Global Conference on Science, Spirituality and Environment at Brahmakumari Sansthan at aabu road | पवित्रता आत्मा की मूल संपदा:मुख्य न्यायाधीश - NEWS SAPATA

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Monday, October 1, 2018

Global Conference on Science, Spirituality and Environment at Brahmakumari Sansthan at aabu road | पवित्रता आत्मा की मूल संपदा:मुख्य न्यायाधीश

पवित्रता आत्मा की मूल संपदा:मुख्य न्यायाधीश

Global Conference on Science, Spirituality and Environment at Brahmakumari Sansthan at aabu road

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आबू रोड .ब्रह्माकुमारी संस्थान में विज्ञान, आध्यात्म और पर्यावरण पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन

 आबू रोड,29 सितंबर। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि  पवित्रता आत्मा की मूल संपदा है।  अर्जुन और श्रीकृष्ण का वास्तविक संवाद का रहस्य समझने की जरूरत है इसके लिए आध्यात्मिक वातावरण की जरूरत है। वे ब्रह्माकुमारी संस्थान में विज्ञान, आध्यात्म और पर्यावरण पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि विज्ञान बताता है कि क्या और क्यों हो रहा है, कानून  बताता है कि खतरनाक हो रहा है अध्यात्म इन सभी पर नियंत्रण और संचालन के लिए भौतिक नैतिकता देता है। उन्होंने कहा कि फिजिकल मोरलिटी विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। अगर हम आत्मा की शुद्धता को नियंत्रित करेंगे तो भौतिक और पर्यावरण शुद्धता के लिए माहौल तैयार होगा। आध्यात्म के लिए जो पर्यावरण निर्माण की आवश्यकता है वो यहां हो रहा है। परमात्म शक्ति से स्वयं को चार्ज करने के लिए स्व के अंदर सोल पॉवर को जानना जरूरी है।
गृहमंत्री सिंह ने कहा कि हमारे देश के ऋषि-मुनियों ने ही शून्य का आविष्कार किया और आध्यात्म की खोज की। विज्ञान, आध्यात्म और धर्म ये एक-दूसरे के विपरीत हैं ये अवधारणा विदेशों की है। भारत की अवधारणा है विज्ञान और आध्यात्म दोनों एक-दूसरे के पूरक और एक हैं। चरक, आरोहक, सुषुप्त, आर्यभट्ट ऋषि जितने बड़े ऋषि थे उतने ही बड़े साइंटिस्ट भी थे।
उन्होंने कहा कि जीवन में बड़ा काम करने के लिए बड़ा मन होना जरूरी है। छोटे मन का व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकता है। जितना बड़ा आपका मन होगा उतना ही जीवन में आनंद की मात्रा बढ़ती चली जाएगी। गिरिजाघर में केवल जाकर प्रार्थना करने से व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं होता है। जितना वह बड़ा करता चला जाता है उतना जीवन में आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छूता जाता है। मंदिर में पूजा अर्चना, मस्जिद में इबादत करने के साथ मन बड़ा करने की जरूरत है। जिसका मन जितना बड़ा होगा वह उतना ही आध्यात्मिक होगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पूर्व पत्नी टीवी एक्ट्रेस व सिंगर मारला मैपल ने कहा कि अमेरिका इन दिनों कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। लेकिन हमारे आसपास के बेहतरीन लोग और दोस्त जीवन को आनंद से भर देते हैं। उन्होंने बताया कि कुंडलिनी योग, ब्रह्माकुमारीज के राजयोग मेडिटेशन और शाकाहारी भोजन को अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। मैंने कई तरह का भोजन किया है, लेकिन शाकाहार सबसे उत्तम है। मांसाहार से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। हम सब मिलकर ही इस दुनिया को आगे ले जा सकते हैं।
 अहमदाबाद के सेंटर फॉर एन्वॉयरमेंट एजुकेशन के फाउंडर-डायरेक्टर व साइंटिस्ट पद्यश्री डॉ. कार्तिकेय साराभाई ने कहा कि हमें पर्यावरण की रक्षा करने के लिए अपनी पुरानी परंपरा और नई तकनीक को साथ लेकर चलना होगा। मनुष्य समझता है कि पूरी प्रकृति केवल उसके इस्तेमाल के लिए है, ये सोच ठीक नहीं है। महात्मा गांधी ने कहा था हमें ट्रस्टी होकर वस्तुओं का इस्तेमाल करना होगा।
संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि हम सब एक परमात्मा की संतान आपस में भाई-भाई हैं। इसलिए एक-दूसरे का सहयोग करें, प्रेम से रहें और एक-दूसरे को खुशी दें।कार्यक्रम संयोजक व ब्रह्माकुमारी के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय ने कहा कि संस्थान द्वारा 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक भारतभर में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है।   सम्मेलन।में विश्व के 140 देशों  के प्रतिनिधि शामिल थे।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने भेजा बधाई पत्र
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मेलन की सफलता के लिए शुभकामना संदेश भेजा है। खुशी जाहिर करते हुए इसे बहुत ही उपयोगी और सार्थक बताया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बधाई पत्र भेज कर हर्ष जताया है। पत्र में लिखा है विश्व सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संस्थान को डायनेमिक वल्र्ड लीडर अवॉर्ड लेने की मुबारक देता हूं। विज्ञान एवं आध्यात्म के सामंजस्य से ही मानवता का स्थिर भविष्य संभव है। इस तालमेल में पर्यावरण भी अति महत्वपूर्ण है।

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