How Artificial Intelligence makes you a victim of unknown fraud and empty your account. आर्टीफिशीयल इंटेलीजेंस, कैसे आपको अनजान ठगी का शिकार बना आपका अकाउंट खाली कराता है |
तरक्की की राह में कांटे तो होंगे ही, लेकिन चुभन भी बहुत तेज होती है। ताजा उदाहरण देकर आपको नई तरक्की यानि आर्टीफिशीयल इंटेलीजेंस (AI) कैसे नुकसान दायक है यह बताने की कोशिश कर रहा हूं। यह उदाहरण भी मेरी अन्य कहानियों की तरह ही सच्ची घटना पर आधारित है।
हाल ही 4 जनवरी 2024 की घटना है। अचानक एक बुजुर्ग के मोबाइल पर वाट्सएप कॉल आता है। कॉल उठाते ही सामने पुलिस अफसर पी-कैप में बैठा हुआ है। कॉलर कहता है कि आपके लडके को रेप केस में अरेस्ट किया हुआ है। चार-पांच दिन पहले उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ऐसा किया। उसे आज अरेस्ट कर लिया है। आप यदि 60,000 रूपए दें तो आपके लडके को छोड दिया जाएगा, नहीं तो केस में 10 साल की सजा हो जाएगी।
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बुजुर्ग इस पहले Cyber Attack को यह कहकर फेल करते हैं कि मुझे मोबाइल चलाना नहीं आता। कॉल कट कीजिये तो कोशिश कर के देखता हूं, लेकिन कॉलर कॉल नहीं काटने देता, उन्हें Online Arrest कर, बडी तहजीब और दोस्ताना अंदाज में कहता है कि आप कॉल कट मत कीजिये। कॉल चालू रखें। हम इंतजार कर लेंगे। आप पैसे ट्रांसफर कीजिये। कॉलर यूपीआई आईडी भी बता देता है, लेकिन इसी बीच वह शातिराना अंदाज में इन बुजुर्ग व्यक्ति के पुत्र की आवाज भी सुना देता है, जिसमें वह रोते हुए कहता है कि पापा बचा लो, पुलिसवाले मार रहे हैं, मुझे झूठे केस में फंसा रहे हैं।
इतना सुनने के बाद भला मां-बाप को कैसे सब्र हो सकता है, पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। कुछ ही क्षण बाद बेटा वापिस घर आ जाता है। क्या बुजुर्ग के अकाउंट से पैसे चले गए.......क्या ठग को भ ठग लिया गया। यह इसी कहानी में आगे बताउंगा।
लेकिन इससे पहले आपको यह बता दूं कि पहली बार Cyber Fraud ने बुजुर्ग के दिमाग से खेला, जिसे उन्होंने फेल कर दिया, लेकिन तुरंत ही भावनाओं से खेला और वह पैसे ट्रांसफर कराने में सफल हो गया। अब आप ये सोच रहे होंगे आखिर Cyber Fraud साईबर फ्रॉड कॉलर ने हू-ब-हू आवाज कैसे सुनाई, जिससे वह बुजुर्ग व्यक्ति को फंसाने में सफल हो गया। यह सब हुआ एआई यानि Artificial Intelligence और एप्स की मदद से।
हम जब अपना मोबाइल बंद या स्विच ऑफ करते हैं तो भी उसका कैमरा और माइक ऑन ही रहता है। यह परमानेंट आर्टीकल है जो कभी भी स्विचऑफ नहीं होता। हमारी सभी बातें, आवाज, लहजा कॉपी होता रहता है। एआई इतना खतरनाक है कि इन सब की मदद से फेक फोटो, वीडियो तक तैयार किया जा सकता है। यह इतना सटीक होता है कि सही-गलत का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। कॉलर ने ऐसा ही कर इन बुजुर्ग से 60,000 रूपए ट्रांसफर करा लिए।
लेकिन आगे की कहानी सुनिए। जैसे ही यह हुआ तुरंत बाद बुजुर्ग Cyber Cell पहुंचे। जहां केवल 58 मिनट में पैसे रिकवर हो गए और ठग भी ठगा सा रह गया। वह ठगने में तो कामयाब हुआ, लेकिन पैसे निकालने से पहले ही रिकवर हो गए। यह A.I का ही चमत्कार भी है। लेकिन ऐसी घटना क्यों हुई। तो इतना ही कह सकते हैं कि सरकार ने ऑनलाइन लेन-देन बी-टू-बी और सी-टू-बी, यूपीआई ट्रांजेक्शन लागू तो कर दिया, लेकिन कंप्यूटर साक्षरता, इंटरनेट साक्षरता, एआई साक्षरता पर कभी ध्यान नहीं दिया। जागरूकता का काम मीडिया, बैंक आदि कर तो रहे हैं, लेकिन मानसिक रूप से परिपक्व जागरूकता तभी आ सकती है जब प्रोपर कंप्यूटर लिटरेसी पर ध्यान दिया जाए।
साईबर ठगी के बाद रिकवर राशि अपने बैंक अकाउंट में वापिस कैसे लाएं
देश में 40 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग हैं, उन्हें कंप्यूटर साक्षर किया जाना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन यह किया जा सकता है कि उन्हें ऑनलाइन लेन-देन से मुक्त रखा जाए, या फिर साईबर सुरक्षा तंत्र इतना मजबूत किया जाए कि ऐसी ठगी की वारदातें नहीं हों। ऑनलाइन ठगी में भी बुल्डोजर चलाकर सजा की सख्ती ठगी रोक सकती है।
अगले सप्ताह आगे की कडी में बताउंगा कि यदि ठगी के बाद आपके ठगे गए पैसे रिकवर हो गए हैं तो उन्हें अपने बैंक अकाउंट में कैसे वापिस लेकर आएं। क्योंकि यह भी बडा पेचिदा कानूनी लफडा है, यह बात मुझे हाल ही मालूम हुइ कि इसके बारे में सभी वकीलों को भी नहीं मालूम, ऐसे में आम आदमी की तो बिसात ही क्या है।
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