कहां गई महादेवी...
महादेवी नाम अक्सर शिव पत्नी पार्वती जी के पर्याय के रूप में सामने आता है। लेकिन हम बात कर रहे हैं अलवर की महादेवी की...। यह वो ब्रांड है जो कभी काफी चलन में था। इस ब्रांड की नमकीन अलवर में काफी बिका करती थी। यह वह समय था जब अलवर में विकास को गति मिल रही थी ओर जुबान का जायका परंपरा की सीमाएं लांघ आधुनिकता की ओर बढ़ रहा था। जोधपुर के एक व्यवसायी थे जिन्होंने अलवर में यह ब्रांड चलाया। यहां आटेवाली गली में एक छोटी सी दुकान आज भी है जहां से यह बड़ा कारोबार चलता था। लेकिन कुछ एेसा हुआ कि यह ब्रांड अचानक बाजार से गायब हो गया...। आज इसका नामलेवा भी नहीं बचा है। आईये जानते हैं एेसा क्या हुआ महादेवी के साथ...।
ब्रांड जब चल निकला तो इसके मालिक ने ब्रांड को नौकरों के भरोसे छोड़ दिया और लंबे समय अपने गृह जिले में जोधपुर प्रवास पर रहने लगा ,जबकि उनका कार्यक्षेत्र अलवर था। इसका नतीजा यह हुआ कि बाजार में देनदारी बढ़ गई और कारोबार ठप होने लगा। अंत-पंत उन्हें अलवर छोडऩा पड़ा। धीरे-धीरे देनदारी चुकाते-चुकाते ब्रांड ठप हो गया और नए ब्रांड अलवर में छा गए। ...
(उक्त जानकारी बाजार में प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है। )
किस प्रकार नए ब्रांड बाजार में आए और किस प्रकार लोगों की जुबान का जायका बदलता गया..यह जानने के लिए जुड़े रहिये मेरे साथ...
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