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Sunday, November 13, 2016

नई शुरूआत...नया दिन

अगर आप प्राइवेट जॉब में हैं तो हमेशा नई शुरूआत करने को तैयार रहना चाहिए। जो व्यक्ति एेसा करने को तैयार नहीं रहता उसके सामने दो ही ऑप्शन रहते हैं। पहला तो यह कि वह केवल इंतजार करता है दूसरे वह बेरोजगार घर पर बैठता है। मेरे जीवन का अनुभव है कि नई शुरूआत हमेशा जीरो से होती है। अगर आप में हिम्मत है तो आप किसी पर बोझ नहीं बनेंगे। स्वाभिमान बना रहेगा। लेकिन अगर एेसा करने को तैयार नहंीं हैं तो गुजरे जमाने के गीतों की तरह गुनगनाए जाएंगे। जनवरी 2008 में मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया। शादी के केवल ११ माह  बाद मेरी पत्नी चिरनिद्रा में लीन हो गई। साथ ही गर्भ में सात माह का भ्रूण भी उन्हीं के साथ काल कलवित हो गया। मेरे सामने पूरा जीवन और वह भी अब बंजर जमीन की तरह हो गया। एक ही ऑप्शन बचा था कि नई शुरूआत करूं। हम अपना जीवन केवल अपने लिए नहीं जीते। यह भारतीय समाज है। यहां जीवन पर सब का अधिकार होता है। माता, पिता, भाई, बहिन, रिश्तेदार सभी का। आपको सबके लिए जीना पड़ता है। अकेला जीए तो 'एकलखोंडाÓ। किसी एक के लिए या किसी एक की याद में मरा नहीं जाता। क्योंकि यह जीवन भगवान की अनमोल देन है और इसे छीनने का अधिकार केवल उसी के पास है। भगवान ने जीवन जीने के लिए दिया है। अगर एेसा जीवन जिया जाए कि अपने लोग ही आपको देखकर उदास और दु:खी  रहें तो वह कायर जीवन कहलाएगा। मैं एेसे जीवन के पक्ष में नहीं रहा। मैंन रिमैरिज के परिजनों के निर्णय पर स्वीकृति दे दी। यह मेरी दूसरे जीवन की शुरूआत थी।
आज फिर एेसा ही मौका आया है। यह मौका है मेरी ताजा नौकरी को अलविदा कहने का। मैं यह मानव करीब दो वर्ष पूर्व ही बना चुका था। सही मौके के इंतजार में था। निजी कंपनियां भी एेसा ही करतीहैं। आप जब तक काम के हैं आप पर मेहरबान हैं, बाद में आंखों पर ठीकरी धरते देर नहीं करती। यानि आपके किए कामों को भूल केवल अपने लाभ के लिए आपको निकाल बाहर करती हैं। एेसे में आप भी यदि अपने लाभ के लिए कंपनी को बाय कहें तो बुरा नहीं है। बस रिश्ते नहीं बिगाड़ें। क्योंकि सिस्टम के साथ रिश्तें नहीं बिगाडऩे चाहिएं, व्यक्ति के साथ रिश्ते परिस्थितियों पर निर्भर हो सकते हैं, लेकिन सिस्टम के साथ नहीं। संस्थान कोई भी हो वह एक सिस्टम होता है। लोग तो आते-जाते रहते हैं। खैर में कह रहा हूं कि आज वह दिन आ गया है कि मैं इस नौकरी को अलविदा कहकर सरकार का दामन थाम लूं। इसके लिए मैंने दिन-रात मेहनत की है। प्रार्थना भी। दोनों ही सफल हुई। मैं तैयार हूं। फिर से। जीरो से शुरूआत के लिए। नए लोगों की टीम के साथ जुडऩे के लिए। उनके साथ चलने के लिए। पुराने रिश्तों के खेतों के बीच नए रिश्तों के फूल खिलाने के लिए। मैं फिर आऊंगा। अपने किसी नए अनुभव के साथ। पुराने अनुभव भी अभी काफी शेयर करने हैं। आप जुड़े रहिये मेरे साथ...।

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