Gestational Diabetes Mellitus | जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्या होता है | What Is OGTT | ओजीटीटी क्या होता है - NEWS SAPATA

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Wednesday, July 27, 2022

Gestational Diabetes Mellitus | जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्या होता है | What Is OGTT | ओजीटीटी क्या होता है

Gestational Diabetes Mellitus | जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्या होता है |

Gestational Diabetes Mellitus | जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्या होता है | What Is OGTT | ओजीटीटी क्या होता है




नमस्का दोस्तों, मैं हूं नीतेश। आज आपको इस पोस्ट में एकदम नई जानकारी दे रहे हैं। यह आपके जीवन से जुडी है और बहुत जरूरी है। 

दोस्तों, डायबिटीज के बारे में आप सभी जानते हैं । इसमें खून में शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। लेकिन आप #gestational_diabetes_mellitus जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस के बारे में नहीं जानते होंगे। 

आइये आपको @gestationaldiabetesmellitus जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस यानि GDM जीडीएम के बारे में बताते हैं।

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यह वह अवस्था है जिसमें पहली बार गर्भावस्था में खून में बढी हुई शुगर का पता चलता है या पहली बार गर्भावस्था मंे खून में शुगर बढ जाती है। 

जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्यों होता है

गर्भावस्था में हार्मोन व शारीरिक परिवर्तन के कारण शरीर शुगर का इस्तेमाल सामान्य रूप् से नही ंकर पाता है । इसकी वजह से खून में शुगर की मात्रा  का स्तर बढ जाता है। यह मां और उसके गर्भ में शिशु के लिए हानिकारक होता है।

डायबिटीज या खून में शुगर अधिक होने के लक्षण और चिह्न

- अधिक पेशाब आना

- अधिक प्यास लगना

- अधिक भूख लगना

- घाव देर से भरना

- खून में शुगर की मात्रा सामान्य से अधिक होना

कुछ तथ्य

विश्व में 10 गर्भवती महिलाओं में से एक को डायबिटीज होता है इसमें से 90 प्रतिशत को जीडीएम होता है।

भारत में 100 महिलाओं में से 10-14 प्रतिशत जीडीएम से प्रभावित होती है। लेकिन यह सोचने की बात जरूर है कि ग्रामीण क्षेत्रों की जगह जीडीएम शहरी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।

GDM जीडीएम गर्भवती मां, गर्भस्थ शिशु और नवजात शिशु पर बुरा असर करती है।

Gestational Diabetes Mellitus | जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाईटिस क्या होता है | What Is OGTT | ओजीटीटी क्या होता है


टेस्ट कब कराएं

सभी गर्भवती महिलाओं को दो बार जीडीएम के लिए जांच कराना जरूरी होता है।

गर्भावस्था के दौरान एएनसी जांच के दौरान स्की्रनिंग और टेस्ट कराना चाहिए। अब यह एएनसी जांच के दौरान आवश्यक रूप से किया जाएगा।

पहली जांच में शुगर न निकले तो दूसरी जांच गर्भावस्था के 24 से 28 सप्ताह के बीच करनी चाहिए।

दो जांचों के बीच कम से कम 4 सप्ताह का अंतर होना चाहिए।

यदि पहली जांच गर्भावस्था के 28 सप्ताह के बाद करवाई जाती है तब केवल एक ही बार जांच होगी जब भी महिला अपनी पहली एएनसी जांच के लिए आना होगा।

What Is OGTT | ओजीटीटी क्या होता है ?

ओरल ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट यानि #ogtt ओजीटीटी एक साधारण जांच है।  खून में शुगर का बढना या डायबिटीज का पता लगाया जा सकता है।

गर्भवती महिला को ग्लूकोज का घोल पीने को दिया जाता है और उसके दो घंटे बाद खून में शुगर की मात्रा की जांच होती है। इसके बाद तय होता है कि क्या उपचार देना है।

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