The villagers awake from the decision of the Panchayatपंचायत के फैसले से रातभर जाग रहे ग्रामीण
डीग। राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग उपखंड के गांव अऊ में आपको कडाके की ठंड में भी लोग हाथों में लाठियां लिए खेतों में घूमते मिल जाएंगे। एक तरह से यह प्रशासनिक व्यवस्था के मुंह पर तमाचे के समान है जो ग्रामीण कर रहे हैं। ग्रामीणों का यह कदम पंचायत के कड़े फैसले के कारण है।
दरअसल बात है खेतों में खड़ी फसल की। ये ग्रामीण इस कड़ाके की जमा देने वाली ठंड में माडेरा रुंध से आने वाले आवारा पशुओं से अपने खेतों की रखवाली के लिए रात रात भर पहरा दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आवारा पशु खेतों में घुस जाते हैं और फसलों को बर्बाद कर देते हैं।
पंचायत में हुआ फैंसला
प्रशासनिक तौर पर लाचार ग्रामीणों ने गांव में पंचायत बुलाई और एक कड़ा फैसला लिया। फैसले के अनुसार हर जाति वर्ग का युवा बारी बारी से रात को जागकर सभी खेतों की रखवाली करेंगे। इसके लिए टीमें बनाई गई हैं।
गायों की मजबूरी
लोग गायों को दुहने के बाद आवारा छोड़ देते हैं। उन्हें चारा नहीं देते। इन आवारा गायों के लिए कथित गोसेवक भी कहीं नजर नहीं आते। ऐसे में ये गायें किसानों के खेत उजाड़ती हैं। न तो प्रशासन न गोशाला और न ही गोसेवक इन गायों के लिए कुछ कर पा रहे हैं। किसानों की मजबूरी है कि गायों को खेतों से दूर रखा जाए तभी किसान और इंसान का पेट भरेगा।
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