सरिस्का में वन विभाग की टीम को ऐसे दे रहा है चकमा पैंथर
अलवर, २१ जुलाई । अलवर जिले के सरिस्का वन्यजीव क्षेत्र में पैंथर के हमले के बाद घायलों को आर्थिक मदद दे दी गई है। दोनों को मदद के नाम पर ४०-४० हजार रुपए दिए गए हैं। पहले बीस हजार रुपए घायल को देने का प्रावधान था। अब इसे दोगुना कर दिया गया है। उधर पैंथर वन विभाग की टीम को लगातार चकमा देने में कामयाब हो रहा है। पिंजरा लगाए दो दिन हो चुके हैं, लेकिन विभाग की टीम पैंथर को पकड़ नहीं पाई है। ट्रेंक्यूलाईज विशेषज्ञ अभी भी सरिस्का में अपनी टीम के साथ डेरा डाले हुए हैं और रात को भी जंगल में ही डेरा जमाया हुआ है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और जंगल में चराई उन्होंने कम कर दी है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को पैंथर ने दो ग्रामीणों पर हमला कर घायल कर दिया। वन विभाग ने पैंथर पर काबू पाने के लिए जयपुर से ट्रेंक्यूलाईज विशेषज्ञ बुलाए। इसके अलावा करीब २५ लोगों की टीम उसकी तलाश में जुटी। जानकारी के अनुसार बुधवार को अकबरपुर रेंज के गांव बलदेवपुरा के रामजीवन पुत्र मंगतूराम गुर्जर और इंपती पुरा के रामचंद्र पुत्र घासीराम यादव को पैंथर ने घायल कर दिया। दोनों जंगल में बकरी चराने गए थे। दोनों को बाद में उपचार के लिए अलवर के सामान्य चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया है। जहां उनका उपचार चल रहा है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पैंथर को पकडऩे के लिए पृथ्वीपुरा ग्राम पंचायत के हरिपुरा गांव में दो पिंजरे लगाए गए हैं। बुधवार रात को भी पैंथर एक पिंजरे के पास से निकल गया, लेकिन अंदर नहीं आया। गुरुवार को उस इलाके में पैंथर का मूवमेंट ही नहीं रहा। अधिकारियों का कहना है कि पैंथर है तो यहीं लेकिन भीड़ का मूवमेंट देखकर छिप गया है। फिलहाल एकदम शांति कायम करनी होगी। तभी उसे पकडऩा संभव है।
उधर दूसरी तरफ जयपुर से आए ट्रेंक्यूलाइज विशेषज्ञ डॉ अरविंद माथुर के साथ वनविभाग की टीम अभी भी फील्ड में है और पैंथर को ट्रेस करने का प्रयास कर रही है।
मूवमेंट कम करना होगा
सरिस्का आईएफएस बालाजी करी ने बताया कि पैंथर का मूवमेंट अभी शांत हो गया है। वह भीड और टीम को देखकर छिप गया है। पैंथर को पकडऩे के लिए टीम वहीं डेरा डाले हुए है, लेकिन इस काम में समय लग सकता है।
No comments:
Post a Comment