दहेज के केस में अब नहीं पकड़ेगी पुलिस
दोस्तों दहेज का मामला ऐसा मामला है जिसमें ९८ प्रतिशत केस झूठे दर्ज होते हैं। पुलिस तुरंत कार्रवाई कर ऐसे केसों में आरोपितों को गिरफ्तार कर लेती है। एक सर्वे में ऐसे ९८ प्रतिशत केस झूठे पाए गए। देश की शीर्ष अदालत का भी यही मानना है कि इस हथियार का गलत उपयोग महिलाएं कर रही हैं। इसलिए पुलिस को नया आदेश दिया गया है। क्या है वह आदेश और क्या है इसका अर्थ आइये जानते हैं।
नहीं होगी गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि दहेज प्रताडऩा के मामलों में अब सीधी गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी। क्योंकि उनका मानना है कि ऐसे अधिकांश केस दुर्भावना वश दर्ज करवाए जाते हैं। यदि महिला को चोट आती है या उसकी मौत होती है ऐसे मामलों को इस आदेश से अलग रखा गया है। यानि कि ऐसे मामलों में पहले की तरह सीधे गिरफ्तारी हो सकेगी।
निकाल सकते हैं गली
अदालत की ढील का भी गलत फायदा उठाया जा सकता है। वकील और अपराधी ऐसी ही गली ढूंढते हैं। जरा सी चोट दिखाना और पैसे देकर मेडिकल कराना सामान्य बात है। ऐसे में आम जन को राहत मिलती कम नजर आ रही है। दूसरे अपराधियों के लिए गलियों का लाभ उठाना अधिक आसान होता है। लेकिन यदि पुलिस संवेदनशीलता बरते तो इस आदेश से हजारों बेकसूरों को जेल जाने से बचाया जा सकता है।
क्या है धारा ४९८ ए
आईपीसी की धारा ४९८ ए वह हथियार है जिसकी बदौलत महिलाएं अपने पति और ससुराल पक्ष को फंसा देती हैं। इसी धारा में दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज किया जाता है। मामला दर्ज होते ही पुलिस सक्रिय हो जाती है और सभी को उठा लाती है। वह यह भी नहीं देखती कि कौन वास्तव में अपराधी है। कई बार तो विकलांगों और बुजुर्गों तक का नाम केस में दर्ज करा दिया जाता है। पुलिस को उन्हें भी बंद करना पड़ता है जबकि वे ऐसे कृत्य में भागीदार नहीं होते।
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