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Sunday, July 23, 2017

आइये जानें फिर से क्यों चर्चा में हैं मैट्रो मैन ई श्रीधरन

आइये जानें फिर से क्यों चर्चा में हैं मैट्रो मैन ई श्रीधरन


भारत में ई श्रीधरन को कौन नहीं जानता। वे मैट्रो मैन के नाम से भारतीय जनमानस में रचे बसे हैं। पद्म श्री और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित ई श्रीधरन को दिल्ली मैट्रो का जनक भी कहा जाता है। लेकिन यह बातें पुरानी हो गई हैं। आज ऐसा क्या है कि फिर से श्रीधरन चर्चा में हैं। जी हां आइये हम आपको बताते हैं कि पर्दे के पीछे जा चुके मैट्रो मैन फिर से चर्चा का विषय क्यों बने।

कोच्ची मैट्रो विवाद

हाल ही जून के मध्य सप्ताह में कोच्ची मैट्रो का उद्घाटन किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस कार्यक्रम में मौजूद थे और उन्होंने ही हरि झंडी दिखा कोच्ची मैट्रो को रवाना भी किया। मैट्रो में उन्होंने सफर भी किया। इसी कार्यक्रम के कारण मैट्रोमैन ई श्रीधरन फिर आज चर्चा में हैं। राजनीतिक गलियारों और मीडिया में चर्चे हैं कि श्रीधरन का नाम कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के साथ मंच शेयर करने वालों में शामिल नहीं था। उनका नाम बाद में यानि कि कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले जल्दबाजी में जोड़ा गया। सोशल मीडिया ने इसे ऐसी हवा दी कि श्रीधरन फिर चर्चा में आ गए।

इतनी बड़ी भूल की क्या माफी है

किसी भी देश की यातायात व्यवस्था उसकी जीवन रेखा होती है। आज इतना फास्ट युग है कि बिना मैट्रो हम सफर की कल्पना नहीं कर सकते। श्रीधरन ने ही हमें यह सौगात दी है। पेशे से सिविल इंजीयर ई श्रीधरन सरल स्वभाव के हैं और अपने काम से काम रखने वाले हैं। लेकिन क्या इतने महत्वपूर्ण आयोजन में उन्हें भूल जाना क्या कोई छोटी भूल कही जा सकती है। यह अच्छा हुआ कि एन वक्त पर ही सही भूल सुधार ली गई। वरना आज की जो राजनीति है उसमें कुछ भी संभव है क्यों कि देश की तरक्की में योगदान देने वाले कर्णधारों को हाशिये पर धकेलना कोई नई बात नहीं रह गई है।

संक्षिप्त परिचय भी जानें

ई श्रीधरन का जन्म १२ जून १९३२ को हुआ। वे सिविल इंजीयर हैं। तमिलनाडू का पंबन पुल कोंकण रेलवे दिल्ली मैट्रो जैसे अनेक बड़े प्रोजेक्ट वे समय से पहले पूरे करने वालों में हैं। दिल्ली मैट्रो के वे निदेशक रहे। उनके कार्य को देखते हुए २००१ में उन्हें पद्मश्री और २००८ में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया। उनके रिटायर्ड होने के बाद २०१३ में मंगूसिंह को उनके स्थान पर नियुक्त किया गया है। जब २००३ में टाईम्स पत्रिका में श्रीधरन के बारे में छपा तो वे देश के हीरो बन गए। भारत की पहली मैट्रो कोलकाता मैट्रो भी श्रीधरन की ही देन है।
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