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Sunday, August 6, 2017

शिक्षा और स्वास्थ्य हो प्राथमिकता, मोबाइल से बच्चे रहें दूर-सीमा विस्वास

शिक्षा और स्वास्थ्य हो प्राथमिकता, मोबाइल से बच्चे रहें दूर-सीमा विस्वास




बैंडिट क्वीन सीमा विस्वास ने कहा कि लोगों की प्राथमिकता इंसान बनना होनी चाहिए। लोग जितने खुश रहेंगे उतना अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में सबसे हैप्पीएस्ट कंट्री डेनमार्क को माना जाता है जबकि वह एक छोटा सा देश है। भारत काफी बड़ा देश है और हम उनसे अधिक खुश रह सकते हैं। इसके लिए हमें इंसान बनना होगा। इंसानियत बहुत बड़ी चीज है। वे यहां होटल इंद्रलोक में जगवीरा, मुम्बई संस्था की ओर से आयोजित दो निठल्लों की बातचीत नाटक मंचन के बाद मीडिया से मुखातिब थी।

थियेटर के बारे में उन्होंने कहा कि अभिनय उनका सपना रहा है और थियेटर को लेकर भी वो कुछ न कुछ करती रहती हैं। अभिनय की सही तकनीक अपनाना ही सही अभिनय होता है। सीमा विस्वास ने कहा कि अगर कोई प्रोग्रेसिव होने का दावा करता है तो यह उसके जीवन व्यवहार में भी झलकना चाहिए। इंसान को अतिमहत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए।
अपने फिल्मी कॅरियर के बारे में सीमा विस्वास ने कहा कि वे अभी अमरीकन और इंडियन फिल्मों में काम कर रही हैं। उनकी डबिंग चल रही है। दो तीन फिल्मों की बातचीत भी चल रही है। अभी इस बारे में चर्चा करना ठीक नहीं है।
चोटी कटने की अफवाह के बारे में उन्होंने कहा कि यह चर्चा तो सुनी है लेकिन मामला क्या है इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता है। अफवाहों में न फंसे। सही गलत का फैसला खुद करें।

तकनीक का असर गलत अधिक हो रहा है

सीमा विस्वास ने कहा कि वाट्स अप का अच्छा और बुरा दोनों असर हैं। बच्चे इसमें समय खराब नहीं करें। पढ़ाई करें। मोबाइल से दूर रहें। जरूरत हो तो ही काम में लें। तकनीक का बुरा असर अधिक हो रहा है। इसीलिए मैं कहती हूं कि इंसान बनो। हमारे यहां तकनीक काफी पीछे आती हैं। विदेशों में पहले आ जाती है। लेकिन इसका यूज जो हम करते हैं उसे देखकर विदेशी हंसते हैं। इससे गलत मैसेज भी जाता है। एज्यूकेशन और हैल्थ पर फोकस किया जाना चाहिए। इसे प्राथमिकता देनी चाहिए।

अनुशासन जरूरी-राजपाल


कार्यक्रम के दौरान फिल्म अभिनेता राजपाल ने मौजूद लोगों को अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि सम्मान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। हम सब एक ही परिवार के लोग हैं। कॅरियर में सभी का आशीर्वाद शामिल है। उन्होंने मंच से एनएसडी इंस्टीट्यूट की यादें ताजा की। थियेटर के बारे में कहा कि भले ही आज किसी भी मुकाम पर हों लेकिन शुरूआत स्टेज यानि थियेटर से ही होती है। हंसना बहुत सरल है लेकिन स्टेज पर बैठना बहुत मुश्किल है। बैठना भी अगर ठीक ढंग से आ जाता है तो अभिनय की पहली सीढ़ी पार हो जाती है।

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