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Tuesday, January 31, 2017

दवा वाला और जनप्रतिनिधि बेकार करने चले तीन करोड़ का आयुर्वेद भवन


-एक दवा विक्रेता को लाभ पहुंचाने का कुचक्र, जनप्रतिनिधि भी शामिल

अलवर. तीन करोड़ का अत्याधुनिक भवन छोड़ जिला आयुर्वेद अस्पताल को अब धर्मशाला में चलाने की योजना बनाई जा रही है। आयुर्वेद अस्पताल के उपयोगी भवन को अनुपयोगी करने का यह कुचक्र शहर में एक आयुर्वेद दवा विक्रेता को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से रचा गया। इसमें शहर का एक प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। यह जनप्रतिनिधि प्रशासन पर दबाव बना रहा है कि आयुर्वेद अस्पताल को बुध विहार में बने नए अत्याधुनिक भवन में नहीं भेजा जाए, जबकि विभाग की निदेशक, जिला आयुर्वेद अधिकारी आयुर्वेद अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट करने की स्वीकृति दे चुके हैं। भवन का भौतिक सत्यापन हो चुका है और उसे पूरी तरह आयुर्वेद अस्पताल भवन के लिए फिट पाया गया है।
अंदरखाने प्रशासनिक और आयुर्वेद विभाग के अधिकारी यह स्वीकार कर रहे हैं कि जनप्रतिनिधि के दबाव के कारण ही अभी तक तमाम प्रक्रिया पूरी होने, प्रशासनिक व विभागीय स्तर पर रजामंदी और जरूरत के बाद भी आयुर्वेद अस्पताल को नए भवन में शिफ्ट नहीं किया जा सका है। जबकि वर्तमान भवन को वर्ष २०११ में ही गिराऊ और कंडम घोषित किया जा चुका है। वर्तमान में आयुर्वेद अस्पताल यहां तिलक मार्केट स्थित पुराना जनाना अस्पताल परिसर में ही कंडम घोषित भवन में चल रहा है।
उपयुक्त और नक्शे अनुसार सुविधासंपन्न है भवन
जिला आयुर्वेद अस्पताल को बुधविहार के ए ब्लॉक में बने नए भवन में शिफ्ट किया जाना है। यह भवन और जमीन मिलाकर करीब तीन करोड़ रुपए इसकी लागत बैठती है। इस भवन का नक्शा भी आयुर्वेद अस्पताल के हिसाब से ही बनाया गया है। अस्पताल को यहां शिफ्ट करने की सभी प्रक्रिया और सत्यापन लगभग पूर्ण हो चुका है। अगर कोई कमियां हैं तो वो इस स्तर की हैं जिन्हें आसानी से बहुत कम समय में पूर्ण किया जा सकता है। लेकिन एक आयुर्वेद दवा विक्रेता से दोस्ती निभाने और उसे आर्थिक लाभ पहुंचाने की दृष्टि से शहर के एक जनप्रतिनिधि ने प्रशासनिक स्तर पर दबाव बना यह काम रुकवा दिया। ये लोग चाहते हैं कि आयुर्वेद अस्पताल का संचालन बड़े अस्पताल के सामने बनी एक धर्मशाला में किया जाए। जबकि यह धर्मशाला बड़े अस्पताल में आने वाले मरीजों के अटेंडेंट के लिए बनवाई गई है। दूसरे धर्मशाला भवन आवासीय दृष्टि से बना है आयुर्वेद अस्पताल के हिसाब से नहीं। अत: यहां सब काम या तो जुगाड़ से करना होगा या फिर रिनोवेशन पर और पैसा
खर्च करना पड़ेगा। वर्तमान कंडम भवन में मरीजों की जान को भी खतरा है।

किस प्रकार उपयुक्त है नया भवन

-नए भवन का नक्शा पूर्ण रूप से आयुर्वेद अस्पताल के हिसाब से ही बना है।
-नए भवन में पंचकर्म, क्षारकर्म, शल्यक्रिया आदि सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
-नया भवन बुधविहार के ए ब्लॉक में बना है। इसके आस-पास बुधविहार, हसनखां मेवातनगर, गणेशगुवाड़ी, बराईमाता, सहाबजोहड़ा, शिवाजी पार्क , अपनाघर शालिमार सहित अनेक बड़ी कॉलोनियां हैं। अत: अस्पताल संचालन के लिए उपयुक्त जन घनत्व यहां मौजूद है।
-बुध विहार कॉलोनी अलवर-बहरोड़ मार्ग पर स्थित है। अत: जाने-आने के लिए लोकल ट्रांसपोर्ट सहित हर तरह के साधन मौजूद हैं।
-शहर में पहले ही आबादी अधिक होने से काफी भीड़ है। जगह सीमित है। बुधविहार में इसका संचालन होने से वहां काफी नई दुकानें खुलेंगी, अत: रोजगार के अवसर अधिक पैदा होंगे। वहां स्पेस भी काफी मिलेगा।
-मेडिकल कॉलेज के लिए जेल के चौराहे स्थित जिला कारागार में भूमि चिह्नित की गई है। यदि यहां मेेडिकल कॉलेज बनता है तो यह आयुर्वेद अस्पताल और सामान्य अस्पताल के बीच सेंटर प्वाइंट होगा।
-इधर शहर को आयुर्वेद की जरूरतों के हिसाब से पहले ही बड़े अस्पताल में आयुर्वेद के दो चिकित्सक उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलाावा नवाबपुरा डिस्पेंसरी में भी आयुर्वेद परामर्श व उपचार की सुविधां मौजूद है।
-दूरी के हिसाब से देखा जाए तो नया बना ईएसआईसी भवन शहर से करीब १५ किलोमीटर दूर है, और वहां आबादी भी नहीं है। जबकि आयुर्वेद भवन शहरी क्षेत्र में ही सही अप्रोच पर बना है।

क्या कहते हैं अधिकारी

-वर्तमान आयुर्वेद अस्पताल भवन गिराऊ है और कंडम घोषित किया जा चुका है। विभागीय स्तर पर सभी प्रकिया पूरी कर मैने जरूरत के हिसाब से आयुर्वेद अस्पताल को नए भवन में बुध विहार शिफ्ट करने के आदेश दे दिए थे। लेकिन फिर भी यह शिफ्ट नहीं हुआ। कोई दबाव है या नहीं इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।

-हर्ष कुमार, पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी, अलवर

वर्तमान भवन गिराऊ है और मरीजों के लिए भी उचित नहीं है। बुध विहार में बना नया भवन पूर्ण रूप से आयुर्वेद अस्पताल के हिसाब से ही बना है। वहां इसे शीघ्र शिफ्ट करने के प्रयास कर रहे हैं। धर्मशाला जैसी अगर बात है तो यह उचित नहीं है। नया भवन सही स्थान पर है और आयुर्वेद अस्पताल के लिए ही बनवाया गया है।

-बनवारी लाल शर्मा, जिला आयुर्वेद अधिकारी, अलवर

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