अलवर। देर से ही सही लेकिन कुछ दिन पहले आंदोलन में आलोचना झेल चुके चिकित्सकों में अक्ल आ गई है। हालांकि चिकित्सक अभी भी सरकार का विरोध कर रहे हैं लेकिन इस बार जनता की आलोचना से बचने के लिए अस्पताल के बाहर ही टेंट लगाकर मरीजों की जांच भी कर रहे हैं और दवा भी दे रहे हैं।
शनिवार को अलवर में राजीव गांधी अस्पताल के बाहर सेवारत चिकित्सकों ने टेंट में ही मरीजों की जांच की और दवा लिखी। टेंट में ही चिकित्सक जरूरी जांचें भी लिख रहे हैं और अवकाश के बाद भी मरीजों की जांच में जुटे हैं। सेवारत चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष मोहनलाल सिंधी ने बताया कि सरकार चिकित्सकों की मांगें नहीं मान रही है और बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है।
इस बार आंदोलन के दो कारण
कुछ दिन पहले चिकित्सकों ने अपनी पहले १६ और फिर बाद में ३३ मांगों के लिए आंदोलन किया था। उनमें से कुछ मांगें सरकार ने मान ली थी और कुछ पर कमेटी बनाई थी। लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। इस बार हड़ताल का कारण अधूरी मांगें मनवाने का तो है ही साथ ही चिकित्सकों के तबादले का मामला भी जुड़ गया है। कुछ दिन पहले सरकार ने संघ के प्रदेशाध्यक्ष और कुछ चिकित्सकों के तबादले दूरस्थ जिलों में कर दिए थे। इसके बाद फिर से चिकित्सकों ने विरोध शुरू कर दिया है।
क्यों हुई थी आलोचना
पिछली बार चिकित्सकों ने एक गलती यह की थी कि आंदोलन के दौरान कार्य का पूर्ण बहिष्कार किया था। ऐसे में मरीजों की जान पर बन आई थी और कई मरीजों की मौत भी उपचार के अभाव में हो गई थी। प्रदेश में इस कारण चौतरफा चिकित्सकों की निंदा हुई थी और मामला सरकार के पक्ष में झुकता नजर आया था। चिकित्सक मीडिया का निशाना भी बनने लगे थे। लेकिन इस बार चिकित्सकों ने आंदोलन में पूरी सतर्कता बरती है। वे आंदोलन भी कर रहे हैं और आम जनता की नजरों में विलेन बनने से भी बच रहे हैं। हालांकि प्रतिदिन दो घंटे कार्यबहिष्कार जारी है।
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