21 वीं सदी के हिन्दुस्तान की की तस्वीर 18 वीं सदी से कुछ जुदा नहीं है। ई-विकास की अवधारणा और शाइनिंग इंडिया के नारे जिन शहरों का उजला पक्ष हैं, वहीं आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसता देख इस कृष्णपक्ष से मुहं नहीं मोड़ा जा सकता। ई-विकास जहां आज की जरूरत है वहीं मूलभूत सुविधाएं मुख्यत: जल सर्वकालिक जरूरत है। अलवर शहर के हर गली, मौहल्ले में लोगों को पानी के लिए लड़ते-झगड़ते, टैंकर की टोंटी पर पानी के लिए लटकते, सार्वजनिक टंकियों पर चढ़ते, पानी चोरी करते देखा जा सकता है। ये तस्वीरें भी अलवर में २१वीं सदी को ही बयां कर रही हैं।
21 वीं सदी के हिन्दुस्तान की की तस्वीर 18 वीं सदी से कुछ जुदा नहीं है। ई-विकास की अवधारणा और शाइनिंग इंडिया के नारे जिन शहरों का उजला पक्ष हैं, वहीं आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसता देख इस कृष्णपक्ष से मुहं नहीं मोड़ा जा सकता। ई-विकास जहां आज की जरूरत है वहीं मूलभूत सुविधाएं मुख्यत: जल सर्वकालिक जरूरत है। अलवर शहर के हर गली, मौहल्ले में लोगों को पानी के लिए लड़ते-झगड़ते, टैंकर की टोंटी पर पानी के लिए लटकते, सार्वजनिक टंकियों पर चढ़ते, पानी चोरी करते देखा जा सकता है। ये तस्वीरें भी अलवर में २१वीं सदी को ही बयां कर रही हैं।
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