युवाओं के साथ आखिर रात को क्यों होता है ऐसा
दोस्तों युवा अवस्था में अक्सर समस्या रात के समय कपड़े खराब होने की रहती है। इसमें रात को सोते समय अनियंत्रित अवस्था में मूत्रमार्ग से धातु बाहर आती है। यह काफी गाढ़ा और चिपचिपा और सफेद रंग का होता है। इससे शारीरिक कमजोरी महसूस होती है और मानसिक रूप से भी व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। कुछ लोग नीम हकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं और कुछ लोग डॉक्टर्स के चक्कर पड़ कर हजारों रुपए गंवा देते हैं। लेकिन बहुत ही सरल उपाय हैं जिन्हें करने के बाद हम इस समस्य से पूरी तरह निजात पा सकते हैं। तो दोस्तो आइये जानते हैं क्या हैं वे रामबाण उपाय जो आपको इस समस्या से निजात दिला सकते हैं।
क्या हैं कारण
शरीर से धातु बाहर आना सामान्य रूप से एक प्रक्रिया है। यह सभी के साथ होती है। मुख्य रूप से १८ वर्ष से २५ वर्ष के युवाओं में यह अधिक पाई जाती है। ऐसे में मन भटकना स्वाभाविक है। हम जो भी खाते हैं उससे हमारे शरीर में खून बनता है। इसी खून से धातु बनती है। जब यह अधिक हो जाता है तो मूत्र मार्ग से बाहर आ जाता है। इसे ही हम धातु पात कहते हैं।
हाथ पैर धोकर सोएं
रात को साते समय हाथ पैर ठंडे पानी से धोकर सोएं। सर्दियों में भी ठंडे पानी से ही हाथ पैर धोकर ही सोना है। सोने से पहले जहां तक हो सके गर्म दूध पीने से बचें। तेज सर्दियों में गुनगुना दूध पी सकते हैं। जितना हो सके अपने आप को अधिक ढका हुआ नहीं रखें। घर में सामान्य रूप से बरमूड़ा पहनें। जींस आदि पहनने से बचें।
अच्छा साहित्य पढ़ें
रात को सोते समय अच्छा साहित्य पढ़कर सोने की आदत डालें। महापुरुषों की जीवनियां वीरता की कहानियां अकबर बीरबल के किस्से या कोई साहित्यिक मैग्जीन अखबार के आर्टीकल्स आदि भी पढ़ सकते हैं। यह तब पढऩा है जब आपका मन भटक रहा हो। अन्यथा अपना स्लेबस ही अधिक पढ़ें और उसे दोहराते रहें। इससे काफी हद तक आपका ध्यान अश्लीलता से हटेगा।
कल्पना में अश्लीलता नहीं रखें
किशोर अवस्था में शारीरिक बदलाव होना स्वाभाविक है। इस उम्र में लड़कियों के स्तनों में वृद्धि होती है और पुरुषों के दाढ़ी मूछ निकल आती है। इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण भी पैदा होता है और लड़की लडका एक दूसरे के पास आना चाहते हैं। लेकिन सामाजिकता इसकी इजाजत नहीं देती। ऐसे में लड़के कल्पना में खो जाते हैं और यह कल्पना अश्लील होती है। ऐसे में धातु पात होने की अधिक संभावना रहती है। अत: इस तरह की कल्पना से बचा जाए तो अधिक अच्छा है।
पेट साफ रखें
पेट सौ रोगों की खान होता है। यदि आपका पेट साफ है तो गं्रथियों पर कम जोर रहता है और रात को रात के समय धातुपात की संभावना काफी कम हो जाती है। ऐसे में कोशिश करें कि सुबह ओर शाम दोनों वक्त मल त्याग की आदत डालें। शहरों में यह आदत कम देखने को मिलती है। लोग एक बार ही मल त्याग करते हैं जबकि दोनों वक्त खाते हैं। रात को सोते वक्त यदि पेट साफ रहेगा तो पेट हल्का रहेगा और नींद अच्छी आएगी। इससे धातुपात की समस्या काफी हद तक रुक जाती है।
अकेले न रहें
किशोर वय में लड़के लड़कियां अकेले अधिक रहते हैं। क्योंकि वे कल्पना शीलता में खोये रहते हैं। शेख चिल्ली के से ख्वाब बुनते हैं। इस उम्र में अश्लीलता की और ध्यान अधिक जाता है। तो कोशिश करें कि परिवार के बीच अधिक समय बिताएं और अपने को व्यस्त रखें। भावनाएं नियंत्रण में रखना भी धातुपात की समस्या को कम करता है। कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत। यदि आप ठान लें कि आज कोई अश्लील कल्पना नहीं करेंगे रोजाना सोने से पहले अच्छा साहित्य पढेंगे पढ़ाई में ध्यान लगाएंगे तो आपकी यह समस्या आधी से अधिक तो वैसे ही समाप्त हो जाएगी।
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