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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं
निरोगी राजस्थान अभियान
निरोगी राजस्थान अभियान की शुरूआत 20 दिसम्बर को जिला स्तर पर हुई। अभी तक जितने भी अभियान चलाए गए इंसान को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए चलाए गए। लेकिन यह एक ऐसा अभियान है जो कि इंसान को बीमार ही नहीं होने देता। यानि इस अभियान की विशेषता यह है कि यह इंसान को बीमार होने से पहले ही सतर्क करता है।
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अभियान बहुत विस्तृत है और इसलिए इसे तीन चरणों में बांटकर आरंभ किया गया, ताकि जिले के प्रत्येक व्यक्ति तक अभियान का लाभ पहुंचे।
पहला स्तर पर अभियान की शुरूआत 20 दिसम्बर 2020 को जिला स्तर पर की गई।
दूसरा स्तर उपखंड स्तर पर 21 दिसम्बर 2020 को और
तीसरा चरण ग्राम पंचायत स्तर पर 22 दिसम्बर 2020 को आरंभ हुआ।
अभियान में टीकाकरण, मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम, एनसीडी, एनपीएचईसी, एनपीपीसी आदि 10 प्रमुख सेवाओं के साथ मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और शुद्ध के लिए युद्ध अभियान भी शामिल है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की आईईसी (शिक्षा-सूचना-संचार) ईकाई का योगदान बहुत अहम है। बिना आईईसी के लिए यह अभियान संचालित करना असंभव सा प्रतीत होता है।
निःशुल्क दवा वितरण योजना
राज्य सरकार की ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में आमजन को सस्ता और सुलभ उपचार उपलब्ध कराने की दृष्टि से निशुल्क दवा योजना 2 अक्टूबर 2011 से चलाई जा रही है।
इसका सबसे बडा लाभ यह है कि हर स्तर का व्यक्ति राजकीय चिकित्सालयों में जाकर अपना उपचार निशुल्क करा सकता है। उसे दवा के लिए एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है। दवा की दुकानों पर भीड नहीं हो इसके लिए राजकीय चिकित्सालयों में जरूरत के अनुसार एक या अनेक निशुल्क दवा वितरण काउंटर खोले गए हैं। इन काउंटरों पर दवा के लिए लगी कतारें इस योजना की सफलता को स्वयं की बयां करती हैं।
जिला अस्पताल में 818 तरह की दवा उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके अलावा सीएचसी स्तर पर 628, पीएचसी स्तर पर 410 तरह की दवाएं मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
निःशुल्क जांच योजना
राज्य सरकार की और से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में आमजन को सस्ता और सुलभ उपचार उपलब्ध कराने की दृष्टि से निशुल्क जांच योजना 7 अप्रेल 2013 से चलाई जा रही है। इसका सबसे बडा लाभ यह है कि हर स्तर का व्यक्ति राजकीय चिकित्सालयों में जाकर अपना उपचार व जांचें निशुल्क करा सकता है। उसे जांच के लिए यहां एक पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है।
निशुल्क जांच से जहां आमजन को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ पहुंचा है वहीं जांच में आसानी हो गई है। क्योंकि निशुल्क जांच की यह सुविधा राजकीय चिकित्सा परिसरों में ही मौजूद है। इसके लिए सरकार ने पर्याप्त संसाधनों और स्टाफ की व्यवस्था भी की हुई है। जिला अस्पताल में 56 तरह की जांचें निशुल्क उपलब्ध हैं। इसके अलावा सीएचसी स्तर पर 37 तथा पीएचसी स्तर पर 15 तरह की जांचें निशुल्क उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम
बच्चों और बडों के मुख स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय मुख स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत चल वाहनों के जरिये स्कूलों, गांव-ढाणियों में विभिन्न शिविरों का आयोजन कर दंत रोगों की जांच की जाती है और मौके पर ही उपचार कराया जाता है।
इस कार्यक्रम से बाल स्तर पर ही दांतों संबंधित रोगों की रोकथाम और उपचार किया जाता है ताकि आगे चलकर दंत विकारों से मुक्ति मिल सके।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम
कुछ बच्चे जन्म से ही गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। इन बीमारियों के उपचार का खर्च भी बहुत होता है। गरीब माता-पिता बच्चों की इन बीमारियों का उपचार नहीं करा पाते। दूसरी सबसे अहम बात यह है कि इन बीमारियों को पकड पाना भी मुश्किल होता है। ऐसे ही बच्चों की इन बीमारियों का पता लगाने और उनके उपचार के लिए सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) संचालित किया हुआ है।
