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Friday, September 1, 2017

डकैतों को पकडऩे के लिए पांच दिन नहीं सोई यह महिला पुलिस अफसर

डकैतों को पकडऩे के लिए पांच दिन नहीं सोई यह महिला पुलिस अफसर


इस पोस्ट में नीचे जो फोटो लगी है उसे देखकर आप अंदाजा नहीं लगा सकेंगे कि यह लेडी बड़े बड़े अपराधियों के छक्के छुड़ा देती है। अपराधी इनके नाम से कांपने लगते हैं और अपना गढ़ छोड़कर भाग खड़े होते हैं। हाल ही इस महिला अधिकारी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे पढ़कर आपका मन इन्हें सैल्यूट करने को करेगा। तो आइये जानते हैं कौन यह  महिला अधिकारी और इन्होंने ऐसा कौनसा कारनामा किया है जिसके कारण आज ये चर्चा में हैं।

कौन हैं ये अधिकारी

ये महिला एक पुलिस अधिकारी हैं और फिलहाल सब इंस्पेक्टर हैं। अलवर जिले के हरसौरा थाने की प्रभारी भी हैं। इनका नाम है सीमा देवी। मूल रूप से सीमा भरतपुर जिले के कुम्हेर तहसील के चिमनी गांव की रहने वाली हैं। ये दिखने में जितनी खूबसूरत हैं अपराधियों के लिए उससे कहीं अधिक खतरनाक हैं। हाल ही में इन्होंने ऐसा साबित भी कर दिया है। तो आइये जानते हैं वह इंट्रेस्टिंग स्टोरी क्या है।

क्या था मामला

सीमा को हरसौरा थाने में आए अभी कुछ ही दिन हुए थे। अभी वे इलाके को देख और समझ ही रही थी कि उसी इलाके में पैट्रोलपंप पर डकैती की वारदात हो गई। ऐसी ही कुछ वारदातें भरतपुर जिले में हो चुकी थी। ऊपर से प्रेशर था कि किसी भी सूरत में डकैतों को पकड़ा जाए। इसके लिए टीमें बना दी गई और डकैतों की तलाश तेज कर दी गई। यह घटना ३१ मई की है। घटना के महत सात दिन में ही सीमा ने डकैती में लिप्त तीन बदमाशों देशराज बचिया और सोलू को धर दबोचा और घटना का खुलासा भी कर दिया। लेकिन मास्टरमाइंड सतवीर अपने साथी भोलू के साथ फरार था। उसे सलाखों के पीछे भेजे बिना इलाके में शांति होना संभव नहीं था।

चलता रहा आंख मिचौनी का खेल

मास्टरमाइंड और उसका साथी इतने शातिर थे कि उन्होंने अपने बारे में कोई सबूत नहीं छोड़ा। सतवीर को न तो कोई शक्ल से जानता था और न ही उसका सही नाम कोई जानता था। उसकी पहचान के लिए सीमा अपनी टीम के साथ कई बार सीसीटीवी फुटेज खंगाल चुकी थी। पूरे इलाके में सैंकड़ों लोगों से पूछताछ भी कर चुकी लेकिन कोई ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। उन्होंने फिर एक बार सीसीटीवी फुटेज देखने का निश्चय किया। इस बार सीमा को ऐसा सुराग हाथ लगा जिसकी वजह से डकैतों का सरगना सलाखों के पीछे है।

क्या था वह सुराग

सीसीटीवी फुटेज देखते वक्त हरसौरा थाना प्रभारी सीमा को एक बाइक नजर आई। इस बाइक पर विशेष तरह के निशान बने हुए थे। यह स्माइली और त्रिशूल के निशान थे। सीमा ने अपनी फोर्स में से स्पेशल फोर्स के कुछ जवानों को इस तरह के निशान वाली बाइक ढूंढने का काम सौंपा। जवानों ने दिनरात एक कर कुछ ही दिन में इस तरह के निशान वाली तीन बाइकों के बारे में पता लगा लिया। इनमें से बुलाने पर दो बाइक वाले तो आसानी से थाने आ गए लेकिन एक नहीं आया। सीमा का शक गहरा गया। वे समझ गई की अब डकैतों की गिरेबां तक उनके हाथ पहुंच चुके हैं।

कौन था वह तीसरा बाइक वाला

जब तीसरे बाइक वाले को ढूंढा गया तो उसने बताया कि यह बाइक उसका दोस्त उससे ले गया था। दोस्त के बारे में पूछताछ करने पर सीमा और उनकी टीम को यकीन हो गया कि यह वही मास्टरमाइंड सतवीर है। जब उसके घर पुलिस ने दबिश दी तो सतवीर और भोलू दोनों वहां से फरार हो चुके थे। डकैतों के इस सरदार के मन में इस महिला पुलिस अधिकारी का इतना खौफ बैठ चुका था कि वह जंगल नालों और खंदकों में छिपकर रहने लगा। दोनों डकैत पुलिस की सख्ती के आगे सौ सौ रुपए के लिए मोहताज हो गए। सीमा को भी उनका पीछा करने के लिए जीप से उतर कर कभी बाइक पर तो कभी पैदल ही चलकर खंदक खंगालने पड़े।

कैसे दबोचा बदमाशों को

तीन माह के अथक परिश्रम के बाद अगस्त के अंतिम सप्ताह में बदमाशों के बारे में सुराग लगते ही सीमा अपनी टीम के साथ दिन रात उनकी तलाश में जुट गई और पांच दिन तक वे उनकी पूरी टीम महज कुछ घंटे ही सो पाई। दिन रात डकैतों सतवीर और भोलू की तलाश में जुटी रही। डकैत हर घंटे लोकेशन चेंज करने लगे, लेकिन पुलिस ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। पुलिस को हाथ धोकर पीछे लगा देख आखिर में दोनों डकैत परेशान हो गए और इंद्रा कंजर बस्ती में वेश बदल कर पहुंच गए। इसी बीच सीमा अपनी टीम के साथ वहां भी पहुंच गई और सतवीर और भोलू को दबोच लिया। दोनों ने भागने का प्रयास किया लेकिन सीमा ने उन्हें सलाखों के पीछे भेजकर ही दम लिया।
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