रेलवे सब्सीडी केवल तीन काम करें तो कुछ छोडने की जरूरत नहीं - NEWS SAPATA

Newssapata Brings You National News, National News in hindi, Tech News. Rajasthan News Hindi, alwar news, alwar news hindi, job alert, job news in hindi, Rajasthan job news in Hindi, Competition Exam, Study Material in Hindi, g.k question, g.k question in hindi, g.k question in hindi pdf, sanskrit literature, sanskrit grammar, teacher exam preparation, jaipur news, jodhpur news, udaipur news, bikaner news, education news in hindi, education news in hindi rajasthan, education news in hindi up,

Breaking

Home Top Ad

Post Top Ad

Friday, July 14, 2017

रेलवे सब्सीडी केवल तीन काम करें तो कुछ छोडने की जरूरत नहीं

रेलवे सब्सीडी केवल तीन काम करें तो कुछ छोडने की जरूरत नहीं


मीडिया की सुर्खियों में छाया है कि रेलवे अब टिकट पर सब्सीडी छोडने का विकल्प देगा इसमें अच्छी बात यह है कि यह वैकल्पिक है और बुरी बात यह है कि अनिवार्य नहीं है यह कदम उचित है अथवा नहीं यह समझने के लिए पहले यह समझना होगा कि रेलवे क्या है इसकी जरूरत क्यों पडी और अब इसका क्या महत्व है। कम शब्दों में हम इसका महत्व इस प्रकार समझ सकते हैं।

रेल कांड की देन है महात्मागांधी


भारत में रेल की शुरूआत अंग्रेजों ने अपनी यात्रा तथा संचारगत सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष १८५३ में की थी तब कोई सब्सीडी नहीं थी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में रेलवे की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता काकोरी कांड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है महात्मागांधी को भी यदि रेल से बाहर नहीं फेंका जाता तो देश से अंग्रेजों को बाहर निकाल फेंकने का उनका संकल्प शायद इतना मजबूत नहीं होता ऐसा चिरकालिक नेता हमें नहीं मिलता न ही देश इतनी जल्दी आजाद होता वर्तमान में इस बात से रेलवे का महत्व समझा जा सकता है कि देश में करीब सवा लाख किलोमीटर लंबी रेलवे लाइनें हैं और सात हजार से अधिक स्टेशन हैं कोयले की रेल से लेकर हम बिजली की रेल और उससे आगे अब मैट्रो रेल के सफर तक आ पहुंचे हैं।

ये लोग क्या तालियां बजाने के लिए हैं


बतौर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देशहित में फैसले अच्छे कर रहे हैं मंत्रीगण और पूरी ब्यूरोक्रेसी को भी उनका साथ देना चाहिए लेकिन ऐसा नजर नहीं आता गिव अप अभियान के जरिये पहले देशवासियों को गैस सिलेंडर पर सब्सीडी छोडऩे को कहा गया अभी सभी मंत्रियों और अफसरों ने गैस सिलेंडर पर सब्सीडी नहीं छोड़ी है अब रेलवे के टिकट पर मिलने वाली सब्सीडी छोडने को कहा जा रहा है तो क्या इस बार भी उम्मीद का ठीकरा आम आदमी के सिर ही फोडना है तो क्या ये लोग केवल तालियां बजाने को हैं।

क्या होना चाहिए था


होना तो यह चाहिए था पहले सभी सांसद और फिर देश के सभी राज्यों के विधायक ए और बी श्रेणी के अफसर पहले इस नेक काम में आगे आते रेलवे के अफसर खुद मोटी तनख्वाह पाते हैं पहले वे अपनी सब्सीडी और रेलवे में मिलने वाले मुफ्त पास की सुविधा आदि छोड़ आदर्श प्रस्तुत करते तब उन्हें जनता को ऐसा वैकल्पिक ऑफर देना चाहिए था उसका असर कहीं अधिक होता जनता तो स्वयं इसके बाद उनके पीछे हो लेती।

इससे बड़ा मजाक नहीं


सांसदों विधायकों को मोटर वाहन भत्ता आवास भत्ता बिजली का बिल भत्ता टेलीफोन भत्ता पीए का खर्च सहित अनेक ऐसे भत्ते दिए जाते हैं जो तनखा से अलग हैं यहां तक कि उन्हें दौरान ए सत्र सदन में जाने का भी भत्ता अलग से दिया जाता है यह बडी मुर्खता पूर्ण बात नहीं है कि किसी व्यक्ति को उसके काम के बदले तनखा के अलावा कार्यालय आने का अलग से भत्ता दिया जाए कि आओ भाई आप कार्यालय आए आपका बडा अहसान हुआ और इसके बदले होता क्या है ये जनप्रतिनिधि वहां भी अपना काम ठीक से नहीं करते बहस बीच में ही छोड देते हैं सदन का बहिष्कार कर देते हैं जनहित के मुद्दों पर बहस पूरी नहीं करते जनहित के मुद्दे उठाने के बदले पैसे तक लेते हैं ऐसे कांड समय समय पर उजागर भी होते रहे हैं।

छोटे मियां सुभान अल्लाह


बड़े मियां तो बडे मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह देश में जनप्रतिनिध जनहित में नहीं सोचते लेकिन यही हाल अफसरों का भी है वे कार्यालय समय पर नहीं आते जनता के काम अटकाने में तो उन्हें महारथ हासिल है सब्सीडी छोडने के नाम पर तर्क दिया जाता है कि यह पैसा देश के विकास के काम आएगा उधर चुपके से जनप्रतिनिधि अपने वेतन भत्ते खुद ही तय कर लेते हैं और खुद ही बढ़ा लेते हैं वहां वे जनता से राय करना उचित नहीं समझते बात बात पर न्यायिक सक्रियता दर्शाने वाली देश की सर्वोच्च अदालत भी इसमें दखलंदाजी करना मुनासिब नहीं समझती।

तो क्या यह धंधा है

जनप्रतिनिधि बनना कोई व्यवसाय अथवा धंधा नहीं है उन्हें सेवा के लिए चुना गया है अनेक देश है जहां जनप्रतिनिधियों को वेतन आदि नहीं दिया जाता यहां तक कि उन्हें अलग से सुविधाएं भी नहीं दी जाती भारत में भी शत प्रतिशत जनप्रतिनिधि और तमाम अफसर सक्षम से सक्षम हैं उन्हें किसी प्रकार की सब्सीडी की जरूरत नहीं होना चाहिए यह उनकी शपथ में शामिल होना चाहिए कि मैं देश हित में सब प्रकार की सब्सीडी का त्याग करता हूं तब जाकर देश हित के नाम पर सब्सीडी छोडने का संकल्प सही मायनों में पूरा होगा।

ये काम हैं जरूरी

कुछ काम ऐसे हैं जो कर लिए जाएं तो सब्सीडी जैसा मुद्दा कभी हवा न बने न ही इस पर माथा पच्ची की जरूरत होगी वे ये हैं पहला यह कि सभी प्रकार की सब्सीडी समाप्त कर दी जाए दूसरा महंगाई और जरूरी वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण किया जाए और तीसरा अफसर ओर जनप्रतिनिधि अपना काम ईमानदारी से करें।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad