कभी नहीं देखा एेसा दौर...
मैने इस संस्थान में एेसा दौर कभी नहीं देखा। शीर्ष स्तर एकदम असहाय नजर आ रहा है। लोग काम के लिए स्पष्ट मना कर रहे हैं और प्रंबंधन कुछ नहीं कर पा रहा। प्रत्येक व्यक्ति यहां मनमर्जी करता नजर आ रहा है। चाहे जो बिना बताए छुट्टी पर जा रहा है। धौंस से जा रहा है। पीछे से बातें की जा रही हैं कि अमुक व्यक्ति को अब घर भेज दो, अमुक व्यक्ति को अब नहंी आने देना है। लेकिन सवाल यह विलुप्त तब हो जाता है जब यह बात आती है कि यह बात कहे कौन? बिल्ली के गेल में घंटी बांधे कौन ? प्रबंधन इस बात से बचना चाहता है। वह कर्मचारियों में फूट डाल स्वयं अच्छा बनने के चक्कर में है, लेकिन यह अलवर है। बिना मात्रा का शहर। जिसमें केवल स्वरों की मात्राएं हैं, दिखाई नहीं देती।
हाल ही का वाकया बताता हूं। विज्ञापन में एक साथी जबरन छुट्टी पर चला गया। धौंस देकर। मैं छुट्टी पर जा रहा हूं। जिसको जो करना हो कर लेना। प्रबंधन को धता बता वह चला गया। प्रबंधन ने उस डिपार्टमेंट हैड को कहा कि वह उस कर्मचारी का फोन कर के कहे कि छुट्टी खत्म होने पर वह ऑफिस नहीं आए। हैड ने मना कर दिया। दो दिना बात स्पष्ट हो गया कि डिपार्टमेंट हैड सही था। कारण बताता हूं...
उक्त कर्मचारी के छुट्टी पर जाने पर जो बवाल हुआ उसके बाद सब शांत हो गया। जो प्रबंधन डिपार्टमेंट हैड को कह रहा था कि वह उक्त कर्मचारी को कार्यालय आने के लिए मना कर दे वही प्रबंधन कहने लगा कि उस व्यक्ति को छुट्टी खत्म होने पर कुछ जल्दी बुला लिया जाए।
यहां समझने की बात यह है कि यदि डिपार्टमेंट हैड उस कर्मचारी को प्रबंधन की बातों में आकर कार्यालय आने से मना कर देता तो उसकी नजरों में यह बात आ जाती कि डिपार्टमेंट हैड उसका बुरा चाहता है प्रबंधन नहीं। क्योंकि प्रबंधन तो पहले से ही चाल बुने बैठा था कि डिपार्टमेंट हैड से कर्मचारी को मना करवा देंगे और खुद बुला लेंगे। लेकिन एेसा नहीं हुआ। यहां यह अच्छा हुआ कि प्रबंधन का एक और चरित्र सामने आ गया।
यह चरित्र मैं काफी पहले ही समझ चुका था। शायद मेरे ट्रेनी रहते ही मुझे यह बात समझ आ गई थी। इसीलिए मैं आज तक प्रबंधन या बॉस के एेसे किसी झांसे में नहीं फंसा और न ही आज तक किसी भी कर्मचारी के लिए बुरा बना।
यहां हमें यह समझने की जरूरत है कि अंग्रेज तो चले गए हैं लेकिन उनकी पॉलिसी फूट डालो राज करो नहीं गई है। प्रबंधन के रूप में वह कर कंपनी में मौजूद है। बचना हमें स्वयं को है। अपनी पहचान स्वयं बनानी है।
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