इस कार्यक्रम के तहत कोई भी व्यक्ति अपने बच्चों का उपचार निशुल्क करा सकता है। उपचार पर होने वाला संपूर्ण खर्च सरकार वहन करती है। माता-पिता का एक भी पैसा खर्च नहीं होता। ऐसे अनेक केस हैं जिनमें सरकार ने उपचार कराया और वह भी बिल्कुल निशुल्क।
बच्चों की स्क्रींनग करने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में आरबीएसके की टीमें नियुक्त की गई हैं। इन टीमों में चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ भी शामिल रहता है। टीमें स्कूलों और आंगनबाडी केन्द्रों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांचें करती हैं और उनमें पाए जाने वाले रोगों के उपचार के लिए उन्हें संबंधित चिकित्सा संस्थानों पर रैफर भी करती हैं। इसके अलावा ये टीमें बच्चों के माता-पिता को भी बच्चों में पाए जाने वाले रोगों के बारे में जानकारी देती हैं और उन्हें बच्चों के उपचार के लिए प्रेरित करती हैं। साथ ही यह भी बताया जाता है कि राज्य सरकार की ओर से बच्चों का उपचार एकदम निशुल्क किया जाएगा। इसी का परिणाम है कि दौसा जिले में प्रति माह ऐसी गंभी बीमारियों का उपचार निशुल्क हो पा रहा है और बचपन खिलखिला रहा है।
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजनाः-
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना शुभारम्भ 1 मई 2021 से किया गया। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना जिले के राजकीय व कुछ निजी चिकित्सालयों में चलाई जा रही हैं। योजना के तहत बीमा लाभ 1 April 2022 से पांच लाख रूपए से बढाकर 10 लाख रूपए कर दिया गया है।
शुद्ध के लिए युद्ध
खाद्य पदार्थो में मिलावट खोरांे के खिलाफ कार्यवाही कर आम जनता को शुद्व खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना:-खाद्य पदार्थ का नमूनीकरण व निरीक्षण कार्य करना।
खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 से पीएफए एक्ट लागू हुआ था जो 5 अगस्त 2011 से एफएसएसए 2006 में परिवर्तित हो गया है। जिसमें नमूनीकरण से प्राप्त रिर्पोट के आधार पर प्रकरण माननीय न्याय निर्णयन अधिकारी/मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां परिवाद दर्ज करवाये जातें है।
टीकाकरण
प्रजनन एव षिषु स्वास्थ्य सेवाआंे के तहत प्रत्येक संस्थान पर एव फील्ड में गर्भवती महिलाओं एव बच्चों का नियमित टीकाकरण एवं ए.एन.सी./पी.एन.सी. सेवाएं दी जाती है। इसके अलावा सरकार ने मिशन इंद्रधनुष अभियान चलाकर उन सभी बच्चों के निशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था की है जो किसी भी कारण टीका लगवाने से वंचित रह गए थे।
एनसीडी कार्यक्रम
एनसीडी कार्यक्रम के अन्तर्गत कैंसर, मधुमेह, हद्वयाघात, पक्षाघात रोग से बचाव व उपचार के लिए जिले के सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानो पर एनसीडी स्क्रीनिंग की जा रही है। यह भी निशुल्क है। स्क्रीनिंग में यदि कोई व्यक्ति रोग ग्रस्त पाया जाता है तो उसके निशुल्क उपचार की पूर्ण व्यवस्था सरकार करती है। इसके लिए सरकार ने हैल्थ वेलनेस सेंटर्स की स्थापना की है। जहां जाकर कोई भी आमजन रोगों का निशुल्क उपचार ले सकता है।
मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना
प्रदेश में 1 मई से पूर्ण रूप से प्रारंभ होने वाली मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना आमजन के लिए वरदान साबित होगी। प्रदेश के सभी अस्पतालों में 1 अप्रैल 2022 से मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना का ‘ड्राई-रन‘ हो चुका है।
चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा 2022-23 में शामिल मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना चिकित्सा क्षेत्र में देशभर में अनुपम योजना है। इसके तहत् प्रदेश के सभी श्रेणी के राजकीय चिकित्सा संस्थानों में आने वाले सभी प्रदेशवासियों को ओपीडी एवं आईपीडी की समस्त सेवाएं पूर्णत निःशुल्क उपलब्ध करवायी जायेंगी।
