बेटे के लालच में बेटी की दलाली कर बैठे
अलवर| तमाम प्रयासों के बाद भी बेटियों प्रति अभी जागरुकता नहीं आई है। लिंग परीक्षण और भू्रण हत्याओं के मामले लगातार पकड़े जा रहे हैं फिर भी बढ़ते जा रहे हैं। यानि कानून का खौफ खत्म। मानव तस्करी यूनिट ने जो मामला अलवर जिले के गोविंदगढ़ थाना इलाके के बड़बरा गांव में पकड़ा है वह कुछ अलग है। क्योंकि यहां बेटी की दलाली बेटे के लिए की गई।
जिस विश्राम गुर्जर को पुलिस ने इस बेटी को बंधक बनाने और दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया है वह पहले से शादीशुदा है और उसके बेटियां भी हैं। लेकिन उसे बेटे की चाहत थी। सो वह यह भूल गया कि उसकी बेटियां भी हैं और जिसके नाबालिग के साथ वह यह काम कर रहा है वह भी उसकी बेटियों के समान ही है। यहां दो चीजें फेल हो गई। पहली तो तमाम साक्षरता और जागरुकता प्रोग्राम और दूसरा कानून का खौफ।
दलाली पर दलाली खाते रहे
इस नाबालिग को बेचने का खेल ७० हजार रुपए तक चला। लेकिन जिस ताऊ ने अपनी भतीजी को बेचा उसे मिले तीस हजार रुपए। यानि पूरा गिरोह इस बेटी पर कमीशन खाता रहा। नाबालिग के साथ दरींदगी की सो अलग।
ऐसे चला दलाली का खेल
नाबालिग को खरीदने वाले बडबरा गोविंदगढ़ जिला अलवर के विश्राम गुर्जर ने ७०००० रुपए मथुरा के विजय को दिए। विजय ने इसमें से दस हजार रुपए कमीशन खाकर ६०००० रुपए तेंदुआ के पूर्व सरपंच त्रिभानसिंह को दिए। त्रिभानसिंह ने अपना कमीशन १५००० रुपए अपने पास रखकर ४५००० रुपए रघुराज को दिए। रघुराज ने अपना कमीशन १५००० रुपए रखकर ३०००० रुपए नाबालिग के ताऊ अमल्ली को दिए और नाबालिग को इसी प्रोसेस से विश्राम गुर्जर तक पहुंचा दिया। विजय और विश्राम दोनों जीजा साले हैं। दोनों पर इस नाबालिग के साथ दस दिन तक दुष्कर्म करने का आरोप है।
कैसे बची नाबालिग
नाबालिग ने पुलिस को बताया कि वह किसी तरह नौ सितम्बर को बडबरा से पास ही डाबरी गांव पहुंच गई। वहां नाबालिग को देखकर ग्रामीणों ने पुलिस को सूचित किया तो पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बच्ची को अपने कब्जे में लिया और उससे नाम पता आदि के बारे में पूछताछ की। तब बच्ची ने पुलिस को बताया कि वह इनोचिया, मध्यप्रदेश की है। साथ ही उसने आप बीती जब पुलिस को बताई तो पुलिस ने मामले का पर्दाफाश कर दिया।
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