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Friday, July 14, 2017
करिश्माई शक्तियों का मालिक होता है भारत का राष्ट्रपति
राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक होता है। बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई कार्य करन संभव नहीं है यह बात अलग है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति रबर की मोहर मात्र कहा गया है यानि कि वह संसद से बंधा हुआ होता है तो दोस्तों आइये जानते हैं भारत के राष्ट्रपति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य।
गणराज्य के राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से ऐसे निर्वाचक मंडल द्वरा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों राज्य सभा और लोक सभा के निर्वाचित सदस्य और रााज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। मनोनीति सदस्य शामिल नहीं होते। यद्यपि भारत का राष्ट्रपति संसद क अंग होता है तथापि वह दोनों में से किसी भी सदन में न तो बैठता है न ही उसकी चर्चाओं में भाग लेता है। राष्ट्रपति समय समय पर संसद के दोनों सदनों की बैठक भी आमंत्रित करता है। वह संसद के सदनों का सत्रावसान कर सकता है और लोक सभा को भंग कर सकता है। दोनों सदनों द्वारा पास किया गया काई विधेयक तभी कानून बन सकता है जब राष्ट्रपति उस पर अपनी अनुमति प्रदान कर दे। इतना ही नहीं जब संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन नहीं चल रहा हो और राष्ट्रपति को समाधान हो अर्थात ऐसा लगे कि मौजूदा परिस्थितिवश उसे तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए तो वह अध्यादेश प्रख्यापित कर सकता है या जारी कर सकता है। जिसकी शक्ति एवं प्रभाव वही होता है जो संसद द्वारा पास की गई विधि का होता है।
लोकसभा के लिए प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात प्र्रथम अधिवेशन के प्रारंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम अधिवेशन के प्रारंभ में राष्ट्रपति एक साथ समवेत यानि कि संयुक्त रूप से संसद के दोनों सदनों के समक्ष अभिभाषण करता है और सदनों की बैठक के लिए आमंत्रित करने के लिए कारणों की संसद को सूचना देता है। इसके अतिरिक्त वह संसद के किसी एक सदन के समक्ष अथवा एक साथ समवेत दोनों सदनों के समक्ष अभिभाषण कर सकता है। इस प्रयोजन के लिए सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकता है। उसे संसद में उस समय लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश या कोई अन्य संदेश किसी भी सदन को भेजने का अधिकार है। जिस सदन को कई संदेश इस प्रकार भेजा गया हो वह सदन उस संदेश द्वारा जिस विषय पर विचार करना अपेक्षित हो, उस पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करता है। कुछ प्रकार के विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश प्राप्त करने के बाद ही पेश किए जा सकते हैं अथवा उन पर आगे कोई कार्यवाही की जा सकती है।
संविधान के अनुसार संसद संबंधित कुछ अन्य कृत्य भी हैं जिनका निर्वहन राष्ट्रपति से अपेक्षित है। जब कभी आवश्यक हो तो वह लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष और राज्यसभा का कार्यकारी सभापति नियुक्त करता है। किसी विधयेक पर दोनों सदनों के बीच असहमति होने की स्थित में उनकी संयुक्त बैठक बुलाता है। राष्ट्रपाति प्रत्येक वर्ष सरकार का बजट जिसे संविधान में वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है और भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक वित्त आयोग संघ लोक सेवा आयोग अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजााितयों के लिए अलग अलग आयोग तथा पिछड़े वर्ग अयोग जैसे संवैधानिक प्राधिकरणों के कुछ अन्य प्रतिवेदन संसद के समक्ष रखता है।
यदि उसकी राय हो कि आंग्ल भारतीय समुदाय का लोकसभा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह सदन के लिए दो से अनधिक सदस्य मनोनीत कर सकता है। राष्ट्रपति साहित्य विज्ञान कला ओर समाज सेवा जैसे मामलों के विषय में विशेष ज्ञान अथवा व्यवहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से १२ सदस्य राज्यसभा के लिए मनोनीति करता है। इसके लिए अतिरिक्त उसे निर्वाचन आयोग की राय प्राप्त करने के बाद फैसला करने की शक्ति प्राप्त है कि क्या विधिवत निर्वाचित कोई सदस्य संविधान के अनुच्छेद १०८ में निर्धारित अनर्हताओं से ग्रस्त होता है अथवा नहीं। इस विषय में उसका फैसला अंतिम होता है।
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