उन्होंने बताया माह अप्रेल में योजना को ड्राई रन के रूप में चलाया गया है। श्री मीना ने बताया कि योजना के प्रारंभ होने के साथ ही मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों तक सुनिश्चित व्यवस्थाएं की जा रही हैं ताकि प्रदेशवासियों को ‘खर्च रहित-चिंता रहित‘ समस्त आवश्यक दवाइयां, स्वास्थ्य जांचे और ऑपरेशन सुविधाएं पूर्ण निःशुल्क उपलब्ध करवायी जायें। शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पृथ्वी ने बताया कि मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत् मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना और मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना की सभी सुविधाएं शामिल रहेंगी साथ ही दवाइयों सहित अन्य आवश्यक जांचों की सुविधाएं मरीजों को उपलब्ध करवाने के लिए स्थानीय चिकित्सा प्रशासन प्रबंधन को शीघ्रताशीघ्र व्यवस्थाएं अपने स्तर पर करने के आदेश पारित किये गये हैं।
योजना के अंतर्गत निःशुल्क जांचों में सीटी स्कैन, एमआरआई एवं डायलिसिस इत्यादि जांचे सहित आईपीडी-ओपीडी सभी सेवाएं प्रदेशवासियों के लिए जनआधार कार्ड या आधार कार्ड इत्यादि परिचय पत्र के आधार पर पूर्ण निःशुल्क दी जायेंगी। दूसरे प्रदेशों से आने वाले मरीजों को पूर्व की भांति निर्धारित दरों पर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध रहेेंगी। पार्किंग, कैंटीन, कॉटेज वार्ड इत्यादि सेवाओं के लिए निर्धारित शुल्क यथावत रहेगी।
डॉ. पृथ्वी ने राजकीय चिकित्सा संस्थानों में 24 घंटे सातों दिन आईपीडी सेवाएं मरीजों को उपलब्ध करवाने हेतु विशेष गंभीरता बरतने के निर्देश दिये। उन्होंने बताया कि 5 मई के बाद राज्यस्तरीय मॉनीटरिंग दलों द्वारा योजना क्रियान्विती का निरीक्षण अभियान चलाया जायेगा एवं निरीक्षण दलों के फीडबैक के अनुसार योजना को और अधिक प्रभावी बनाने की कार्यवाही की जायेगी।
शक्ति दिवस
बच्चों, किशोर-किशोरियों और महिलाओं में एनिमिया की दर लगातार बढ रही है। एनिमिया से निपटने और सही पोषण स्तर बनाए रखने के लिए जिले में हर माह के प्रथम मंगलवार को अब शक्ति दिवस मनाया जाएगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग भी इसमें शामिल होंगे। इस संबंध में सोमवार को स्टेट लेवल से आयोजित वीसी में विस्तृत गाइड लाइन जारी की गई है। सात जून 2022 को प्रदेश में प्रथम शक्ति दिवस मनाया गया।
क्या है शक्ति दिवस
एनिमिया के बढते खतरे को कम करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने हर माह प्रथम मंगलवार को शक्ति दिवस मनाने का निर्णय किया है। शक्ति दिवस सभी स्तर के राजकीय चिकित्सा संस्थानों, स्कूलों और आंगनबाडी केन्द्रों में मनाया जाने का निर्णय किया गया है। यानि जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षक तक, पूरा महिला एवं बाल विकास विभाग और सीएमएचओ से लेकर एएनएम तक सभी इस अभियान के संचालन में सहयोगी के तौर पर कार्य करेंगे। मॉनिटरिंग भी की जाएगी ताकि शक्ति दिवस के परिणाम मिल सकें। बच्चे, किशोर-किशोरियां, महिलाएं और गर्भवती व धात्री महिलाएं अभियान का टारगेट रहेंगी। हर स्तर पर इनकी स्क्रीनिंग की जाएगी और एनिमिया (खून की कमी ) की शिकायत पर जांच और उपचार निशुल्क दिया जाएगा। आयरन और फोलिक एसिड की सिरप और टेबलेट निशुल्क दी जाएंगी।
ऐसे दूर होगा एनिमिया
एनिमिया की शिकायत पाए जाने पर गुलाबी और नीली गोलियां निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। गुलाबी गोली किसे देनी है और नीली गोली किसे देनी है इसका ध्यान आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और एएनएम को रखना होगा। गुलाबी और नीली दोनों ही रंगों में आयरन की गोलियां हैं। गुलाबी गोली कक्षा 1 से 5 तक के या 5 साल से 9 साल तक के बच्चों को दी जाएंगी और नीली गोलियां कक्षा 6 से 12 तक के किशोर-किशोरियों या 10 से 19 साल तक के बच्चों को साप्ताहिक दी जाएंगी।
इसके अलावा गर्भवती और धात्री महिलाओं को भी जांच के बाद आयरन-फोनिक एसिड की गोलियां निशुल्क दी जाएंगी तथा अयरन फूड या पोषक आहार के बारे में भी बताया जाएगा। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि एनिमिया की कमी को दूर करने के लिए किस प्रकार का भोजन लेना चाहिए। जिन बच्चों का उपचार किया जाएगा उनका फॉलोअप भी 45 दिन और 90 दिन बाद किया जाएगा। हीमोग्लोबिन स्तर बढने तक उपचार निशुल्क जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में एनिमिया की दर 65 प्रतिशत से अधिक है।
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