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Friday, June 15, 2018

Indian Philosophy | matter | Proof | Koshtrya | पदार्थ । प्रमाण । कोषत्रय । सूक्ष्म शरीर और दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त

Indian Philosophy | Matter | Proof | Koshtrya | Sukshma shareer |

दर्शन शास्त्र  | पदार्थ । प्रमाण । कोषत्रय । सूक्ष्म शरीर और दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त

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विभिन्न भारतीय दर्शनों में पदार्थ, प्रमाण और सिद्धान्त अलग अलग दिए हुए होते हैं। इन्हें याद रखने में समस्या रहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए यहां सभी दर्शनों में पदार्थ व प्रमाणों की संख्या एक साथ दी जा रही है। ताकि आपको यह आसानी से याद हो सके। इसके अलावा यहां नीचे विभिन्न दर्शन के सिद्धान्त भी एक साथ बताए जा रहे हैं। आप इन्हें आसानी से याद कर सकते हैं।

पदार्थ

सांख्य :- 25 
यहां 5 ज्ञानेन्द्रियां, 5 कर्मेन्द्रियां, 5 तन्मात्र, 5 महाभूत, प्रकृति, पुरुष, महततत्व, अहंकार और मन को जोडऩे पर पदार्थ 25 होते हैं।
योग :- 26
यहां सांख्य के 25 और इसमें एक नया तत्व ईश्वर जोड़ा जाए तो ये 26 तत्व होते हैं।
न्याय :- 16 
वैशैषिक :- 7
यहां दृव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष, समवाय और अभाव नाम तत्व हैं।
वेदान्त :-2 
यहां ब्रह्म और अविद्या हैं।
चार्वाक:-4 
यहां पृथ्वी, जल, तेज और वायु तत्व हैं।
जैन:- 7
यहां जीव, अजीव, आश्रय, संवर, निर्जर, बन्ध और मोक्ष तत्व हैं।
बौद्ध:- 1 
यह दर्शन केवल विज्ञान नाम एक ही तत्व को मानता है।

प्रमाण

सांख्य -3
प्रत्यक्ष, अनुमान और शब्द
योग -3
प्रत्यक्ष, अनुमान और उपमान
न्याय- 4
प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और शब्द
वैशैषिक -2
प्रत्यक्ष, अनुमान
वेदान्त -6
प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति और अभाव
चार्वाक -1
प्रत्यक्ष
जैन- 2
प्रत्यक्ष और अनुमान
बौद्ध- 2
प्रत्यक्ष और अनुमान

प्रमुख सिद्धान्त

1 सत्कार्यवाद- सांख्य दर्शन
2 असत्कार्यवाद- न्याय वैशेषिक और बौध
3 विवर्तवाद- वेदान्त
4 देहात्मवाद- चार्वाक
5 स्यादवाद / सप्तभंगीनय /अनेकांतवाद - जैन

सूक्ष्म शरीर :-

सांख्य दर्शन 18 तत्वों से मिलकर सूक्ष्म शरीर का निर्माण होना मानता है।
- इसमें 11 इन्द्रियां, 5 तन्मात्र, बुद्धि और मन
वेदान्त दर्शन- 
इसके अनुसार 5 ज्ञानेन्द्रियां, 5 कर्मेन्द्रियां, 5 वायु और बुद्धि व मन इन 17 पदार्थों से मिलकर सूक्ष्म शरीर का निर्माण होता है।

कोष त्रय:-

1 विज्ञानमय कोष:-5 ज्ञानेन्द्रियां और बुद्धि
2 मनोमय कोष :- 5 ज्ञानेन्द्रियां और मन
3 प्राणमय कोष:- 5 कर्मेन्द्रियां और 5 वायु

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