जी हाँ दोस्तों बात अटपटी जरूर लग सकती है लेकिन यह बिल्कुल सही है। फल हम सेहत बनाने के लिए खाते हैं लेकिन ये कितने घातक हैं इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जिस रसायन का उपयोग प्राचीन काल में मनुष्य को बेहोश करने के लिए होता था उसका उपयोग कर आज फल पकाए जा रहे हैं। सोचो यह स्वास्थ्य पर क्या असर डालता होगा। आइये हम आपको पूरी प्रक्रिया समझाते हैं।
क्या है प्रकिया
प्रमुख रूप से सामान्य मनुष्य केला अंगूर अमरूद संतरे आम पपीता मौसम्मी संतरा सेब बेर तरबूज लीची नाशपाती कीवी आदि फलों का सेवन करता है। सर्वाधिक केला का उपयोग किया जाता है। इन्हें कृत्रिम तौर पर समय से पहले ही पका लिया जाता है इसकारण ये आजकल साल भर मिलते हैं जबकि पौधों में फल केवल सीजन में ही लगते हैं।
ये हैं घातक रसायन जिनसे पकते हैं फल
फलों को पकाने के लिए आजकल एथेन कैल्शियम कार्बाइड पोटेशियम सल्फेट कार्बन मोनो ऑक्साइड प्यूट्रीसिन ऑक्सीटोसिन प्रोटोपोरफायरिनोजिन और एथीफोन का प्रयोग किया जा रहा है। प्राचीन काल में एथिलीन का प्रयोग निश्चेतक के रूप में किया जाता था जबकि एथिफोन से पकाए हुए फलों में लैड व आर्सेनिक की मात्रा बढ़ जाती है।
कैसे पता लगाएं कि फल खारीदना है या नहीं
सामान्य रूप से पके फल में चमक बिल्कुल नहीं होती है। ऐसे फलों में पक्षियों की चोंच लगने के कारण दाग हो सकते हैं। केले में यदि चित्तियां हैं तो वह खाने लायक है। जबकि वे फल जो कि एकदम साफ सुथरे और चमकदार होते हैं वे सभी रसायनों से पकाए जाते हैं। लेकिन लोग इनकी तरफ आकर्षित होते हैं और शान से इन्हें खरदीते हैं। लेकिन ठगे तब जाते हैं जब वे बीमार हो जाते हैं और उन्हें पता तक नहीं चलता कि इसका कारण ये फल ही हैं।
क्या होता है नुकसान
कैल्शियम कार्बाइड कैंसर का कारण होता है। इसे भारत में वर्ष 1955 में ही प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन आज भी इसका उपयोग फलों को पकाने में किया जाता है। यह कितना खतरनाक है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यदि दो ढाई वर्ष के बच्चे के मुंह में इस रसायन से भीगा हुआ कागज का टुकड़ा भी चला जाए तो उसकी जान जा सकती है। हकीकत यह है कि इसी रसायन से भारत में 99 प्रतिशत आम पकाए जा रहे हैं। इन फलों को खाने से मानसिक संतुलन भी खराब हो सकता है।
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