ये सच्ची और आज की कहानी है पार्ट-3
रिवर्स अटैक: फिर चित्त आया आकाशी
जिस तरह 20 वीं सदी के अंतिम दशक में परदेसी समझदार हमलावर ने आकाशी को उसके घर में घुसकर चित्त किया और जमीन सुंघा दी थी उसी तरह आकाशी भी उसके राज्य में घुसकर यही करना चाहता था। लेकिन आकाशी की रणनीति सटीक नहीं थी। न ही उसके सिपहसालारों में ऐसा कोई था जो सटीक रणनीति बना सके। उसकी फौज में ऊपर के अधिकारी तो चापलूस किस्म के थे तथा दोषों/कमियों पर पर्दा डालने वाले थे। दोषों को दूर करने वाले नहीं थे। न ही उनमें सच का सामना करने की हिम्मत थी। जब तक कमियां सामने नहीं आती, जब तक सच का सामना नहीं किया जाता, तब तक दोषों को दूर करना संभव नहीं होता। नतीजा यह हुआ कि आकाशी के सिपहसालारों की रणनीति परदेसी राज्य में पूरी तरह धराशायी हो गई। वह एक बार फिर मुंह के बल गिरा। उसके करोड़ों रुपए डूब गए। सेना भी परेशान थी, वह जानती थी कि नेतृत्व एक दम दोयम दर्जे का है। इस नेतृत्व में हार निश्चित है। लेकिन सेना काम लडऩा होता है जो उसने पूरी शिद्दत से किया। इन दोनों मोर्चों पर हार से बौंखलाया आकाशी अब सैनिकों को परेशान करने लगा। सभी चापलूस मुख्यालय में बैठे-बैठे आकाशी और उसकी तीसरी पढ़ी को हवाई किले बना-बना कर दिखाते रहे और सैनिकों के तबादले बिना बात दूर-दराज के मोर्चे पर किए जाते रहे। आकाशी चापलूस खिदमतगारों की बातों में आता रहा। वह सैनिकों का न तो वेतन बढ़ाता न उनकी सुविधाओं में ही बढ़ोतरी करता।
अगली किश्त में जानिये....जाबांज सैनिकों ने किस प्रकार रखी आकाशी के सम्मान और सत्ता के पतन की नींव...
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