यहां मैं बात कर रहा हूं रेगिस्तान को हरा-भरा करने की। इजराइल समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाकर खेती के काम में ले रहा है। भारतीय दल वहां इसके अध्ययन के लिए जाते रहे हैं। यदि इस तकनीक को काम में लिया जाए तो हमारे यहां भी पानी की कमी नहीं रहेगी।
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