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Thursday, December 1, 2016

कहां गई महादेवी...2


दो का दंगल..
महादेवी जब अपने चरम यौवन पर थी तभी अग्रवाल और खंडेलवाल अंकुरण की अवस्था में दिखाई देने लगी थी। लेकिन महादेवी के महारूप के समक्ष उनका अवतार अंकुरण के समान ही नजर आता था। दोनों ब्रांड युवाओं के हाथों में थे और बाजार में छाने के लिए बेकरार थे। महादेवी के बाजार से विनियोग के बाद दंगल केवल इन दो ब्रांड में ही बचा।
इस दंगल में अग्रवाल ब्रांड समय और परिस्थितियों के कारण दम तोड़ गया। या फिर कहें के महादेवी का श्राप उसे साथ ले गया। बचा खंडेलवाल। इसने सर्वाइव किया और लोगों की जुबान पर बतौर स्वाद चढऩे लगा। खंडेलवाल नमकीन शहर में बिकने लगे। मुख्य रूप से अलवर शहर में और भरतपुर जिले में। धीरे-धीरे दोनों जिलों में यह ब्रांड छा गया। हालात परिवर्तित होते रहते हैं। खंडेलवाल ब्रांड शहर में आज भी जीवित है, लेकिन इससे कहीं अधिक भरतपुर जिले में पहुंच बना चुका है। अलवर शहर के नमकीन विकास के साथ यहां और भी ब्रांड धीरे-धीरे आने लगे, लेकिन खंडेलवाल ब्रांड को अपनी जगह से नहीं हिला पाया। बाजार भाव और स्वाद दोनों ही क्षेत्रों में यह ब्रांड लोगों को आज भी रास आ रहा है। अलवर शहर में स्थिति थोड़ी उलट होने लगी है। किफायती खरीददारी के लिए जाने जाने वाली अलवर की आटे वाली गली और भटियारों की गली में इस ब्रांड को अब कम ही देखा जाने लगा, लेकिन आउटर में यह ब्रांड आज भी जीवित है और चल रहा है।

क्रमश:

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